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एच1बी वीजा महंगा होना अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए झटका?

एच1बी वीजा फीस बढ़ने से अमेरिकी हेल्थ सेक्टर में विदेशी डॉक्टरों की भर्ती पर असर पड़ सकता है

एच1बी वीजा महंगा होना अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए झटका?
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ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजा फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी. इसने अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा समूहों की चिंता बढ़ा दी है. चिकित्सक संगठनों का कहना है कि इस फैसले से देश में डॉक्टरों की कमी और गहरी हो जाएगी.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा एच1बी वीजा आवेदनों की फीस बढ़ाने की घोषणा ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हलचल मचा दी है. इस फैसले से विदेशी डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा पेशेवरों की अमेरिका में नियुक्ति कठिन हो सकती है. पहले से ही मुश्किलों का सामना कर रहे हेल्थ सेक्टर पर दबाव और बढ़ सकता है. अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े समूहों और चिकित्सकों का मानना ​​है कि इस कदम के नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे.

21 सितंबर से एच1बी वीजा फीस बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर कर दिया गया है. पहले यह रकम 4,500 डॉलर थी. मौजूदा वीजा धारकों या "नवीनीकृत" आवेदकों को बढ़ी हुई फीस से छूट मिलेगी. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि एच1बी वीजा सिस्टम का सबसे ज्यादा दुरुपयोग होता है. यह वीजा उन लोगों के लिए है जो बहुत ज्यादा स्किल वाले हैं और ऐसे सेक्टर में काम करते हैं, जिनमें अमेरिकियों की हिस्सेदारी कम है.

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विदेशी डॉक्टरों की कमी कैसे पूरा करेगा अमेरिका

अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र एच1बी वीजा का व्यापक रूप से इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मेडिकल ग्रैजुएट्स और विदेश में ट्रेंड डॉक्टरों की भर्ती के लिए करता है. ये देश के विभिन्न हिस्सों, खासकर ग्रामीण और कम सेवा प्राप्त क्षेत्रों में स्टाफ की कमी को पूरा करते हैं. इन पेशेवरों की उपलब्धता अमेरिकी हेल्थ सिस्टम के लिए बेहद अहम है. आशंका है कि वीजा फीस में भारी वृद्धि से उनकी नियुक्ति प्रक्रिया पर गंभीर असर पड़ सकता है.

अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियंस (एएएफपी) के मुताबिक, अमेरिका में काम करने वाले फैमिली डॉक्टरों में पांच में एक से अधिक अंतरराष्ट्रीय ग्रैजुएट्स हैं. उनके ग्रामीण इलाकों में सेवा देने की संभावना अधिक होती है.

अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2025 में सभी क्षेत्रों में एच1बी वीजा प्रोग्राम के लाभार्थियों की संख्या लगभग 4,42,000 थी. इनमें से 5,640 आवेदन स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण क्षेत्र के लिए मंजूर किए गए थे.

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मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझता अमेरिका

अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (एएमए) के अध्यक्ष बॉबी मुकामाला कहते हैं, "संयुक्त राज्य अमेरिका पहले से ही डॉक्टरों की कमी का सामना कर रहा है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मेडिकल ग्रैजुएट्स के लिए यहां प्रशिक्षण और काम करना कठिन होने का मतलब है कि मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना होगा. उन्हें इलाज के लिए दूर जाना होगा."

अस्पताल और डॉक्टर समूहों ने भी चेतावनी दी है कि वीजा फीस बढ़ने से अमेरिका में विदेशी प्रशिक्षित डॉक्टरों का आना काफी कम हो सकता है. इससे उन अस्पतालों पर और बोझ पड़ सकता है, जो पहले ही स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं. इसके कारण विशेषज्ञों की कमी होगी और स्थानीय चिकित्सा कर्मचारियों पर दबाव बढ़ेगा.

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अमेरिकन हॉस्पिटल एसोसिएशन (एएचए) का कहना है कि यह वीजा प्रणाली अस्पतालों को उन क्षेत्रों में काम करने वाले योग्य विदेशी पेशेवरों की भर्ती का अवसर देती है, जहां घरेलू वर्कफोर्स की उपलब्धता सीमित है.

एएचए के एक प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "एच1बी वीजा कार्यक्रम अस्पताल क्षेत्र में बेहद कुशल डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ताकि समुदायों और मरीजों के लिए देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके."

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एएएफपी के मुताबिक "लगभग 2.1 करोड़ अमेरिकी ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहां विदेशी प्रशिक्षित चिकित्सकों का अनुपात 50 प्रतिशत है."

कोविड-19 महामारी के बाद से कई अमेरिकी अस्पतालों को स्टाफ की कमी की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. ओहायो हेल्थ, क्लीवलैंड क्लीनिक, सेडार्स-सिनाई और मास जनरल ब्रिगहम जैसे प्रमुख अस्पताल समूहों ने रॉयटर्स को बताया कि वे ट्रंप प्रशासन द्वारा एच1बी वीजा फीस में की गई भारी वृद्धि के असर का आंकलन कर रहे हैं.

एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन मेडिकल कॉलेज के अनुसार, साल 2036 तक अमेरिका में डॉक्टरों की मांग, आपूर्ति की तुलना में तेजी से बढ़ेगी. इसके कारण देश में 13,500 से 86,000 चिकित्सकों की कमी हो सकती है.


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