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पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्ष खत्म कराने के लिए ईरान मध्यस्थता को तैयार : पेजेशकियन

ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए मदद की पेशकश की है

पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्ष खत्म कराने के लिए ईरान मध्यस्थता को तैयार : पेजेशकियन
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तेहरान। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए मदद की पेशकश की है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पेजेशकियन ने मंगलवार को कहा कि तेहरान मध्यस्थता के लिए तैयार है।

इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी (आईआरएनए) की रिपोर्ट के अनुसार, पेजेशकियन ने मंगलवार को तेहरान में चौथे ईसीओ इंटीरियर मिनिस्टर्स मीटिंग से इतर पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी के साथ एक बैठक के दौरान ये बातें कहीं।

उन्होंने क्षेत्र में तनाव कम करने और टकराव से बचने के प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया और पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच विवादों को सुलझाने के लिए ईरान की तैयारी जाहिर की। उन्होंने आगे कहा, "आज, हम मुस्लिम देशों को इकट्ठा होकर अपने दुश्मनों के खिलाफ एक दूजे के साथ खड़ा होना पड़ेगा, ये बहुत जरूरी हो गया है।"

ईरानी राष्ट्रपति की ये टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधिमंडलों के बीच बातचीत का नवीनतम दौर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया है, जिसमें मध्यस्थों ने सुरक्षा चिंताओं पर किसी भी समझौते में बाधा डालने वाले कई मतभेदों को कारण बताया है।

क्षेत्रीय मध्यस्थता प्रयासों के बावजूद, लगातार तीन दिनों तक चली पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बातचीत में कोई सफलता नहीं मिली। मध्यस्थों ने माना कि दोनों देशों के रुख में काफी अंतर था क्योंकि दोनों पक्षों की उम्मीदों और प्राथमिकताओं में मतभेद थे। अफगानिस्तान की प्रमुख समाचार एजेंसी खामा प्रेस ने जियो न्यूज की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि इन मतभेदों के कारण दोनों देशों के अधिकारी बातचीत के दौरान कोई प्रगति नहीं कर पाए।

पाकिस्तान ने ज़ोर देकर कहा है कि तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के खिलाफ कार्रवाई करना और इस समूह के लड़ाकों को अफगानिस्तान में पनाह लेने से रोकना किसी भी समझौते के लिए महत्वपूर्ण शर्तें हैं। पाकिस्तान टीटीपी विद्रोह को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा मानता है।

विश्लेषकों ने कहा है कि बातचीत की विफलता दोनों देशों के बीच अविश्वास को दिखाती है और सीमा पार उग्रवाद को रोकने में कठिनाई को दर्शाती है। उन्होंने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक गतिरोध से दोनों देशों में अस्थिरता का खतरा है।

सीमा पर झड़पों के बाद, इस्लामाबाद ने चेतावनी दी है कि अगर टीटीपी आतंकवादियों के हमले जारी रहे तो वह अफगान क्षेत्र के अंदर सैन्य अभियान जारी रखेगा। सुरक्षा अधिकारियों ने जोर दिया है कि सीमा पर लोगों और सैन्य ठिकानों की रक्षा के लिए निर्णायक कार्रवाई जरूरी है।

पाकिस्तान-अफगानिस्तान बातचीत का पहला दौर, जिसकी मध्यस्थता कतर और तुर्की ने मिलकर की थी, 18-19 अक्टूबर को दोहा में हुआ था।

जब दोनों प्रतिनिधिमंडल शांति वार्ता के दूसरे दौर के लिए इस्तांबुल में मिले, तो पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने आक्रामक बयानबाजी जारी रखते हुए काबुल को चेतावनी दी कि अगर बातचीत विफल रही तो "ओपन वॉर" होगा।

पाकिस्तानी मीडिया ने बताया कि इस्लामाबाद एक "थर्ड-पार्टी ओवरसाइट स्ट्रक्चर" भी स्थापित करना चाहता है, जिसकी सह-अध्यक्षता संभावित रूप से तुर्की और कतर करेंगे।


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