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ईरान पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्नैपबैक मैकेनिज्म को बताया जाल, यूरोप पर साधा निशाना

परमाणु हथियारों को लेकर प्रतिबंध लगने के बाद रूस ने ईरान को अमेरिका के खेल से आगाह किया है

ईरान पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्नैपबैक मैकेनिज्म को बताया जाल, यूरोप पर साधा निशाना
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संयुक्त राष्ट्र। परमाणु हथियारों को लेकर प्रतिबंध लगने के बाद रूस ने ईरान को अमेरिका के खेल से आगाह किया है। फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के स्नैपबैक मैकेनिज्म को फिर से लागू करने के निर्णय पर ईरान पहले ही घोर आपत्ति दर्ज कर चुका है।

अब रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि ईरान पर प्रतिबंध लगाने के लिए 'स्नैपबैक व्यवस्था को जाल की तरह इस्तेमाल किया गया है।

दरअसल स्नैपबैक व्यवस्था के तहत अगर ईरान 2015 के परमाणु समझौते को तोड़ता है तो 30 दिनों के भीतर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लागू कर दिए जाएंगे।

लावरोव ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि स्नैपबैक मैकेनिज्म संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 में शामिल थी, जिसने 2015 के ईरान परमाणु समझौते का समर्थन किया था। यह समझौता ईरानी विदेश मंत्री और तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री के बीच सीधी बातचीत के बाद हुआ था।

उन्होंने कहा कि स्नैपबैक मैकेनिज्म कोई सामान्य व्यवस्था नहीं है। यह किसी भी पक्ष को प्रतिबंधों में ढील देने के लिए मतदान करने की अनुमति देता है, और वीटो शक्ति वाला सुरक्षा परिषद सदस्य एकतरफा इसे रोक सकता है, जिससे प्रतिबंधों की वापसी का रास्ता खुल जाता है।

लावरोव औपचारिक रूप से संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के रूप में जाने जाने वाले इस समझौते के लिए बातचीत में शामिल थे। उन्होंने कहा कि ईरान ने इस पर सहमति व्यक्त की, क्योंकि 2018 में अमेरिका के इस समझौते से हटने की कभी उम्मीद नहीं थी।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के परमाणु समझौते से हटने के बाद यूरोप ने अमेरिका से अपने दायित्वों पर वापस लौटने की मांग करने के बजाय समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं से कतराना शुरू कर दिया।

लावरोव ने कहा कि स्नैपबैक व्यवस्था ईरान के लिए एक जाल के रूप में बनाई गई थी। यह इस बात का एक और सबूत है कि ईरान परमाणु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करने का इरादा नहीं रखता था।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद शुक्रवार को चीन और रूस द्वारा तैयार किए गए उस प्रस्ताव को पारित करने में विफल रही, जो जेसीपीओए और प्रस्ताव 2231 का विस्तार करता।

ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों की बहाली की प्रक्रिया शुरू करने के खिलाफ चेतावनी देते हुए लावरोव ने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता और अधिकार को एक बड़ा झटका देगा।

लावरोव ने शनिवार को कहा, "हम ईरान परमाणु समझौते को उसके सभी पहलुओं में कुछ भी जोड़े या काटे बिना पूरी तरह से विस्तार देना चाहते थे, ताकि यह तब तक लागू रहे जब तक हमें उम्मीद है कि हम बातचीत जारी रख सकते हैं।" उन्होंने कहा कि ईरान अब भी मध्यस्थों के माध्यम से परमाणु समझौते के तीन यूरोपीय भागीदारों से बातचीत के लिए तैयार है।

ईरान ने हाल ही में ई3 के साथ बातचीत की थी, लेकिन शुरू से ही यूरोपीय देशों की तिकड़ी ईरान पर प्रतिबंध थोपने के लिए कोई न कोई बहाना खोज रही थी।

ईरान और रूस दोनों का कहना है कि प्रतिबंधों को वापस लेना कानूनी रूप से अमान्य है, क्योंकि ई3 इस तंत्र को लागू करने की स्थिति में नहीं थे।

ईरान के राष्ट्रपति का कहना है कि अमेरिका हमें सारा समृद्ध यूरेनियम उन्हें सौंपने के बदले प्रतिबंधों से तीन महीने की छूट देना चाहता है, लेकिन ये हमें मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा कि दुश्मन यह मानता है कि वह प्रतिबंधों और स्नैपबैक के जरिए ईरान के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है, लेकिन ऐसी समस्याएं हमें मजबूत और अधिक दृढ़ बनाती हैं।


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