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भारतीय राजदूत की अमेरिकी सांसद से मुलाकात, व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा पर हुई चर्चा

अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने अमेरिकी नेताओं के साथ अपनी सतत मुलाकातों को जारी रखते हुए सांसद पीट सेशंस के साथ बैठक की

भारतीय राजदूत की अमेरिकी सांसद से मुलाकात, व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा पर हुई चर्चा
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वाशिंगटन। अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने अमेरिकी नेताओं के साथ अपनी सतत मुलाकातों को जारी रखते हुए सांसद पीट सेशंस के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने हाल के घटनाक्रमों, विशेष रूप से व्यापार, को लेकर भारत का रुख स्पष्ट किया।

राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "प्रतिनिधि सभा की सरकारी संचालन उप-समिति के अध्यक्ष पीट सेशंस के साथ सार्थक चर्चा हुई। उन्हें भारत के हाल के घटनाक्रमों और व्यापार पर भारत के दृष्टिकोण के बारे में जानकारी दी। साथ ही, ऊर्जा सुरक्षा और दोनों देशों के बीच बढ़ती हाइड्रोकार्बन साझेदारी पर विचारों का आदान-प्रदान किया।"

इससे पहले मंगलवार को क्वात्रा ने अमेरिकी सांसद मार्क वीसी से मुलाकात की थी और उन्हें भारत के रुख से अवगत कराया। इस चर्चा में उन्होंने 'निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार' के महत्व पर जोर देते हुए द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की बात कही।

क्वात्रा ने एक्स पर लिखा, "अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में इंडिया कॉकस के उपाध्यक्ष मार्क वीसी के साथ एक उपयोगी चर्चा हुई। उन्हें हाल के घटनाक्रमों पर भारत के दृष्टिकोण की जानकारी दी और भारत-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत करने के लिए निष्पक्ष और लाभकारी व्यापार के महत्व को रेखांकित किया।"

क्वात्रा ने अमेरिकी सांसद माइकल बॉमगार्टनर से भी बातचीत की और उन्हें भारत-अमेरिका संबंधों में हाल के विकास और भारत के व्यापार व ऊर्जा संबंधों पर दृष्टिकोण से अवगत कराया।

बॉमगार्टनर के साथ अपनी बैठक के बारे में क्वात्रा ने एक्स पर लिखा, "आज प्रतिनिधि माइकल बॉमगार्टनर से बात करने का अवसर मिला। उन्हें भारत-अमेरिका साझेदारी में हाल के विकास और भारत के व्यापार व ऊर्जा संबंधों पर दृष्टिकोण की जानकारी दी। उनके मजबूत समर्थन के लिए आभारी हूं।"

क्वात्रा की ये मुलाकातें ऐसे समय में हुई हैं जब इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के रूस से कच्चे तेल के आयात को कारण बताते हुए 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क की घोषणा की थी। यह शुल्क 20 जुलाई से लागू पिछले 25 प्रतिशत शुल्क के अतिरिक्त है।

अमेरिका के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश मंत्रालय ने इसे 'अन्यायपूर्ण और अनुचित' करार दिया था। साथ ही कहा था कि भारत की ऊर्जा जरूरतों और रणनीतिक स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए।


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