यूक्रेन की मदद के लिए 90 अरब यूरो कैसे जुटाएगा ईयू?
रूसी संपत्तियों के एवज में यूक्रेन को कर्ज देने की योजना फेल होने के बाद, ईयू कर्ज लेने के लिए तैयार हो गया है. 90 अरब यूरो के इस कर्ज पर यूरोपीय संघ हर साल लगभग 3 अरब यूरो ब्याज चुकाएगा

रूसी संपत्तियों के एवज में यूक्रेन को कर्ज देने की योजना फेल होने के बाद, ईयू कर्ज लेने के लिए तैयार हो गया है. 90 अरब यूरो के इस कर्ज पर यूरोपीय संघ हर साल लगभग 3 अरब यूरो ब्याज चुकाएगा.
यूरोपीय संघ, रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद लिए 90 अरब यूरो का कर्ज लेने पर सहमत हुआ है. यह पैसा यूक्रेन को धीरे-धीरे दिया जाएगा और कुछ शर्तों पर आधारित होगा. ईयू के तीन सदस्य देशों- हंगरी, स्लोवाकिया और चेक गणराज्य ने इस मुहिम में हिस्सा ना लेने का फैसला किया है. इससे पहले यूरोपीय संघ में मौजूद रूसी संपत्तियों के एवज में यूक्रेन को कर्ज देने का प्रस्ताव था, जिस पर आपसी सहमति नहीं बन पाई. ईयू की इस आर्थिक मदद का इस्तेमाल यूक्रेन के दो साल के बजट और हथियारों की जरूरत पूरी करने में किया जाएगा.
कहां से जुटाया जाएगा पैसा?
चूंकि ना ही यूरोपीय संघ के पास और ना ही उसके सदस्य देशों के पास फिलहाल 90 अरब यूरो की अतिरिक्त रकम हैं, इसलिए यूरोपीय आयोग बाजार से यह पैसा उधार लेगा. इसके लिए छोटे-बड़े बॉन्ड जारी किए जाएंगे. यूक्रेन को अपने बचाव के लिए हर हाल में अप्रैल, 2026 तक नई मदद की जरूरत है. आयोग के मुताबिक, मौजूदा ब्याज दरों के हिसाब से 90 अरब यूरो के कर्ज पर सालाना करीब 3 अरब यूरो का ब्याज चुकाना होगा. सदस्य देश अपनी आर्थिक क्षमता के हिसाब से ब्याज भरेंगे. इस तरह जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन और पोलैंड पर सबसे ज्यादा बोझ आएगा. आयोग ने स्पष्ट किया कि ये सामूहिक ऋण, घरेलू कर्ज में नहीं गिना जाएगा क्योंकि ये सिर्फ यूरोपीय संघ के स्तर पर लिया जा रहा है.
रूस से मुआवजा मिला, तभी यूक्रेन लौटाएगा कर्ज
ईयू के इस फैसले के अनुसार, यूक्रेन को 90 अरब यूरो सिर्फ तभी लौटाने होंगे जब रूस युद्ध बंद कर दे और मुआवजा चुकाए. मॉस्को ने मुआवजा चुकाने की किसी भी संभावना से इनकार किया है. इसलिए आयोग पहले से तैयारी कर रहा है कि कर्ज को समय के साथ आगे खिसकाया जाए, ताकि यूक्रेन को जेब से पैसे ना देने पड़ें. ऐसे में आगे चलकर यूरोपीय संघ को 90 अरब यूरो का कर्ज पूरी तरह खत्म करने पर कोई अंतिम का फैसला करना होगा ताकि ब्याज ना देना पड़े. इसका सबसे सुलभ तरीका होगा यूरोपीय संघ का बजट, जो आखिरी गारंटी बनेगा ताकि निवेशकों को पैसा वापस मिले.
किस शर्त पर मुहिम से बाहर हुए तीन देश
बीते कुछ महीनों में यूरोपीय संघ, यूक्रेन को आर्थिक मदद देने के कई तरीके तलाश रहा था. ईयू में मौजूद रूसी संपत्तियों के आधार पर यूक्रेन को मदद देने की कोशिश जब सफल नहीं रहीं, तो बाजार से कर्ज उठाने का फैसला किया गया. लेकिन हंगरी, स्लोवाकिया और चेक रिपब्लिक ने इसे वीटो करने की एवज में छूट मांगी. यह जरूरी था क्योंकि मौजूदा नियमों के मुताबिक, यूरोपीय संघ के बजट का इस्तेमाल गैर-ईयू देशों के लिए पैसा जुटाने में नहीं हो सकता. इस स्थिति में बदलाव के लिए सबकी सहमति जरूरी है. इस तरह बाकी बचे 24 सदस्य देश ब्याज चुकाने में हिस्सा लेंगे. हालांकि तीनों देशों के शामिल ना होने से ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि इनकी सकल राष्ट्रीय आय, ईयू का करीब 3.64% ही है.
ऋण की शर्तों में "मेड इन यूरोप” एक जरूरी शर्त होगी, ताकि 90 अरब यूरो का इस्तेमाल यूक्रेन और यूरोप के रक्षा उद्योग को बढ़ाने में काम आए. यूरोप के बाहर से उपकरण उसी सूरत में लिए जा सकेंगे, जब वे इस महाद्वीप पर उपलब्ध नहीं होंगे.'


