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आसिम मुनीर कैसे बने पाकिस्तान में सबसे ताकतवर

पाकिस्तान की संसद ने सेना प्रमुख आसिम मुनीर की शक्तियों को बढ़ाने वाले 27वें संशोधन को मंजूरी दे दी है. इस संशोधन के साथ ही अब आसिम मुनीर देश के सबसे ताकतवर पदाधिकारी बन गए हैं

आसिम मुनीर कैसे बने पाकिस्तान में सबसे ताकतवर
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पाकिस्तान : पाकिस्तान की संसद ने सेना प्रमुख आसिम मुनीर की शक्तियों को बढ़ाने वाले 27वें संशोधन को मंजूरी दे दी है. इस संशोधन के साथ ही अब आसिम मुनीर देश के सबसे ताकतवर पदाधिकारी बन गए हैं.

पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर अब वहां के सबसे ताकतवर मिलिट्री लीडर बन गए हैं. पाकिस्तान ने हाल ही में एक संवैधानिक संशोधन के जरिए आसिम मुनीर की ताकत को बढ़ाया. अब वो जीवनभर अपने पद पर बने रह सकेंगे. इसके साथ ही उन्हें अब ताउम्र कानूनी प्रक्रियाओं से छूट भी मिलेगी.

यह 27वां संवैधानिक संशोधन बीते गुरुवार पाकिस्तान के दोनों सदनों में पास हुआ. कुछ ही घंटों के बाद इस पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने इस पर दस्तखत करके इसे कानून बना दिया. इस नए संशोधन के साथ ही अब मुनीर को आर्मी, नेवी और एयरफोर्स तीनों ही सेनाओं की कमान भी सौंप दी है. इस साल भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए संघर्ष के बाद आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल की रैंक दी गई थी.

नए संशोधन के तहत जो भी सैन्य अफसर फील्ड मार्शल, एयरफोर्स मार्शल या एडमिरल बनेगा वह ताउम्र अपनी सेना की वर्दी में रह सकता है. इसके साथ ही उसकी रैंक और सारे अधिकार भी पूरे जीवन बने रहेंगे और कानून से भी छूट मिलेगी. हालांकि, इस नए संशोधन के तहत ना सिर्फ सेना प्रमुख बल्कि मौजूदा राष्ट्रपति जरदारी को भी ताउम्र मुकदमों से छूट दे दी गई है. इसका मतलब की पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था की शक्तियां कम कर दी गई हैं.

विरोध के बावजूद पास हुआ बिल

हालांकि, इस संशोधन का तहरीक-ए-इंसाफ जैसी पार्टियों ने खुलकर विरोध किया. कई नेताओं ने संसद में इस बिल की कॉपियां तक फाड़ दीं. पीटीआई के प्रवक्ता सैयद जुल्फिकार बुखारी ने एएफपी से बातचीत में कहा कि यह संशोधन स्वतंत्र न्याय व्यवस्था और लोकतंत्र के ताबूत में आखिरी कील है.

आलोचकों का कहना है कि यह संशोधन लोकतंत्र और न्यायिक स्वतंत्रता को पूरी तरह खत्म कर देगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इस नए संशोधन के तहत पाकिस्तान में अब एक नई अदालती व्यवस्था बनेगी. संशोधन के मुताबिक अब वहां एक संघीय संवैधानिक न्यायालय होगा जिसकी देखरेख में सभी संवैधानिक मामले आएंगे. इस बदलाव ने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख अधिकार उससे छीन लिए हैं क्योंकि अब अदालतें किसी भी संवैधानिक बदलाव पर सवाल नहीं उठा पाएंगी.

इस संशोधन को मंजूरी मिलते ही पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के जजों ने इस्तीफा दे दिया. कोर्ट की बैठक में इस बदलाव को संविधान पर एक गंभीर हमला कहा गया. जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अकील शाह ने एएफपी को बताया कि किसी भी दूसरे लोकतांत्रिक देश में सेना प्रमुख को तीनों सेनाओं का प्रमुख नहीं बनाया जाता. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह निरंकुश सत्ता को वैध बनाने का एक तरीका है.

पूर्व सैन्य अधिकारी भी संशोधन के खिलाफ

पाकिस्तान के पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी इस बदलाव की आलोचना की है. रिटायर्ड जनरल नईम खालिद लोढ़ी के मुताबिक, "फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पाकिस्तान के सबसे ताकतवर इंसान बन चुके हैं. उन्हें ताकतवर बनाने के लिए पाकिस्तान के नेता भी जिम्मेदार हैं. अपने अल्पकालिक हितों के लिए उन्होंने पाकिस्तान के दीर्घकालिक हितों को खतरे में डाल दिया है."

हालांकि, शहबाज शरीफ की सरकार का दावा है कि ये बदलाव शासन को बेहतर करने के लिए लाए गए हैं. साथ ही ये आसिम मुनीर को मई में भारत के साथ हुए संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी सेना के प्रदर्शन का इनाम हैं.


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