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चीन में कन्फ़्यूशियस को मिलता है बहुत सम्मान, उनके नाम पर बना विशाल मंदिर

चीनी नागरिक और सरकार न केवल कन्फ्यूशियस के विचारों से प्रभावित हैं, बल्कि उन्हें बहुत सम्मान भी देते हैं

चीन में कन्फ़्यूशियस को मिलता है बहुत सम्मान, उनके नाम पर बना विशाल मंदिर
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बीजिंग। चीनी नागरिक और सरकार न केवल कन्फ्यूशियस के विचारों से प्रभावित हैं, बल्कि उन्हें बहुत सम्मान भी देते हैं। चीन में उनसे संबंधित कई मूर्तियां और मन्दिर हैं। जहां हमें इस महान दार्शनिक से जुड़ी तमाम जानकारी और विभिन्न चीज़ें देखने को मिलती हैं।

इसी तरह शानतोंग प्रांत के छवीफू में कन्फ्यूशियस का मंदिर स्थापित किया गया है। जो पूरे चीन और पूर्वी एशिया में कन्फ़्यूशियस के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। चीनी भाषा में इसे खोंग मियाओ कहा जाता है।

पूरा मंदिर परिसर लगभग 21 हज़ार वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें कुल 460 कमरे हैं। साथ ही यहां कई गेट और प्राचीन खंभे व वृक्ष मौजूद हैं, जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं की जिज्ञासा का केंद्र रहते हैं। यहां बड़ी संख्या में लोग अपने खुशहाल और बेहतर जीवन के लिए पूजा-अर्चना करने आते हैं।

यहां इतने पुराने पेड़ हैं, आपको जानकर आश्चर्य होगा। इस परिसर में एक पेड़ 2,100 साल पुराना बताया जाता है। लोग इस वृक्ष के पास आकर दीर्घायु होने की इच्छा जताते हैं। यहां वैसे तो कई गेट और हॉल हैं। लेकिन, ताछंग हॉल 24.8 मीटर ऊंचा है। इसके प्रांगण में प्रतिदिन 11 बजे पांच तरह के खाद्य पदार्थ अर्पित किए जाते हैं। लोग यहां पर आकर पूजा-अर्चना करते हैं। जबकि, हर साल 28 सितंबर को कन्फ्यूशियस के जन्मदिन के मौके पर यहां विशेष आयोजन होता है, और भेड़, सुअर और बैल तीन जानवरों का मांस चढ़ाया जाता है।

इस बड़े हॉल के भीतर कन्फ़्यूशियस की बैठी हुई मुद्रा में मूर्ति है। गाइड के अनुसार, चीन में इस तरह के तीन भवन हैं, पहला फॉरबिडन सिटी, दूसरा यहां का ताछंग हॉल, जबकि तीसरा थाई पर्वत का भवन।

बता दें कि वर्ष 1994 में इस मंदिर को यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। बताते हैं कि 1499 में लगी आग के बाद इसका अंतिम बड़ा पुनर्निर्माण मिंग राजवंश के दौरान फॉरबिडन सिटी के निर्माण के तुरंत बाद हुआ था। इसलिए कन्फ्यूशियस मंदिर की वास्तुकला कई मायनों में फॉरबिडन सिटी से मिलती-जुलती है।

गौरतलब है कि मंदिर के मुख्य भाग में नौ प्रांगण हैं, जो एक केंद्रीय अक्ष पर व्यवस्थित हैं। जो उत्तर-दक्षिण दिशा में उन्मुख है और 1.3 किमी लंबा है। पहले तीन प्रांगणों में छोटे गेट हैं और उनमें ऊंचे देवदार के पेड़ लगे हैं। जो मंदिर परिसर की रक्षा करते हुए नज़र आते हैं। पहले (सबसे दक्षिणी) गेट का नाम ग्रेट बेयर तारामंडल के एक तारे के नाम पर लिंगशिंग गेट रखा गया है। इस नाम से पता चलता है कि कन्फ्यूशियस स्वर्ग से आया एक तारा हैं। जबकि अन्य प्रांगणों की इमारतें कतारबद्ध दिखती हैं। वे पीले रंग की छत-टाइलों और लाल रंग से रंगी दीवारों वाली प्रभावशाली संरचनाएं हैं।

हमारी गाइड ने बताया कि विभिन्न खंभों के ऊपर स्वर्णजड़ित प्लेट्स हैं, जिनके पुनर्निर्माण में करोड़ों युआन खर्च हुए। लेकिन मंदिर परिसर के मूल स्वरूप के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई। इससे पता चलता है कि चीन में प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण पर काफ़ी ध्यान जाता है।


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