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अमेरिका और रूस के बीच अबू धाबी में सीक्रेट मीटिंग का दावा, यूक्रेन-रूस संघर्ष को खत्म करने की कोशिश

अमेरिका और रूस के बीच अबू धाबी में सीक्रेट मीटिंग का दावा किया जा रहा है। यूक्रेन युद्ध को लेकर संभावित शांति प्रयासों को नई उम्मीद तो मिली ही है लेकिन साथ ही कई सवाल भी खड़े हो गए हैं

अमेरिका और रूस के बीच अबू धाबी में सीक्रेट मीटिंग का दावा, यूक्रेन-रूस संघर्ष को खत्म करने की कोशिश
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अबू धाबी में रूसी अधिकारियों से अमेरिकी सेना सचिव ड्रिस्कॉल की 'सीक्रेट मीटिंग' का दावा

नई दिल्ली। अमेरिका और रूस के बीच अबू धाबी में सीक्रेट मीटिंग का दावा किया जा रहा है। यूक्रेन युद्ध को लेकर संभावित शांति प्रयासों को नई उम्मीद तो मिली ही है लेकिन साथ ही कई सवाल भी खड़े हो गए हैं।

यह वार्ता यूक्रेन-रूस संघर्ष को खत्म करने की दिशा में अमेरिका द्वारा चलाए जा रहे प्रयासों का हिस्सा मानी जा रही है। वार्ता मंगलवार तक जारी रहने वाली है, लेकिन रूस की ओर से शामिल अधिकारियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। विदेशी मीडिया ने इसकी जानकारी दी है।

एबीसी न्यूज ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि पहले ये मुलाकात मंगलवार को प्रस्तावित थी लेकिन सोमवार को ही संपन्न हो गई। अमेरिका के आर्मी सेक्रेटरी डैन ड्रिस्कॉल ने संयुक्त अरब अमीरात में रूस के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इसे अमेरिका की एक असाधारण कूटनीतिक चाल के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि सामान्यतः इस तरह की संवेदनशील वार्ताएं विदेश विभाग या उच्च स्तर के राजनयिक चैनलों द्वारा की जाती हैं।

सीबीएस न्यूज को किसी अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि ये मुलाकात सोमवार रात घंटों तक चली जिसमें शांति प्रस्ताव की रफ्तार तेज करने पर काफी चर्चा हुई।

ड्रिस्कॉल की मौजूदगी इस बात का संकेत है कि वॉशिंगटन संभवतः अब शांति योजना को सैन्य-रणनीतिक नजरिए से भी आगे बढ़ा रहा है। वार्ता पहले जिनेवा में अमेरिका और यूक्रेन के बीच हुई बातचीत के बाद हो रही है, जहां अमेरिका ने रूस के साथ संभावित शांति समझौते के लिए एक 28-बिंदु प्रस्ताव रखा था, जिसे बाद में घटाकर करीब 19 बिंदुओं में संशोधित किया गया।

रॉयटर्स के मुताबिक प्रस्ताव में ऐसे बिंदु भी शामिल हैं जिनका यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगी विरोध कर चुके हैं, जैसे यूक्रेन की भविष्य में नाटो में सदस्यता पर रोक और कुछ सैन्य प्रतिबंध। इसी कारण यह पहल यूरोपीय देशों में भी चिंता पैदा कर रही है।

इसके बावजूद अमेरिका यह वार्ता एक शांत और कम सार्वजनिक रास्ते से आगे बढ़ा रहा है, और अबू धाबी जैसा न्यूट्रल स्थान इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। बैठक का परिणाम अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इतना तय है कि इस कदम ने कूटनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है।


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