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बांग्लादेश में अगले साल फरवरी में होंगे 13वें संसदीय चुनाव

बांग्लादेश में अगले साल फरवरी में 13वें संसदीय चुनाव होंगे। चुनाव आयोग के इस बाबत इसी सप्ताह एक ब्यौरेवार कार्ययोजना जारी किए जाने की संभावना है

बांग्लादेश में अगले साल फरवरी में होंगे 13वें संसदीय चुनाव
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बांग्लादेश : आम चुनाव अगले साल फरवरी में होंगे

ढाका। बांग्लादेश में अगले साल फरवरी में 13वें संसदीय चुनाव होंगे। चुनाव आयोग के इस बाबत इसी सप्ताह एक ब्यौरेवार कार्ययोजना जारी किए जाने की संभावना है।

चुनाव आयोग के वरिष्ठ सचिव अख्तर अहमद ने सरकारी संस्था बांग्लादेश संगबाद संस्था (बीएसएस) को बताया कि चुनाव रोडमैप का एक मसौदा तैयार कर लिया गया है और इसे जल्द ही अंतिम मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह योजना चुनावों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए अंतर-विभागीय समन्वय और संचालन संबंधी मुद्दों पर केंद्रित होगी।

गौरतलब है कि चुनावों की यह घोषणा राजनीतिक दलों द्वारा इनके निर्धारित समय पर होने या नहीं होने पर जताई गई शंकाओं के बीच की गई है।

इस बीच नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के नेताओं का तर्क है कि प्रमुख सुधारों और अंतरिम सरकार द्वारा शुरू किए गए मुकदमों के पूरा होने तक चुनाव नहीं हो सकते।

सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए विधि सलाहकार आसिफ नज़रुल ने कहा कि चुनाव की तैयारियाँ योजना के अनुसार आगे बढ़ रही हैं। कैबिनेट की बैठक के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा "चुनाव फ़रवरी में होंगे और इस पर सरकार का रुख़ दृढ़ है।"

अंतरिम मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस प्रशासन ने विपक्षी दलों के संदेह के बावजूद इस बात पर ज़ोर दिया है कि आगामी चुनाव "बांग्लादेश के इतिहास में सबसे पारदर्शी और विश्वसनीय" होंगे।

इस बीच नज़रुल ने चुनावाें के बारे में शंका बढ़ाने वाले बयानों को कमतर आँका और इन्हें देश की राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा "आपने हमेशा ऐसा देखा है।’ एक स्थानीय अखबार ने नजरूल के हवाले से कहा “ बांग्लादेश में पारंपरिक रूप से राजनीतिक दल ऐसी टिप्पणियाँ करते हैं। अब भी यही हो रहा है। इस विमर्श में कोई बड़ा गुणात्मक बदलाव नहीं आया है। अंततः चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी सरकार की है राजनीतिक दलों की नहीं।"

गौरतलब है कि पिछले अगस्त में हुए विरोध प्रदर्शनों ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया था जिससे अवामी लीग के 15 साल के शासन का अंत हो गया था। हफ़्तों तक चले छात्र-नेतृत्व वाले प्रदर्शनों के बाद हसीना ने भारत में शरण ली थीं।

हसीना के निर्वासन के तुरंत बाद कार्यवाहक नेता नियुक्त किए गए यूनुस ने शुरुआत में चुनावों की संभावित तारीख जून 2026 बताई थी। लेकिन बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी और एनसीपी सहित विपक्षी समूहों के दबाव में उन्होंने समय-सीमा में संशोधन करते हुए अगले साल फरवरी में रमज़ान से पहले चुनाव कराने का वादा किया था।


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