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बांग्लादेश : शेख हसीना के खिलाफ एक और मामले में 9 दिसंबर को आईसीटी करेगा सुनवाई

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दो फैसले कोर्ट ने सुना दिए हैं

बांग्लादेश : शेख हसीना के खिलाफ एक और मामले में 9 दिसंबर को आईसीटी करेगा सुनवाई
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ढाका। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दो फैसले कोर्ट ने सुना दिए हैं। इनमें से एक आईसीटी यानी देश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने सुनाया। हसीना को मानवता का दुश्मन मानते हुए सजा-ए-मौत सुनाई, वहीं दूसरे मामले में भ्रष्टाचार की दोषी मानते हुए 5 साल की सजा का ऐलान हुआ। अभी ये सिलसिला थमा नहीं है। एक और मामले में सुनवाई 9 दिसंबर को होनी है, स्थानीय मीडिया ने रविवार को इसकी जानकारी दी।

इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने हसीना और 13 पूर्व और मौजूदा आर्मी अधिकारियों को आरोपी बनाया है। अवामी लीग के लंबे कार्यकाल के दौरान आयनाघोर सेल में मानवता विरुद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार मानते हुए मंगलवार को सुनवाई तय की है।

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार अभियोजन पक्ष ने औपचारिक तौर पर मामले तय कर अपनी सुनवाई पूरी कर ली है और मंगलवार को ट्रिब्यूनल, बचाव पक्ष की दलीलें सुनेगा।

जस्टिस एमडी गोलाम मुर्तुजा मजूमदार की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-1 बेंच ने रविवार को तारीख तय की।

मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश होकर आयनाघोर सेल में सरकार विरोधी गुटों से जुड़े लोगों के गायब होने और यातना की विस्तृत रिपोर्ट पेश की।

उन्होंने 22 अक्टूबर, 2015 और 5 अगस्त, 2024 के बीच 26 लोगों के अगवा होने की बात बताई। मुख्य अभियोजक ने पांच मामले फाइल किए और ट्रिब्यूनल से 13 आरोपियों के खिलाफ चार्ज तय करने या मुकदमा शुरू करने का आग्रह किया।

गिरफ्तार किए गए 13 में से तीन आर्मी अफसर हैं। उन्हें रविवार सुबह ढाका कैंटोनमेंट की स्पेशल जेल से कड़ी सुरक्षा में पेश किया गया। इन अफसरों में डीजीएफआई के पूर्व निदेशक मेजर जनरल शेख मोहम्मद सरवर हुसैन, ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद महबूबुर रहमान सिद्दीकी और ब्रिगेडियर जनरल अहमद तनवीर मजहर सिद्दीकी शामिल हैं।

आईसीटी को मूल रूप से 1971 के युद्ध अपराधों के लिए बनाया गया था, लेकिन 2024-25 में इसके दायरे को विस्तार दिया गया।

यह हसीना के खिलाफ तीसरा प्रमुख मामला है। पहले में, जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए 17 नवंबर 2025 को उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। हसीना ने इसे "राजनीतिक रूप से प्रेरित" बताया था। इसके बाद पूर्बांचल जमीन घोटाले में बहन समेत परिवार के अन्य लोगों को दोषी ठहराया गया। इसमें हसीना को 5 साल की सजा सुनाई गई।


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