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जेन-जेड आंदोलन की जांच में बड़ा कदम, नेपाल के पूर्व पीएम ओली पर विदेश यात्रा प्रतिबंध

नेपाल में हाल ही में हुए जनरेशन-जेड (जेन-जेड) विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए शारीरिक, मानवीय और भौतिक नुकसान की जांच कर रहे आयोग ने कड़ा कदम उठाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है

जेन-जेड आंदोलन की जांच में बड़ा कदम, नेपाल के पूर्व पीएम ओली पर विदेश यात्रा प्रतिबंध
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नेपाल में हिंसा की जांच तेज, केपी ओली समेत कई पूर्व अधिकारी देश छोड़ने से रोके गए

  • जांच आयोग ने लगाया रोक, जनजातीय प्रदर्शन पर जवाबदेही तय करने की तैयारी
  • जनरेशन-जेड आंदोलन के बाद नेपाल में सख्ती, पूर्व प्रधानमंत्री जांच के घेरे में
  • 70 से अधिक मौतों की जांच में तेजी, नेपाल सरकार ने उठाए कठोर कदम

काठमांडू। नेपाल में हाल ही में हुए जनरेशन-जेड (जेन-जेड) विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए शारीरिक, मानवीय और भौतिक नुकसान की जांच कर रहे आयोग ने कड़ा कदम उठाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है।

जांच आयोग ने रविवार को जारी बयान में कहा कि उसने संबंधित सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि ओली और लेखक के अलावा पूर्व गृह सचिव गोकर्ण मणि दुवादी, राष्ट्रीय जांच विभाग के पूर्व प्रमुख हुतराज थापा और काठमांडू के पूर्व मुख्य जिला अधिकारी छवि रिजाल की विदेश यात्रा पर भी प्रतिबंध लगाया जाए।

आयोग ने स्पष्ट किया कि ये सभी लोग जांच के दायरे में हैं और किसी भी समय पूछताछ के लिए बुलाए जा सकते हैं, इसीलिए इन्हें न केवल विदेश जाने से, बल्कि बिना अनुमति काठमांडू घाटी छोड़ने से भी रोका गया है।

गौरतलब है कि 8 और 9 सितंबर को हुए जनजातीय विरोध प्रदर्शनों के पहले दिन पुलिस गोलीबारी में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई थी। आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़कर 70 से अधिक हो गई, क्योंकि कई घायलों ने दम तोड़ दिया और आगजनी की घटनाओं में भी लोगों की जान चली गई। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि इन मौतों और हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए।

पिछले हफ्ते गठित इस जांच आयोग की अध्यक्षता पूर्व विशेष न्यायालय अध्यक्ष गौरी बहादुर कार्की कर रहे हैं। आयोग को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह मानवीय और भौतिक क्षति का आकलन करे, घटनाओं के कारणों की पहचान करे और अपने निर्णायक निष्कर्षों के साथ सिफारिश पेश करे। इसके अलावा आयोग को अपनी सिफारिशों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक स्पष्ट कार्ययोजना भी प्रस्तुत करनी होगी।

जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों के बाद नेपाल में राजनीतिक स्थिति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की वर्तमान में अंतरिम सरकार की अगुवाई कर रही हैं। इस सरकार का प्रमुख दायित्व अगले साल 5 मार्च 2026 को प्रस्तावित प्रतिनिधि सभा चुनाव को सफलतापूर्वक संपन्न कराना है।

जांच आयोग का गठन सरकार और जनरेशन जेड आंदोलन के नेताओं के बीच हुई सहमति का हिस्सा है, ताकि हिंसा और उससे जुड़े नुकसानों की जवाबदेही तय की जा सके।

शहरी विकास मंत्रालय के प्रारंभिक अध्ययन के मुताबिक, तोड़फोड़ और आगजनी से सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को 100 अरब नेपाली रुपए से अधिक का नुकसान पहुंचा है। साथ ही 380 संघीय सरकारी इमारतें क्षतिग्रस्त हुई हैं।

वहीं, निजी क्षेत्र की सर्वोच्च संस्था फेडरेशन ऑफ नेपाली चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने अनुमान लगाया है कि निजी संपत्तियों को 80 अरब नेपाली रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है।

इन घटनाओं के बाद नेपाल सरकार और जांच आयोग पर यह दबाव बढ़ गया है कि वे जल्द से जल्द तथ्यों को उजागर करें और जिम्मेदार व्यक्तियों को कटघरे में खड़ा करें।


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