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बलूचिस्तान में हैजा का प्रकोप, आठ लोगों की मौत

स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान प्रांत में इस हफ्ते हैजा फैलने से आठ लोगों की मौत हो गई

बलूचिस्तान में हैजा का प्रकोप, आठ लोगों की मौत
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मुसाखेल जिले में छह बच्चों समेत कई जानें गईं

  • इमरजेंसी इलाज के लिए स्कूल को बनाया गया अस्थायी अस्पताल
  • डब्ल्यूएचओ और पाकिस्तान सरकार ने शुरू किया नेशनल कोलेरा कंट्रोल प्लान 2025-2028
  • जलवायु परिवर्तन और दूषित पानी से बढ़ रहा हैजा का खतरा

इस्लामाबाद। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान प्रांत में इस हफ्ते हैजा फैलने से आठ लोगों की मौत हो गई, जिनमें छह बच्चे शामिल हैं। इससे पिछले तीन हफ्तों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है।

जिला स्वास्थ्य अधिकारी अब्दुल गफ्फार खेतरान ने सिंहुआ न्यूज एजेंसी को बताया कि ये मामला मुसाखेल जिले के चीना खुंडी इलाके का है, जहां छह बच्चों और दो पुरुषों की जान चली गई। उन्होंने बताया कि क्वेटा, लोरालाई और बरखान से मेडिकल टीमें इलाके में पहुंच गई हैं, जबकि प्रांतीय स्वास्थ्य महानिदेशक के निर्देश पर दवाएं भेजी गई हैं।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मरीजों को इमरजेंसी इलाज देने के लिए एक सरकारी स्कूल को अस्थायी अस्पताल में बदल दिया गया है।

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इलाके के 14 मरीजों का इलाज चल रहा है।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने बीमारी फैलने के सोर्स का पता लगाने के लिए पानी के सैंपल भी इकट्ठा किए हैं।

इस साल की शुरुआत में, पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने नेशनल कोलेरा कंट्रोल प्लान 2025-2028 शुरू किया, जिसका लक्ष्य 2030 तक मृत्यु दर में 90 प्रतिशत की कमी लाना और देश को गंभीर जलवायु परिवर्तन से होने वाली आपदाओं के माहौल में हैजा के प्रकोप को रोकने, पता लगाने और उसका जवाब देने के लिए तैयार करना है।

पाकिस्तान में हैजा एक एंडेमिक (स्थानीय) बीमारी है। 2023 से जुलाई 2025 तक हर साल औसतन 21,000 से ज्यादा संदिग्ध और 250 कंफर्म मामले रिपोर्ट हुए हैं। इस साल स्वास्थ्य मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ ने नेशनल कॉलरा कंट्रोल प्लान 2025-2028 लॉन्च किया, जिसका लक्ष्य 2030 तक मौतों में 90 प्रतिशत कमी लाना है।

हैजा विब्रियो कोलेरी बैक्टीरिया से होता है, जो दूषित पानी या भोजन से फैलता है और गंभीर डायरिया का कारण बनता है। अगर समय पर इलाज न हो तो जानलेवा साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से जुड़ी बाढ़ और प्राकृतिक आपदाएं ऐसे प्रकोप को बढ़ावा दे रही हैं।

स्थानीय स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है और इलाज व जांच जारी है। अगर आप या आपके जानने वाले प्रभावित इलाके में हैं, तो साफ पानी का इस्तेमाल करें, हाथ अच्छे से धोएं और लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह स्थिति गंभीर है, लेकिन समय पर कदम उठाने से नियंत्रित की जा सकती है।


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