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1 लाख डॉलर की फीस सिर्फ नए एच1बी आवेदनों के लिए: अमेरिका

डॉनल्ड ट्रंप की ओर से स्किल्ड वर्कर्स वीजा की फीस बढ़ाने के बाद मची अफरा-तफरी के बीच अमेरिकी प्रशासन ने सफाई दी है कि बढ़ी हुई फीस सिर्फ नए आवेदनों पर लागू होगी

1 लाख डॉलर की फीस सिर्फ नए एच1बी आवेदनों के लिए: अमेरिका
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  • भारत पर लगे ट्रंप के टैरिफ की चपेट में कश्मीरी कारीगर
  • परिवारों के लिए पैदा होंगी समस्याएं: भारत सरकार

डॉनल्ड ट्रंप की ओर से स्किल्ड वर्कर्स वीजा की फीस बढ़ाने के बाद मची अफरा-तफरी के बीच अमेरिकी प्रशासन ने सफाई दी है कि बढ़ी हुई फीस सिर्फ नए आवेदनों पर लागू होगी.

भारत सरकार ने अमेरिका के स्किल्ड वर्कर्स वीजा एच1बी की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर किए जाने पर चिंता जताई है. भारत ने कहा है कि इसके मानवीय नुकसान होंगे. वहीं अमेरिका की ओर से भी सफाई दी गई है कि एच1बी वीजा की 1 लाख डॉलर की फीस केवल नए वीजा पर लागू होगी और यह उन लोगों को नहीं चुकानी होगी, जिनके पास पहले से ही एच1बी वीजा है, या जो लोग इसे रिन्यू कराना चाहते हैं.

हालांकि जब तक अमेरिकी प्रशासन की ओर से यह सफाई दी गई, तब तक एमेजॉन, माइक्रोसॉफ्ट और जेपी मॉर्गन सहित कई अमेरिकी कंपनियां अपने एच1बी वीजा वाले कर्मचारियों को अमेरिका छोड़कर ना जाने या अगर वो अमेरिका में थे, तो उन्हें तुरंत अमेरिका वापस लौटने की हिदायत दे चुकी थीं. सफाई आने से पहले तक अमेरिका में काम करने वाले कर्मचारियों और अमेरिकी कंपनियों में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को नए एच1बी वीजा की फीस बढ़ाकर 1 लाख अमेरिकी डॉलर कर दी थी. यह कदम 21 सितंबर से प्रभावी होना था. एच1बी वीजा पर अमेरिका में रह रहे लोगों में भारतीय लोगों की संख्या सबसे ज्यादा करीब 70 फीसदी है. ऐसे में इस कदम का सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर होने का डर था.

अमेरिकी प्रशासन की ओर से उठाए गए इस कदम पर दिए बयान में भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से शनिवार को कहा गया था कि यह कदम जिस तरह से परिवारों के लिए समस्याएं पैदा करेगा, उससे मानवीय नुकसान होंगे. बयान में भारत सरकार ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिकी प्रशासन इन समस्याओं को उपयुक्त तरीके से सुलझा सकता है.

पीयूष गोयल जाएंगे अमेरिका

भारत सरकार ने अपने बयान में कहा कि इन कुशल कर्मचारियों ने दोनों देशों को बहुत कुछ दिया है. नीति निर्माताओं को ऐसे में दोनों देशों के साझा हितों को देखते हुए हालिया कदमों पर विचार करना चाहिए. इन साझा हितों में दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत मानवीय संबंध भी शामिल हैं. इस बयान में अमेरिकी कदम के बाद भारत सरकार की ओर से उठाए जाने वाले किसी भी संभावित कदम की कोई जानकारी नहीं दी गई थी.

अमेरिका ने पिछले महीने रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर 25 फीसदी के अतिरिक्त टैरिफ लगाए थे, जिससे अमेरिका की ओर से भारत पर लगाया गया कुल टैरिफ 50 फीसदी हो गया था. दोनों देशों के बीच पिछले कुछ महीनों से व्यापार समझौते को लेकर तनातनी चल रही है. इसके बाद से डॉनल्ड ट्रंप ने कई बार भारत की अर्थव्यवस्था पर निशाना साधा है.

भारत सरकार ने शनिवार को जानकारी दी है कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल व्यापार समझौते पर आगे बातचीत के लिए अमेरिका जाएंगे. दोनों देशों के बीच व्यापार बातचीत पिछले कुछ समय से बंद थी. पिछले हफ्ते ही इसकी फिर से शुरुआत हुई है.


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