पर्यावरण संरक्षण की दिशा में दुनिया को भारत से उम्मीद: हर्षवर्धन
पर्यावरण एवं वन मंत्री हर्षवर्धन ने पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाने की प्राचीन भारतीय परंपरा का उल्लेख किया
नयी दिल्ली। पर्यावरण एवं वन मंत्री हर्षवर्धन ने पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाने की प्राचीन भारतीय परंपरा का उल्लेख करते हुये कहा है कि आज दुनिया के तमाम देश पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भारत से नेतृत्व की उम्मीद रखते हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने कल रात यहाँ यस बैंक द्वारा आयोजित ‘प्राकृतिक संपदा पुरस्कार समारोह’ के दौरान कहा “हमारे पूवर्जों को पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के तरीकों के बारे में पता था। वे जानते थे कि प्रकृति के साथ तालमेल बैठाकर किस प्रकार जीवन यापन करना है।
दुर्भाग्यवश समय के साथ हम उन बातों को भूल गये या उनकी सीखों पर पूरी तरह अमल नहीं कर पाये।”उन्होंने कहा कि आज दुनिया के तमाम देश भारत की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं। उन्हें लगता है कि पर्यावरण संबंधी समस्याओं का समाधान ढूँढ़ने में भारत ही नेतृत्व कर सकता है।
पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था ‘टेरी’ के अध्यक्ष अशोक चावला ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का सोच समझकर समुचित इस्तेमाल ऐसा विषय नहीं है जिसका सिर्फ शीर्ष सरकार से लेना-देना है। इसमें कारोबारियों, उद्योगों तथा आम लोगों को भी योगदान देना होगा। उद्योगों तथा कारोबारियों को सतत विकास का महत्त्व समझना होगा। उन्हें प्राकृतिक संसाधनों को अपनी जरूरत हिसाब से इस्तेमाल करते हुये नवाचार करना होगा।
पुरस्कार के लिए 10 हजार से ज्यादा फोटोग्राफरों ने और 522 कॉर्पोरेटों ने प्रविष्टियाँ भेजी थीं। इनमें इको कॉर्पोरेट विनिर्माण श्रेणी में अंबुजा सीमेंट को और इको कॉर्पोरेट सेवा श्रेणी में मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को प्रथम पुरस्कार दिये गये। राष्ट्रीय औद्योगिक अभियांत्रिकी संस्थान, मुंबई को इको कैंपस श्रेणी में विजेता घोषित किया गया। इको पर्यटन श्रेणी में टेरा इकोटूरिज्म को पुरस्कृत किया गया।
नेचर लीडर पुरस्कार भारत के ‘आइसमैन’ के नाम से विख्यात शिवांग नोर्फेल को दिया गया जिन्होंने जल संरक्षण के लिए कृत्रिम छोटे ग्लेशियर बनाये हैं। फोटोग्राफी के लिए पर्फेक्ट पिक्सेल श्रेणी में शिवांग मेहता और ट्रेलब्लेजर श्रेणी में संयुक्त रूप से रोतिब्रोतो मोइत्रा, श्रेया सिंघा रे और रबिंद्रनाथ साहू को प्रथम पुरस्कार दिये गये।


