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पर्यावरण संरक्षण की राह अकेली नहीं

जनरेशन रेस्टोरेशन'- इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम के संदर्भ में, यह लेख यह समझाने का प्रायस करता है कि नई सोच व सहयोगी रणनीति के माध्यम से पर्यावरण बचाव मुंकिन है।

पर्यावरण संरक्षण की राह अकेली नहीं
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डॉ आमना मिर्ज़ा
'जनरेशन रिस्टोरेशन' का विचार इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की थीम के माध्यम से चर्चा में है।अंतर्ष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण मुद्दों हैं जो एक दूसरे से संबंधित और इसी वजह से समाधान खोजने हेतू वैश्विक एकजुटता जुटाने के लिए यह अवसर महत्वपूर्ण हैं। अन्तर्राष्ट्रीय संबंध के अध्यन में पर्यावरण के विषय को प्राथमिकता देर से मिली। प्रभुत्व और सैन्य शक्ति के संदर्भ में राष्ट्रीय हित की अवधारणा महत्वपूर्ण हैं, लेकिन राष्ट्र अब अन्य खतरों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
जब हम एक पीढ़ी में बहाली की बात कर रहे है तो हमे एक विस्तृत रूप से समस्या को सुलझाने का दृष्टिकोण अपनाना होगा। इस थीम से जुड़े कई पहलू जैसे वनरोपण, खेतों को बहाल करना, अधिक विविध फसलें उगाना आदि भी महत्वपूर्ण है जिसके लिए
इनका कृषि नीतियों के साथ सही समन्वय की आवश्यकता है।
इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के मेजबान होने के नाते, पाकिस्तान ने 10 बिलियन ट्री सुनामी की बात रखी है। हाल ही में विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन में भी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मनुष्य व पृथ्वी ग्रह के स्वास्थ्य में परस्पर जोड़ के विचार पर ज़ोर दिया और साथ ही 'क्लाइमेट जस्टिस' की अवधारणा विस्तृत करी।
अतीत में, यह देखा गया था कि विकसित देशों या कुछ विशिष्ट समूहों के पक्ष में पक्षपाती होने के कारण वैश्विकरण व उससे जुड़े वैश्विक शासन के तंत्र की प्रक्रिया की आलोचना की गई। इसी संदर्भ में यह बात जरूरी है किसी भी वैश्विक पर्यावरण नीति में न्याय सुनिश्चित करना समय की मांग है जहां विकासशील देशों की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता ।
विभिन्न देश आज जैव विविधता संरक्षण, सर्कुलर अर्थव्यवस्था, के क्षेत्रों में नए प्रायस कर रहे है।
पर्यावरण बचाव के मुद्दों को सफल करने के लिए
लोगों का जुड़ाव भी अनिवार्य है। इनको सुनिश्चित करने के कार्य में लोगों की चिंता जैसे गरीबी, स्वास्थ्य, रोगज़ार आदि को ध्यान में रखना आवश्यक है। इस फोकस के साथ, कई देशों के लिए सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति भी आसान हो जाएगी।
विश्व समुदाय अभी करोना माहामारी से झूज रहा जहां संक्रमण में वायरस की नई म्यूटेशन की बात वैश्वीक प्रयासों की रूपरेखा बदल देती है। साथ ही अन्य समस्याएं नहीं थमने का नाम लेती, उदाहरण किस प्रकार हाल में दक्षिण-पश्चिमी आइसलैंड में रिक्जेनेस प्रायद्वीप पर ज्वालामुखी विस्फोट हुआ । महामारी से उबरने के बारे में सोचते हुए, हमें यह भी समझना होगा कि हमारा पर्यावरण भी निरंतर अपनी चुनौतियां पेश कर रहा है।
अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय विकास अभिकरण,ने 2009 में शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किया 'प्रेडिक्ट' जिसमें
जानवरों से मनुष्यों में आने वाले पैथोजन व जूनोटिक रोग पर ध्यान केंद्रित किया । इसमें वैश्वविक स्वास्थ्य के लिए सहयोगात्मक, बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता व साझा परिवेश और पर्यावरण के बीच अंतर्संबंध पर बल दिया गया। वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए भी, पर्यावरण और हमारे स्वास्थ्य के संबंध में वनों पर हमारी नीतियों की पुन: जांच करने की आवश्यकता है।
वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए एक नई मानसिकता की आवश्यकता है। राजनीतिक सीमाओं से परे मुद्दे अमूर्त संरचनाएं से नहीं, बल्कि मानव समाज पर ध्यान केंद्रित करके सुलझाया जा सकता है। जिस प्रकार महामारी के वक्र को समतल करने को एक समग्र उद्यम के रूप में किया गया, उसी प्रकार जैव विविधता संरक्षण के वक्र को कम करने के लिए, पैंडमिक द्वारा अर्थव्यवस्था की क्षति को ठीक करने के लिए वैकल्पिक रोजगार के नए अवसर और पर्यावरण सुरक्षा के लिए हर देश की नीति का संयुक्त कार्य होना चाहिए।

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