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विश्व कैंसर दिवस: कैंसर मामलों में हो रही है तेजी से वृद्धि

देश में कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है और 70 फीसदी मामलों में वृद्धि के साथ उम्मीद जताई जा रही है कि 2020 तक 17.3 लाख नए कैंसर के मामले और 8.8 लाख मृत्यु हो सकती हैं।

विश्व कैंसर दिवस: कैंसर मामलों में हो रही है तेजी से वृद्धि
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अनिल सागर

नई दिल्ली। देश में कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है और 70 फीसदी मामलों में वृद्धि के साथ उम्मीद जताई जा रही है कि 2020 तक 17.3 लाख नए कैंसर के मामले और 8.8 लाख मृत्यु हो सकती हैं। धूम्रपान, शराब, शारीरिक व्यायाम की कमी, मोटापा, असंतुलित खानपान को कैंसर के बढ़ते मामलों के जिम्मेदार बताया जाता है। चिकित्सकों, विशेषज्ञों के मुताबिक देश में कैंसर के अधिकांश मामले रोग के तीसरे और चौथे चरण में सामने आते हैं। आरंभिक चरण में केवल 12.5 प्रतिशत मरीज ही अस्पताल पहुंचते हैं और इसका कारण नियमित जांच तथा शीघ्र रोग को पकडऩे की राह में आने वाली चुनौतियां होती हैं।

फोर्टिस अस्पताल की ओंकोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. सुरेंद्र डबास बताते हैं कि सिर, गर्दन के कैंसर के मामले तंबाकू की खपत के चलते सबसे ज्यादा हो रहे हैं। ये भारत समेत विकासशील देशों में सभी प्रमुख कैंसर में 25 से 30 प्रतिशत हैं। स्तन, पैंक्रियाज, प्रोस्ट्रेट और फेफड़े के कैंसर विकसित देशों में प्रमुख प्रकार के कैंसर हैं। ओरल सब म्युकस फ्राइब्रोसिस ऐसी अवस्था है जो ओरल कैविटी को प्रभावित करती है। यह विकार केवल भारतीय उपमहाद्वीप तक सीमित है ऐसे करीब 84.4प्रतिशत मरीजों की उम्र अक्सर 35 साल से कम होती है। धूम्रपान, पेस्ट रूपी नशा जिसे मसूढ़ों पर लगाया जाता है या सूंघा जाता है। पान, गुटका या पान मसाला में सुपारी की मात्रा अधिक होती है और यह भारत में ओरल कैंसर के मामलों में तेजी से हो रही बढ़ोत्तरी का प्रमुख कारण है।

फेफड़े कैंसर पर डॉ. विकास मौर्या बताते हैं कि देश में, फेफड़े का कैंसर पुरुषों को दूसरे और महिलाओं को तीसरे नंबर पर सर्वाधिक अपने शिकंजे में ले रहा है। फेफड़े के कैंसर के लिए धूम्रपान सबसे प्रमुख 80 से 90 से प्रतिशत जोखिमकारक है।

डा. मौर्या बताते हैं कि भारत में, 2012 में फेफड़े के कैंसर से 63,759 मौते हुईं और इस तरह यह स्तन और गर्भग्रीवा कैंसर के बाद कैंसर संबंधी मौतों के मामले में तीसरा सबसे बड़ा कारण है। इनमें 15 फीसदी मरीज ऐसे होते हैं जो तंबाकू का किसी भी रूप में कभी सेवन नहीं करते लेकिन वायु प्रदूषण, सेकंड हैंड स्मोक, एस्बैसट्स एक्सपोजऱ, रैडन गैस एक्सपोजऱ, डीज़ल के धुंए या आनुवांषिकीय कारणों के चलते रोग के पकड़ में आ जाते हैं।

संबध हैल्थ फांउडेशन के संजय सेठ ने कहते हैं भारत में 26.7 करोड़ लेाग तंबाकू का उपभोग करते है। जबकि 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरु करते हैं। इनमें से अधिकतर की मौत को तंबाकू पर प्रतिबंध करके बचाया जा सकता है।

पूर्व रेल मंत्री व सांसद दिनेश त्रिवेदी बताते हैं कि युवाओं को अपने आत्मविश्वास को हमेशा साथ रखना चाहिए न कि किसी ब्रांडेड सिगरेट के पैकेट को। अधिकतर युवा सिगरेट इत्यादि का सेवन करतें है लेकिन आप अपने स्वस्थ जीवनशैली को चुने न कि कैंसर को।

जानकार मानते हैं कि धूम्रपान पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना से 90 प्रतिशत ओरल कैंसर में कमी हो सकेगी।

पद्मश्री डा. केके अग्रवाल कहते हैं कैंसर रोगी की पहचान होने के बाद पांच वर्ष जीवन, कई अन्य पहलुओं पर निर्भर करता है। ब्लैडर कैंसर में 78 प्रतिशत व फेफड़े के कैंसर में52 प्रतिशत कम से कम पांच साल जीवन की संभवनाएं होती हैं। यदि कैंसर का पता शुरूआती दौर में पता चल जाए


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