अगले सप्ताह इस्पात मशीनरी पर कार्यशाला भुवनेश्वर में
इस्पात उद्योग की मशीनरी के लिये विदेशी निर्भरता कम करने के तहत इस्पात मंत्रालय अगले सप्ताह भुवनेश्वर में एक कार्यशाला आयोजित करेगा

नयी दिल्ली । इस्पात उद्योग की मशीनरी के लिये विदेशी निर्भरता कम करने के तहत इस्पात मंत्रालय अगले सप्ताह भुवनेश्वर में एक कार्यशाला आयोजित करेगा जिसमें देश-विदेश की दिग्गज मशीनरी कंपनियां, विशेषज्ञ और कारोबारी हिस्सा लेंगे।
इस्पात मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि अर्थव्यवस्था के विकास में इस्पात क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2017 में वर्ष 2030-31 तक इस्पात का उत्पादन 30 करोड़ टन प्रतिवर्ष करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसे हासिल करने के लिये प्रतिवर्ष 170 टन प्रतिवर्ष इस्पात उत्पादन बढ़ाना होगा।
उन्हाेंने बताया कि देश में इस्पात का उत्पादन बढ़ाने की व्यापक संभावनायें हैं। फिलहाल देश में इस्पात की खपत 61 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है जबकि विश्व स्तर पर यह आंकड़ा 208 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है। राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 में इसे 160 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष करने का लक्ष्य निश्चित किया गया है।
सिंह ने बताया कि 30 करोड़ टन इस्पात उत्पादन क्षमता हासिल करने के लिये 25 अरब डालर तक खर्च करने होंगे। मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार प्रतिवर्ष 50 कराेड़ डालर मशीनें आयात करने तथा अन्य उपकरणों पर खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि इस निर्भरता को कम करने के लिये अगले सप्ताह 23 अक्टूबर को भुवनेश्वर में एक कार्यशाला का आयोजन करना होगा।
इसका मूल उद्देश्य इस्पात उद्योग की जरूरतों की पहचान करना, इस्पात मशीनरी उद्योग के लिये संभावनायें तलाशना और स्वदेशी निर्माता कंपनियों को को प्रोत्साहन देना शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कार्यशाला में इस्पात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग, नीति आयोग, राज्य सरकारों, इस्पात निर्माण कंपनियों, इस्पात उद्योग की मशीनरी आपूर्ति करने वाली कंपनियों के प्रतिनधि हिस्सा लेंगे।


