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आईएफएस अधिकारियों की कार्यशाला सम्पन्न

उत्तराखण्ड के देहरादून स्थित इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय वन अकादमी में 1982 बैच के वरिष्‍ठ भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों की दो दिवसीय कार्यशाला का कल बुधवार को समापन हो गया

आईएफएस अधिकारियों की कार्यशाला सम्पन्न
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देहरादून। उत्तराखण्ड के देहरादून स्थित इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय वन अकादमी में 1982 बैच के वरिष्‍ठ भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों की दो दिवसीय कार्यशाला का कल बुधवार को समापन हो गया।

20 फरवरी से शुरू हुई तक आईएफएस अधिकारियों के लिए आयोजित इस कार्यशाला का मुख्‍य विषय "अल्‍पतम सरकार, अधिकतम शासन – सुशासन स्‍थापना में वानिकी" रहा। उद्घाटन सत्र डॉ. शशि कुमार, निदेशक, इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय वन अकादमी की अध्यक्षता मे हुआ। कार्यशाला में वन शासन, नीतियों और कार्यक्रमों में सुधार जैसे समकालीन मुद्दों पर विस्‍तृत चर्चा की गई ताकि वनक्षेत्र में उभर रही चुनौतियों का सामना किया जा सके।

प्रतिभागियों ने वन प्रशासन में परिवर्तन और अनुकूलन, वनों को पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़ाने तथा वनकार्मिकों के प्रबंधन जैसे विषयों पर विमर्श किया और महत्‍वपूर्ण नीतिगत निष्‍कर्ष सामने आए जो राष्‍ट्रनिर्माण में वनसेवा की भूमिका को बढ़ाने में सहायक होंगे। इसके अतिरिक्त ये वरिष्‍ठ अधिकारी अकादमी में प्रशिक्षणरत 2016 बैच के आईएफएस. परिवीक्षार्थियों से भी मिले और उन्‍हें उन कैडरों के विषय में प्रत्‍यक्ष जानकारियों से रूबरू कराया जहां वे भविष्‍य में अपनी सेवाएं देने जा रहे हैं।

तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता डॉ. जीएस रावत, पूर्व महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, एके वहल, पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक और प्रधान सचिव, अरुणाचल प्रदेश तथा एमसी घिल्डियाल, पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक और सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी समिति के सचिव ने की। कार्यशाला में अन्‍य प्रतिभागियों के साथ सिद्धांत दास, वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार तथा डॉ. एससी गैरोला, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद भी शामिल रहे जिन्‍होंने देश की समृद्धि में वन-अधिकारियों द्वारा पारिस्थितिक सुरक्षा को अक्षुण्‍ण बनाए रखने की आवश्यकता को दोहराया।

समन्‍वयक डॉ. एसपी आनंद कुमार ने समापन सत्र में औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्‍तुत किया।


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