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मजदूरों को रोजीरोटी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा : अग्रवाल

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज कहा कि लॉकडाउन के कारण देशभर से प्रवासी मजदूरों के पलायन और उनकी दिक्कतों कारण कुछ राज्य सरकारों का अनुचित रवैया रहा है।

मजदूरों को रोजीरोटी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा : अग्रवाल
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नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज कहा कि लॉकडाउन के कारण देशभर से प्रवासी मजदूरों के पलायन और उनकी दिक्कतों कारण कुछ राज्य सरकारों का अनुचित रवैया रहा है। पार्टी ने विश्वास व्यक्त किया है कि घर लौटे श्रमिकों को रोज़ीरोटी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा और आर्थिक गतिविधियों के शुरू होने के साथ ही उनके रोजगार के अवसरों, पारिश्रमिक एवं सेवाशर्तों आदि में सुधार आएगा।

भाजपा के आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि लॉकडाउन के कारण देश भर में प्रवासी श्रमिकों के अपने घर लौटने में उन्हें पेश आयीं दिक्कतों के कारण कुछ राज्य सरकारों का अनुचित रवैया रहा है। उन्होंने कहा कि 27 मार्च को दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार के ऐसे ही रवैये के कारण अचानक तीन लाख मजदूर आनंद विहार तक पहुंच गये। महाराष्ट्र में ऐसी समस्या देखने में आयी। इनमें से करीब 80 प्रतिशत मजदूर उत्तर प्रदेश एवं बिहार के थे जिन्हें दोनों राज्यों की सरकारों ने अच्छी तरह से संभाला।

श्री अग्रवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने माना कि ऐसे समय में मजदूरों की इच्छा अपने घर पहुंचने की होती है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसकी योजना बनायी। पार्टी कार्यकर्ता के नाते मजदूरों को भोजन उपलब्ध कराने का जिम्मा भाजपा ने उठाया। सोशल डिस्टेंसिंग, बसों एवं रेलवे स्टेशनों पर उन्हें नियम से बैठाने में मदद करने आदि का काम भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने बखूबी किया।

उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने आपदा राहत कोष से राज्यों को खर्च का पैसा दिया ताकि प्रवासी श्रमिकों के क्वारंटाइन अवधि में राशन भोजन आदि की व्यवस्था करायी जा सके। मनरेगा में 40 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया ताकि घर पहुंचे मजदूरों को मनरेगा की मजदूरी से जीवन यापन में मदद मिल सके।

मजदूरों के घर लौटने से उद्योगों पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में एक सवाल पर भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश में प्रवासी श्रमिकों की संख्या लगभग पांच करोड़ है। लगभग एक से डेढ़ करोड़ श्रमिक घर लौटें हैं। उन्होंने कहा कि इस समय बाजार में मांग कम होने के कारण उद्योगों में उत्पादन भी बहुत कम हो रहा है। इसके लिए 33 प्रतिशत से 50 प्रतिशत कामगारों में काम चल रहा है तथा श्रमिकों की कहीं से भी कोई कमी अनुभव नहीं की जा रही है।

उन्होंने कहा कि जब आर्थिक गतिविधियां एवं यातायात सुविधाएं बढ़ेंगीं और मनरेगा का भुगतान रुक जाएगा तो इनमें से बहुत से मजदूर वापस लौटेंगे। जब मांग अधिक रहेगी और श्रमिकों की उपलब्धता कम रहेगी तो उससे श्रमिकों के पारिश्रमिक एवं अन्य सेवाशर्ताें में सुधार होगा।

उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने क्लस्टर आधारित औद्योगिक विकास की योजना को तेजी से बढ़ाने का निर्णय लिया है। जेवर के आसपास औद्याेगिक विकास होगा। डिफेंस कॉरीडोर बनेगा। नोएडा को फिनटेक (आर्थिक प्रौद्याेगिकी) हब बनाने, उत्तर भारत का ग्लोबल आर्बिट्रेशन सेंटर बनाने, आईटी, आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस और बिग डाटा एनालिसिस के साथ साथ इंडस्ट्रियल डिजायनिंग के विकास से समूचे उत्तर प्रदेश को दुनिया के तमाम देशों से आगे लाने की योजना पर काम शुरू हो गया है। इसी प्रकार से बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा में बड़े पैमाने पर विकास की कार्ययोजनाएं बनायीं जा रहीं हैं। इससे भारत आत्मनिर्भर बनेगा और देश में बेरोजगारी एवंगरीबी का उन्मूलन होगा।

श्री अग्रवाल ने लॉकडाउन के दौरान दो माह में अपने संसाधनों से 60 लाख रुपए के व्यय से गरीबों के भोजन, मास्क एवं पीपीई किट और जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध किया। श्री अग्रवाल की स्वयंसेवी संस्था दोस्त के माध्यम से 28 मार्च से सेक्टर दो में एक सामुदायिक रसोई स्थापित की और लाखों लोगों को भोजन उपलब्ध कराया। एक लाख से अधिक फेसकवर तैयार करके बंटवाये गये।


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