समय पर काम पूरा नहीं होने पर भेज देंगे जेल : सुप्रीम कोर्ट
आम्रपाली मामले में गुरुवार को दोबारा सुनवाई की गई

नोएडा। आम्रपाली मामले में गुरुवार को दोबारा सुनवाई की गई। इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली को कहा कि अगर समय पर काम पूरा नहीं हुआ तो जेल भेज देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली को ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लैजर पार्क प्रोजेक्ट में 19 टावर पूरे करने के लिए निर्माण शुरू कर पूरा करने की इजाजत दी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 1665 फ्लैट जल्द से जल्द तैयार करने को कहा है। इसके लिए कोर्ट ने 13 डवलपर्स से साझेदारी की अनुमति दी।
कोर्ट ने सात मार्च तक आम्रपाली को कोर्ट में इसके लिए अंडरटेकिंग दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि वो इसकी निगरानी करेगा व 27 मार्च को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाकी प्रोजेक्ट पर सुनवाई 15 मार्च को होगी। कोर्ट ने कहा कि हम पर ना रेरा का कोई असर होगा और न ही दिवालियापन कार्रवाई का।
कोर्ट की कोशिश है कि लोगों को फ्लैट मिल सकें। खरीदारों की ओर से कहा गया कि उन्होंने 2010 में फ्लैट बुक किए थे और तीन साल में इसे पूरा किया जाना था। इसमें 90 फीसदी राशि जमा कर दी गई है। कोर्ट ने कहा कि वह प्रोजेक्ट के आधार पर ही सुनवाई करेगा। हमें खरीदारों के हित की चिंता है, अगर समय पर फ्लैट नहीं दिए तो जेल भेज दिया जाएगा।
आम्रपाली की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ब्यौरे में कहा गया है कि उसके 10 प्रोजेक्ट में 10647 फ्लैटों में से 980 फ्लैट 3 से 6 महीने के बीच, 2085 फ्लैट 6 से 9 महीने के बीच, 3130 फ्लैट 9 से 12 महीने के बीच और 4452 फ्लैट 12 से 15 महीने के बीच तैयार होंगे। फ्लैट तैयार होने के बाद खरीदारों को कब्जा दिया जाएगा।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उनकी पहली प्राथमिकता खरीदार हैं। कोर्ट ने आम्रपाली से जल्दी पूरे होने वाले प्रोजेक्ट का ब्यौरा मांगा था। मामले पर सुनवाई के दौरान आम्रपाली की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कोर्ट को कुल परियोजनाओं व उनकी स्थिति का ब्यौरा दिया। वहीं दूसरी ओर फ्लैट खरीदारों की ओर से पेश वकील एमएल लाहोटी ने कहा कि इस मामले में 31,200 खरीदार कोर्ट के सामने हैं जिन्होंने कुल 470 करोड़ दे रखे हैं।
पीठ ने कहा कि उन्हें फ्लैट खरीदारों की चिंता है। कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें ये पता लग जाए कि इन परियोजनाओं को पूरा करने में कितना पैसा लगेगा तो वे इसके लिए दो उपाय कर सकते हैं।
एक या तो कंपनी के फ्रीज खाते डिफ्रीज कर देंगे ताकि परियोजनाओं का काम पूरा हो जाए या फिर खरीदारों से कहेंगे कि वे फ्लैट मिलने पर भुगतान की जाने वाली अंतिम किस्त कोर्ट में जमा करा दें और कोर्ट उस पैसे को परियोजना कंपलीट होने के हिसाब से जारी करे।


