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महिला सफाई कामगारों को तीन माह से नहीं मिला वेतन

नगर पालिक निगम में स्वच्छता अभियान के तहत घर-घर कचरा एकत्रित करने के काम में लगाए गए महिला सफाई कामगारों को तीन माह से वेतन नहीं मिल पाया है

महिला सफाई कामगारों को तीन माह से नहीं मिला वेतन
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भरण-पोषण में हो रही परेशानी

कोरबा। नगर पालिक निगम में स्वच्छता अभियान के तहत घर-घर कचरा एकत्रित करने के काम में लगाए गए महिला सफाई कामगारों को तीन माह से वेतन नहीं मिल पाया है। उन्हें परिवार के भरण-पोषण में परेशानी हो रही है साथ ही उधारी चुकाने का दबाव बढ़ता जा रहा है।

याद रहे निगम के 67 वार्डों के अंतर्गत प्रत्येक वार्ड में घरों से निकलने वाले गीला और सूखा कचरा एकत्र कर संग्रहण केंद्र तक पहुंचाने के लिए दो से तीन रिक्शा लगाए गए हैं। प्रत्येक रिक्शा के साथ तीन-तीन महिलाओं को काम पर लगाया गया है जो कि लगभग 200 घरों में प्रतिदिन पहुंचकर सीटी बजाकर कचरा उठाने का काम कर रहे हैं।

इस कार्य में लगी अधिकतर महिलाएं गरीब व पिछड़े तबके से आती हैं और ये महिलाएं पूर्व में दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार के जीवन यापन के लिए घर के पुरुषों के साथ सहयोग करती रही हैं। सुराकछार क्षेत्र में कचरा उठाव के कार्य में लगी महिलाओं ने बताया कि उनको कार्य करते हुए तीन माह गुजर चुके हैं किंतु उनका वेतन नहीं दिया गया है।

उन्हें बताया गया था कि हर महीने 5 हजार रुपये प्रति कामगार को वेतन दिया जाएगा और पीएफ भी काटा जाएगा। समय पर वेतन नहीं मिलने से उनका राशन दुकानों में उधार बढ़ती जा रहा है। अन्य जरूरी कार्य के लिए भी नगद उधार लेने के लिए वे मजबूर हो रहे हैं ।

माकपा ने की वेतन, पीएफ व भत्ते की मांग
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव सपुरन कुलदीप ने निगम आयुक्त व जिलाधीश को पत्र लिखकर घरों से कचरा उठाव के कार्य में नियोजित कामगारों को सही समय पर वेतन भुगतान करने, पीएफ, चिकित्सा, हैंड ग्लब्स सहित अन्य सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है।

माकपा नेता ने कहा है कि स्वच्छता अभियान के नाम पर दीवाल लेखन सहित अन्य प्रचार कार्य में लाखों रूपये खर्च कर दिया गया किंतु महिला समूहों के माध्यम से स्वच्छता अभियान का काम लेकर उनको वेतन भुगतान में विलंब किया जा रहा है।

सरकार के द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और महिला सशक्तिकरण के लिए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है जिन्हें सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक रूप से मजबूत करने हेतु स्थाई आजीविका व रोजगार उपलब्ध कराया जाना था। इन समूहों के माध्यम से छोटी-छोटी बचत कर बैंकों में बहुत बड़ी रकम जमा करवाई जा चुकी है किंतु उन्हें सम्मानजनक काम देने के बजाय इस तरह के कामों में लगा दिया गया है और वेतन से वंचित रखा गया है जो निंदनीय है।

कुलदीप नेे कहा है कि सरकार व निगम प्रशासन अपनी सारी जिम्मेदारियों को पूरा करने के नाम पर आम गरीब जनता को लूट रही है। संपत्ति व समेकित कर के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, कचरा, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के नाम पर अतिरिक्त टैक्स जनता के सिर पर थोपा जा रहा है।


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