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खुद से गर्भपात की कोशिश कर रही हैं अमेरिका की औरतें

अमेरिकी में ऐसी औरतों की संख्या बढ़ती जा रही है जिनका कहना है कि उन्होंने खुद ही गर्भपात करने की कोशिश की. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के गर्भपात पर फैसले के पहले और बाद हुए एक सर्वे में इसका पता चला है

खुद से गर्भपात की कोशिश कर रही हैं अमेरिका की औरतें
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अमेरिकी में ऐसी औरतों की संख्या बढ़ती जा रही है जिनका कहना है कि उन्होंने खुद ही गर्भपात करने की कोशिश की. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के गर्भपात पर फैसले के पहले और बाद हुए एक सर्वे में इसका पता चला है.

अमेरिका की सर्वोच्च अदालत ने जून 2022 में 'रो वर्सेज वेड' मामले में गर्भपात के मुद्दे पर हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया था. इसके बाद से अमेरिका में एक तरह से गर्भपात पर रोक लग गई. इसे लेकर काफी विवाद भी हो रहा है. इस बार के चुनाव के लिए भी इसे बड़ा मुद्दा बताया जा रहा है.

इसी बीच अमेरिका में हुए एक सर्वे से पता चला है कि गर्भवती महिलाओं ने जड़ी-बूटी खा कर, शराब पी कर या फिर अपने पेट में मुक्का मारकर भी गर्भपात कराने की कोशिशें की हैं.

सर्वे का नतीजा

यह सर्वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले और बाद में गर्भ धारण करने की उम्र वाली महिलाओं के बीच किया गया था. जिन महिलाओं ने खुद से गर्भपात की कोशिश की उनका अनुपात 2.4 फीसदी से बढ़ कर 3.3 फीसदी हो गया. सर्वे के नतीजे मंगलवार को जेएएमए नेटवर्क ओपन जर्नल में प्रकाशित हुए हैं.

पिट्सबर्ग की गायनेकोलॉजिस्ट डॉ ग्रेस फर्गुसन गर्भपात सेवा मुहैया कराती हैं. उनका कहना है, "बहुत से लोग ऐसे काम अपने हाथों से कर रहे हैं." रिसर्च रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि संख्या में इजाफा बहुत ज्यादा नहीं है, हालांकि आंकड़े दिखाते हैं कि ऐसी महिलाओं की संख्या लाखों में हो सकती है.

रिसर्चरों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले के छह महीनों में 7,000 महिलाओं से बात की थी. फैसले के करीब एक साल बाद 7,100 महिलाओं के दूसरे समूह से बातचीत की गई. रिसर्चरों ने महिलाओं से पूछा कि क्या उन्होंने कभी खुद से गर्भपात की कोशिश की थी. जिन औरतों ने हां कहां उनसे उनके अनुभवों के बारे में और सवाल पूछे गए.

मेरिका में गर्भपात के लिए दवा हासिल करने पर लगी पाबंदियां

सैन फ्रैंसिस्कों में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की एपिडेमियोलॉजिस्ट लॉरेन राल्फ रिसर्च रिपोर्ट की लेखकों में हैं. उनका कहना है, "हमारे आंकड़े दिखाते हैं कि गर्भपात को लोगों की पहुंच के लिए मुश्किल बनाने का मतलब यह नहीं है कि लोगों के लिए गर्भपात की इच्छा या जरूरत कम हो जाएगी."

खुद से गर्भपात

महिलाओं ने खुद से गर्भपात कराने के कई कारण बताए. इनमें निजता का ज्यादा ख्याल रखना, क्लिनिक में गर्भपात की प्रक्रिया कराने का भारी खर्च और अपना गर्भ खुद से मिटाने को प्राथमिकता जैसी वजहों का जिक्र किया.

इन लोगों ने कई तरीकों का जिक्र किया. कुछ ने दवाइयों की बात की जिनमें आपातकालीन गर्भनिरोधक और गर्भपात की दवा मिरसोप्रोस्टोल और मिफेप्रिस्टोन का इस्तेमाल, जिन्हें बिना डॉक्टर के पर्चे के भी हासिल किया जा सकता है.

कुछ महिलाओं ने शराब या नशीली दवाओं का इस्तेमाल किया. इसके अलवा कुछ महिलाओं ने तो नुकसान देह शारीरिक तरीकों का इस्तेमाल भी किया, मसलन खुद के पेट को चोट पहुंचाना, भारी चीजें उठाना या फिर शरीर में कोई चीज घुसेड़ना.

सर्वे में शामिल कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हें ब्लीडिंग और दर्द जैसी दिक्कतें हुईं और फिर उन्हें डॉक्टर के पास भी जना पड़ा. कुछ ने बताया कि उन्होंने क्लिनिक में जा कर गर्भपात कराया. कुछ महिलाओं का कहना है कि उनकी कोशिशों के तुरंत बाद गर्भ खत्म हो गया जबकि कुछ में गर्भपात बाद में हुआ. कुछ महिलाओं को तो चोट खाने के बाद भी गर्भ से छुटकारा नहीं मिल सका.

राल्फ ने रिसर्च को ले कर कुछ आपत्तियों और सीमाओं का भी जिक्र किया. उनका कहना है कि सर्वे में शामिल औरतों ने अपने गर्भपात के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी होगी. उनका कहना है रिसर्चर उनसे "एक संवेदनशील और अपराध की आशंका" वाले व्यवहार के बारे में पूछ रहे थे. फर्गुसन के मुताबिक, आखिर में यही कहा जा सकता है कि रिसर्च के नतीजों ने, "जो बात हमेशा से कही जाती रही है उसकी पुष्टि कर दी है. अगर आप औपचारिक तरीकों से इसे मुश्किल बना देंगे तो लोग इसे अनौपचारिक तरीके से करेंगे."


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