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हिंसा का सामना कर रही महिलाओं को ईयू में मिल सकता है शरणार्थी दर्जा

अपने देश में खतरों का सामना कर रही महिलाओं को यूरोपीय संघ में शरणार्थी दर्जा मिल सकता है. यूरोपीय संघ की अदालत के एक शीर्ष सलाहकार के इस बयान से दुनिया के कई देशों की महिलाओं में एक शरणस्थल मिलने की उम्मीद जगी है.

हिंसा का सामना कर रही महिलाओं को ईयू में मिल सकता है शरणार्थी दर्जा
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यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस के एक एडवोकेट जनरल रिचर्ड दे ला तूर ने कहा है कि इस श्रेणी में यूरोपीय संघ के बाहर रहने वाले ऐसी महिलाओं को शामिल किया जा सकता है जिन्हें "ऑनर" से जुड़े अपराधों, जबरदस्ती शादी या घरेलू हिंसा का खतरा हो.

दे ला तूर ने यह बात बुल्गारिया की एक अदालत द्वारा लाए गए एक मामले में कही जिसमें एक तलाकशुदा कुर्द महिला ने अदालत से कहा कि अगर वो अपने देश तुर्की वापस लौटीं तो उनके साथ हिंसा होने का खतरा है. बुल्गारिया की अदालत यह तय नहीं कर पा रही थी कि महिला को इस आधार पर शरणार्थी दर्जा दिया जाना चाहिए या नहीं.

इस महिला की जबरदस्ती शादी करा दी गई थी. उसके बाद उनके साथ कई बार घरेलू हिंसा हुई. उनके पति और परिवार के अन्य सदस्यों ने उन्हें धमकियां भी दीं. इन सब के बाद वो अपने घर से भाग गईं और अपना देश छोड़ कर बुल्गारिया पहुंचीं, जो यूरोपीय संघ का सदस्य देश है.

शरण का आधार

दे ला तूर ने इस मामले में कहा कि शरणार्थी के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण उन लोगों को दिया जा सकता है जिन्हें इस वजह से खतरा हो क्योंकि वो एक "विशेष सामाजिक समूह" का हिस्सा हैं और महिलाओं को संघ के कानून के तहत ऐसा एक समूह माना जा सकता है.

उन्होंने आगे कहा कि इसलिए इस मामले में बुल्गारिया के अधिकारियों को सावधानी से यह मूल्यांकन कर लेना चाहिए कि महिला तुर्की में जिन जोखिमों का सामना कर रही है उनका उसके लिंग से सीधा संबंध है या नहीं.

इस तरह की राय बाध्यकारी नहीं होती है, लेकिन ईसीजे जब कई हफ्तों बाद अंतिम फैसला सुनाती है तो आम तौर पर राय को मान ही लेती है.


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