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महिला आयोग ने की आंदोलनकारी महिलाओं की पिटाई के मामले की जांच

आयोग की सदस्य कंचना कट्टर, और प्रवीण सिंह टुल्लुरू में तहसीलदार कार्यालय गए तथा तहसीलदार और पुलिस उपाधीक्षक से बातचीत की

महिला आयोग ने की आंदोलनकारी महिलाओं की पिटाई के मामले की जांच
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अमरावती। राष्ट्रीय महिला आयोग ने रविवार को आंध्र प्रदेश के राजधानी क्षेत्र अमरावती के टुल्लुरु और मंडदम गांवों में उन महिलाओं के खिलाफ पुलिस के कथित क्रूर बर्ताव की जांच की जो राजधानी को अमरावती से विशाखापत्तनम ले जाये जाने के विरोध में आंदोलन कर रही थी।

आयोग की सदस्य कंचना कट्टर, और प्रवीण सिंह टुल्लुरू में तहसीलदार कार्यालय गए तथा तहसीलदार और पुलिस उपाधीक्षक से बातचीत की। एनसीडब्ल्यू सदस्यों ने टुल्लुरू और मंडदम गांवों में महिलाओं से मुलाकात की। महिलाओं ने पुलिस पर क्रूर व्यवहार करने का आरोप लगाया और अपनी चोटें भी दिखायीं।

महिलाओं ने आयोग के सदस्यों को बताया कि वे जब एक मंदिर में जा रही थी तब पुलिस ने उन्हें रोका और उनकी पिटाई की। बाद में उन्हें थाने में ले जाया गया। महिलाओं ने बताया कि उन्हें पता नहीं था कि गांव में धारा 144 लागू है।

उन्होंने आयोग के सदस्यों को मोबाइल फोन पर पुलिस के अत्याचार के वीडियो भी दिखाये। इस दौरान गुंटूर के सांसद गल्ला जयदेव और संयुक्त कार्रवाई समिति के सदस्य भी उपस्थित थे।

इस बीच श्री जयदेव और तेलुगू देशम पार्टी की नेता जी अनुराधा, दिव्यवाणी और पी अनुराधा ने महिला आयोग के सदस्यों से गुंटूर स्थित गेस्ट हाउस में मुलाकात की और आंदोलन के दौरान उनके खिलाफ पुलिस के बर्बर बर्ताव के बारे में जानकारी देते हुए एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

बाद में तेदेपा नेताओं ने मीडिया को बताया कि उन्हें आयोग के सदस्यों के पुलिस के उग्र व्यवहार के बारे में पूछताछ के लिए अमरावती आने पर प्रसन्नता हुई है। उन्होंने उनसे न्याय करने का आग्रह किया।

गौरतलब है कि सरकार के राजधानी के अमरावती से विशाखापत्तनम ले जाने के प्रस्ताव के विरोध में 29 गांवों के किसान, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं पिछले 25 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। पुलिस द्वारा घसीटे जाने और भगाये जाने के दौरान कुछ महिलाएं घायल हो गयीं।

इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री एवं तेलुगु देशम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने रविवार को यहां आयुष अस्पताल में घायल महिला आंदोलनकारी श्रीलक्ष्मी से मुलाकात की। आंदोलन के दौरान श्रीलक्ष्मी घायल हो गयीं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें जबरन घसीटा और कथित तौर पर उनके पेट पर लात भी मारी।


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