महिला कमांडों एवं भारत माता वाहिनी के सदस्यों ने जलाशय सफाई की उठाया बीड़ा
अगर जल संरक्षण के दिशा में वृहद स्तर पर अभियान नही छेड़ा गया तो वह दिन दुर नहीं कि पानी के लिए तृतीय विश्व युद्ध हो

दल्लीराजहरा। अगर जल संरक्षण के दिशा में वृहद स्तर पर अभियान नही छेड़ा गया तो वह दिन दुर नहीं कि पानी के लिए तृतीय विश्व युद्ध हो. लगातार पेड़ो की कटाई, समय पर पर्याप्त बारिश नही होने तथा बिगडते पर्यावरण के चलते पृथ्वी पर पानी का जल स्तर काफी नीचे चला जा रहा है.
वही भूमि के नीचे जल स्तर घटने का प्रमुख कारण कस्बों से लेकर नगर व बडेÞ महानगरों में सड़कों का सीमेंटीकरण माना जा रहा है. बारिश का पानी पृथ्वी के नीचे नही जा कर सीधे नदी नालों से बहकर समुद्र में जाकर जमा हो जाता है.
जलसंरक्षण को लेकर हमेशा चिंतित रहने वाले ग्रीन कमांडों विरेन्द्र सिंह ने इस क्षेत्र में पिछले 2 दशक से अधिक समय से शहर के साथ साथ ग्रामीण अंचलों में अपनी टीम को लेकर कार्य कर रहे है. इस वर्ष उन्होंने पिछले तीन दिनों से क्षेत्र के महिला कमांडों एवं भारत माता वाहिनी के सदस्यों को लेकर बीएसपी डेम साईड जलाशय को साफ करने का बीड़ा उठा रखा है.
तीन ओर पहाड़ियों से घिरा हुआ है राजहरा डेम- राजहरा डेम प्राकृतिक खुबसुरत वादियों एवं पहाड़ियों से घिरा हुआ है. इनके छटा अपने सौंदर्य को स्वयं बखान करती है. लेकिन माइंस क्षेत्र होने के कारण दल्ली प्लांट के आयरन ओर व फाइंस बारिश के दिनों में बहकर आकर डेम इससे पाटता जा रहा है.
कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों का इस डेम के आसपास शुटिंग किया जा चुका है. तब से लेकर बार-बार यह मांग उठते रही है कि इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए. जहां नौका विहार, चौपाटी, डेमसाइड पटे हुए फाइंस की खुदाई, रिटर्निंग वाल, एवं आकर्षक लाईटों से सजाया जाएगा. बच्चों के झुला, एडवेंचर, मिनी गार्डन जैसा आकर्षक स्वरूप दिया जा सकता है. राजहरा डेम साइड को पिकनिंक स्पाट के रूप में विकसित करने की योजना है.
राजहरा डेम का लाभ मिलता है समीपस्थ ग्रामीणों को- बारिश के दिनों में डेम लबालब के उपरांत ओवर फ्लो करते हुए ग्राम पंचायत चिखली जल ग्रहण क्षेत्र को है. जहां के पानी का सदुपयोग ग्राम पंचायत चिखली, नर्राटोला, बोरगांव, दारूटोला के किसानों को सिचाई के रूप में मिलता है.
नगर के पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि डेम के आसपास काफी संख्या में वन्य प्राणी मौजूद है जो गर्मी के दिनों में अपनी प्यास बुझाने के लिए राजहरा डेम की ओर आते हैं. इनमें , तेंदुआ, नीलगाय, हिरण, खरगोश सहित अन्य वन प्रणियां सम्मिलित है. दल्लीराजहरा में बीएसपी के द्वारा जब से प्लांट की स्थापना के समय इस डेम का निर्माण किया गया था. तत्कालीन समय से निरंतर डेम के पानी का सदुपयोग प्रबंधन के द्वारा किया जा रहा है किन्तु इसके रखरखाव की दिशा में कोई कारगर पहल नहीं किया जा रहा है.


