सुरक्षा कारणों से बीच में लगेगा महिला कोच : लोहानी
लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में अक्सर गार्ड के साथ महिला कोच लगाए जाने के बाद कई हादसों में महिलाओं के साथ आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के मामले सामने आए हैं

नई दिल्ली। लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में अक्सर गार्ड के साथ महिला कोच लगाए जाने के बाद कई हादसों में महिलाओं के साथ आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के मामले सामने आए हैं। इसलिए रेल मंत्रालय ने तय किया है कि महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बा न सिर्फ रेलगाड़ी के बीच में होगा इसे विशेष तौर पर रंगा जाएगा ताकि आसानी से इसकी पहचान हो सके।
इसके साथ ही रेलवे महिलाओं के लिए स्टेशन और ट्रेनों में अलग से शौचालय व चेंजिंग रूम भी बनाएगा। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी की अध्यक्षता में महिला यात्रियों की सुरक्षा को लेकर हुई बैठक में तय हुआ कि उपनगरीय रेलगाड़ियों में पांच मई 1992 को विशेष रेलगाड़ी चलाई और उसके बाद आज तक महिलाओं के लिए सुविधाओं का सफर जारी है।
लेकिन सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंधों को कसने की जरूरत है। इसीलिए महिला कोच में सीसीटीवी, खिड़कियों में जाली लगाई जाएंगी ताकि कोई भी बाहर से न घुस सके। महिला कोच में जांच के लिए भी रेलवे, आरपीएफ की एक-दो महिलाकर्मी नियुक्त की जाएंगी।
रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी मानते हैं कि अभी महिला कोच में अन्य लोग भी यात्रा करते पकड़े जाते हैं जिससे सुरक्षा को भी बड़ा खतरा रहता है। उन्होंने बताया कि अगले तीन वर्षों में महिलाकर्मियों द्वारा चलाए जाने वाले स्टेशनों की संख्या भी तीन से बढ़ाकर 100 तक की जाएगी और इसके लिए हर जोन से 10-10 स्टेशनों को चिन्हित किया जा रहा है।
चूंकि रेल मंत्रालय इस वर्ष को महिला यात्री वर्ष के तौर पर मना रहा है इसलिए रेलवे बोर्ड अध्यक्ष अश्विनी लोहानी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है जो कि महिला सुरक्षा पर योजना व योजना क्रियान्वयन पर काम करेगी। बता दें कि मुंबई के चर्चगेट से बोरीवली के बीच 26 साल पहले चली महिला स्पेशल आज देश के कई इलाकों में चल रही है। मुंबई में इस ट्रेन के सभी डिब्बों में सुरक्षा के लिहाज से सीसीटीवी लगाए जा चुके हैं। महिला दिवस से इसमें इमरजेंसी बटन की भी शुरुआत की गई।
ताकि मेडिकल या किसी खतरे से निपटने के लिए महिलाएं मदद मांग सकें। फरीदाबाद की दैनिक यात्री शालू मानती हैं कि दिल्ली में भी महिला स्पेशल व कोच में इमरजेंसी बटन आदि होने चाहिए। सूत्रों ने आज बताया कि ट्रेनों में सफर करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी को लेकर एक कमेटी भी गठित की गई है।
कमेटी में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी, सदस्य यातायात मोहम्मद जमशेद और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। इसने इस मुद्दे के बारे में एक नीतिगत फैसला भी किया है। उन्होंने बताया कि ब्योरे को अंतिम रूप देने के लिए रेलवे के विभिन्न जोन से विचार मांगे गए हैं। हालांकि सूत्रों ने कहा कि महिलाओं के डिब्बों को किस रंग से रंगा जाएगाए यह स्पष्ट नहीं है लेकिन रेलवे महिलाओं से जुड़े गुलाबी रंग पर विचार कर रहा है।
एक सूत्र ने कहा कि यह महसूस किया गया है कि अभी महिलाओं का डिब्बा ट्रेन के आखिर में होता है। कई बार डिब्बे बिलकुल ही अंधेरे में होते हैं और महिला यात्री उनमें चढ़ने से डरती हैं। यह सुरक्षा का मुद्दा है।
सूत्रों ने बताया कि यह फैसला भी लिया गया है कि इन डिब्बों में चाहे टिकट जांच करने वाले हों या आरपीएफ कर्मी, उनमें महिलाओं को शामिल रखा जाएगा। कमेटी ने यह भी कहा कि अगले तीन साल में महिलाओं द्वारा देखरेख किए जाने वाले स्टेशनों की संख्या मौजूदा तीन से बढ़ाकर 100 की जाएगी। कमेटी ने रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में इस तरह के बुनियादी ढांचे बनाने का भी फैसला किया है। जिनमें अलग शौचालय और चेंजिंग रूम शामिल किए जाएंगे।


