नौकरी की मांग को लेकर महिला एवं पुरूष ने किया आंदोलन
भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए उपयोगी एवं केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण दल्लीराजहरा-रावघाट रेल लाईन परियोजना के अंतर्गत कच्चे से रावघाट रेल्वे लाईन के निर्माण कार्य मेंं 479 किसान व लगभग 50 वन अधिकार

डौण्डी। भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए उपयोगी एवं केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण दल्लीराजहरा-रावघाट रेल लाईन परियोजना के अंतर्गत कच्चे से रावघाट रेल्वे लाईन के निर्माण कार्य मेंं 479 किसान व लगभग 50 वन अधिकार भूमि के किसानों की जमीन उक्त परियोजना के तहत रेल्वे प्रशासन द्वारा अधिग्रहण किया गया है।
जमीन अधिग्रहण से प्रभावित ऐसे किसानों के आश्रितों को रेल्वे अथवा बीएसपी मेंं नौकरी देने के वादा खिलाफी से आक्रोश होकर किसान नेता चंद्रशेखर यदु के नेतृत्व में किसान परिवार भानुप्रतापुर मेंं बिछाई जा चुकी रेल पटरी पर बैठकर 24 घंटे धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता चंद्रशेखर यदु सहित गंगाप्रसाद देहारी,धनाभीराम दुग्गा,नंदलाल जायसवाल,बासन नरेटी,प्रतिमा यदु,रंजना दर्रो सहित प्रदर्शनकारी प्रभावित किसानों ने कहा कि दल्लीराजहरा-रावघाट रेल लाईन परियोजना में हम लोगों की जमीन अधिग्रहण होने के बाद सभी प्रभावित किसान खेती करने से वंचित हो रहे हैं। किसानों ने कहा कि एक तरफ शासन द्वारा उद्योग एवं अन्य कार्यों के लिए जमीनों के अधिग्रहण का कानून देश में लाया जा रहा है जिसमें अक्सर देखा जाता है कि किसी भी प्रदेश में फलां योजना अथवा सार्वजनिक उद्योग अथवा शासन के विकास कार्यों की बात हो या किसी विशेष परियोजना की इसमें विधायक,सांसद अथवा किसी कद्दावर मंत्री या नेता के बड़े बड़े फार्म हाउस अथवा जमीन अछूती रहती है और कुल मिलाकर गरीब वर्गों की,किसानों की खेती योग्य भूमि निशाने पर होती है।
हम किसानों की जमीन भी भिलाई इस्पात संयंत्र एवं केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण रेल लाईन परियोजना की भेंट चढ़ गई है। रेल लाईन की इस महत्वपूर्ण योजना में किसानों की जमीन तो अधिग्रहण कर ली गई है लेकिन अधिग्रहण करने के बाद भी प्रभावित किसान परिवार के सदस्य को रेल्वे अथवा बीएसपी में नौकरी देने को लेकर रेल्वे और बीएसपी प्रबंधन द्वारा भेदभाव किया जा रहा है। शासन द्वारा किसानों की जमीन अधिग्रहित कर भी ली गई है तो एमओयू या यूं कहें कि वादा के अनुसार प्रभावितों को नौकरी नहीं देकर उनके साथ छल किया जा रहा है जिसका ताजा उदाहरण सबके सामने है। प्रभावित किसानों ने रेल्वे और बीएसपी प्रबंधन के इस नीति पर आक्रोश जताते हुए कहा कि जब तक रेल्वे अथवा बीएसपी प्रबंधन द्वारा प्रभावित किसानों के आश्रितों को नौकरी नहीं दी जायेगी तब तक यह आंदोलन अनिश्चित काल तक जारी रहेगा।
इस परियोजना में लगभग 50 प्रभावित किसान ऐसे भी हैं जिन्हें शासन द्वारा वन अधिकार भूमि का पट्टा दिया गया है जिसमें अंतागढ़ तहसील के ऐसे किसानों को न तो मुआवजा दिया गया और न ही रेल्वे अथवा बीएसपी में नौकरी दी गई है,नौकरी देने के नाम पर केवल छलावा हो रहा है। किसान नेता चंद्रशेखर यदु ने बताया कि इस परियोजना मेंं दल्लीराजहरा से रावघाट तक कुल 90 किलोमीटर की दूरी तक रेल लाईन बिछाई जानी है जिसके दूसरे चरण में डौण्डी ब्लाक अंतर्गत नवनिर्मित गुदुम स्टेशन से केंवटी के मध्य में आने वाले भानुप्रतापुर तक 15 किलोमीटर रेलपांत बिछाने के साथ सभी आवश्यक कार्यवाही पूर्ण करने के साथ ही दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे रायपुर मण्डल द्वारा रेल इंजन चलाकर परीक्षण भी किया जा चुका है।
बावजूद इसके रेल लाईन के लिए अपनी जमीन देने वाले प्रभावित किसानों के परिवार सदस्य को नौकरी देने में रेल्वे विभाग आनाकनी रवैया अपनाये हुए है। आंदोलनकारियों ने आगे बताया कि रेल्वे एवं बीएसपी प्रशासन ने शायद यह सोच रखा है कि किसानों को नहीं बक्शेंगे,गरीब किसानों का शोषण हर हाल में करेंगे तभी तो भानुप्रतापपुर तक रेल लाईन बिछाने का कार्य पूर्ण होने व रेल इंजन चलाकर परीक्षण लेने के बावजूद प्रभावित किसानों के परिवार सदस्य को नौकरी व मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। इसी प्रकार का कार्य इस परियोजना के प्रथम चरण दल्लीराजहरा से गुदुम स्टेशन तक 17 किलोमीटर बिछाई गई रेल लाईन के प्रभावित 14 किसानों की जमीन में रेल्वे विभाग के अधिकारी व निर्माणकर्ता एसएमएस कंपनी के ठेकेदार फर्जी तरीके से अतिक्रमण कर रेलपांत बिछा दिया गया और उन सभी पीड़ित किसानों की सुनवाई शासन द्वारा नहीं की गई है।
इधर भानुप्रतापपुर से लेकर डौण्डी तक इस आंदोलन की चर्चा जोरों पर है इसी चर्चा के तहत लोगों ने कहा कि यह भी सुनने व अखबार मेंं पढ़ने में आया है कि अति महत्वपूर्ण दल्लीराजहरा रावघाट रेलवे लाईन परियोजना के लिए प्रथम चरण के तहत दल्लीराजहरा से गुदुम के बीच बिछी रेल लाईन में अपना जमीन देने वाले कुछ किसानों के आश्रितों को अभी तक नौकरी नहीं मिली है।
डौंडी तहसील पोस्ट गुदुम के ग्राम मरकाटोला के किसान घनश्याम धनेलिया की बेटी चित्ररेखा धनेलिया को आज तक रेल्वे अथवा बीएसपी मेंं वैकल्पिक नौकरी नहीं दी जा सकी है जबकि रेल लाईन के परीक्षण उपरांत 1 फरवरी 2016 को जोर शोर से कार्यक्रम आयोजित कर दल्लीराजहरा से गुदुम स्टेशन तक पैसेंजर ट्रेन सेवा का शुभारंभ किया गया था यह सेवा तो शुरू हो गई लेकिन इसके लिए जमीन देने वाले किसान की बेटी आज तक नौकरी पाने के लिए रेल्वे और बीएसपी प्रबंधन कार्यालय के चक्कर लगाकर दो पाटों में पिस रही है।
जबकि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर के उप मुख्य कार्मिक अधिकारी द्वारा पत्र के माध्यम से उसे रेल्वे ट्रेकमेन पद के लिए चिकित्सा परीक्षण में अनफिट पाये जाने की जानकारी दी गई तथा बताया गया था कि इस प्रकरण को 2 जुलाई 2012 को केंद्रीय गृह सचिव की बैठक में लिए गए निर्णय तथा एमओयू के तहत उनकी वैकल्पिक नौकरी के लिए मूल आवेदन पत्र इस कार्यालय के पत्र क्रमांक पीबी/सीओएन/ई-75/884 13 सितंबर 2012 के द्वारा भारतीय इस्पात प्राधिकरण मर्यादित भिलाई को अग्रेषित किया जा चुका है।
दूसरी तरफ यह सुनने में आया है कि बीएसपी प्रबंधन उक्त पत्र को नजरअंदाज कर उसे वैकल्पिक नौकरी नहीं दे रही है,कुल मिलाकर तब से अब तक नौकरी देने के मामले मेें रेल्वे और बीएसपी प्रबंधन के आला अधिकारी बहाने बनाकर आनाकानी कर रहे हैं और किसानों की जमीन को अधिग्रहण करने में मार्गदर्शन कर रेल लाईन निर्माण में मदद करने वाले शासन में बैठे आला अधिकारी एवं जनहित में कार्य करने का राग अलापने वाले नेतागण भी ऐसे मामले मेंं किसी गरीब को न्याय नहीं दिला पा रहे हैं।


