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भारतीय संस्कृति में महिलाओं का स्थान हमेशा ऊंचा रहा : बघेल

 छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं का स्थान हमेशा ऊंचा रहा है। जिस समाज और जाति में नारी शक्ति का सम्मान नहीं होता उस समाज का पतन निश्चित है

भारतीय संस्कृति में महिलाओं का स्थान हमेशा ऊंचा रहा : बघेल
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राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं का स्थान हमेशा ऊंचा रहा है। जिस समाज और जाति में नारी शक्ति का सम्मान नहीं होता उस समाज का पतन निश्चित है।

श्री बघेल आज यहां गंडई में आयोजित चिल्हीडार महापर्व एवं बेटा जौतिया महाव्रत समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा कि गोंड़ आदिवासी समाज की सभ्यता-संस्कृति प्राचीन है। उन्होंने कहा कि बेटा जौतिया महाव्रत में महिलाएं अपने बेटों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए निर्जला उपवास रखती है।

उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज महिला-पुरूष में भेद नहीं करता। जनगणना के आंकड़ों से यह बात साबित होती है। आदिवासी समाजों में महिलाओं की संख्या पुरूषों से ज्यादा होती है। कई समाजों में पुरूषों के बराबर होती है लेकिन किसी भी आदिवासी समाज में महिलाओं की संख्या पुरूषों से कम नहीं होती। आदिवासी समाज के लोग बेटियों के प्रति समानता का भाव रखते है। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने आदिवासी समाज सहित पूरे छत्तीसगढ़ के किसानों और खेतिहर मजदूरों के हित में अनेक निर्णय लिए है। उन्होंने कहा कि किसानों के हित में आने वाले सालों में भी धान 2500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा। जंगल आज आदिवासी समाज के कारण बचा है। वनोपजों पर आदिवासियों का हक पहले बनता है।

श्री बघेल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने आदिवासियों की कला-संस्कृति को संरक्षण और बढ़ावा देने के उद्देश्य से आगामी दिसम्बर माह के दूसरे सप्ताह में राजधानी रायपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी लोककला महोत्सव आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसमें देश के विभिन्न राज्यों के आदिवासी समाज के कलाकारों द्वारा गीत-नृत्य के कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी।

वन मंत्री तथा जिले के प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि आज का समारोह गोंड़ आदिवासी समाज को संगठित रखकर नई दिशा देने के लिए आयोजित किया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जनता के हित मेंं जल्दी-जल्दी फैसले करते हैं। चुनाव से पहले किए गए वायदे को पूरा करने बस्तर में आदिवासियों की 5 हजार एकड़ जमीन को मालिकों को वापस किया गया।


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