Top
Begin typing your search above and press return to search.

बिना नहाए धोए उमस भरी गर्मी काट रहे बंदी

जल है तो कल है की कहावत अक्सर गर्मीयों में ही याद आती है। इनदिनों जिला मुख्यालय सहित पूरा क्षेत्र जल संकट से जूझ रहा है

बिना नहाए धोए उमस भरी गर्मी काट रहे बंदी
X

जांजगीर। जल है तो कल है की कहावत अक्सर गर्मीयों में ही याद आती है। इनदिनों जिला मुख्यालय सहित पूरा क्षेत्र जल संकट से जूझ रहा है। लोग अपने-अपने संसाधनों से किसी तरह निस्तार के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे है। मगर जिला मुख्यालय व सक्ती में संचालित बंदीगृह जहां सैकड़ों की तादात में विचाराधीन बंदी रह रहे है। इनके लिए पानी की समस्या बड़ी चुनौती बनी हुई है। इतने सारे लोगों के लिए नहाने व पीने के लिए पानी की व्यवस्था कर पाना जेल प्रशासन के लिए भी सिरदर्द बना हुआ है। आलम यह है कि बंदियों को रोज नहाने के पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए जेल परिसर में कई बोर खनन कराया जा चुका है। मगर पर्याप्त स्त्रोत न मिल पाने से ये बोर गर्मी शुरू होते ही सूख जाते है।

जानकारी की माने तो जिला जेल जांजगीर में 5 बोर तथा उपजेल सक्ती के 9 बोर फेल हो चुके है। जहां पुलिस बल व नगरपालिका के टैंकरों से जैसे-तैसे बंदियों को पानी मुहैया कराया जा रहा है।

भीषण गर्मी में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है। जिला मुख्यालय जांजगीर में चहुंओर पानी की किल्लत है, जिससे आमजन परेशान हैं। वहीं पानी की समस्या जिला जेल परिसर में विकराल रूप ले चुकी है। आलम यह है कि जेल परिसर में स्थापित पांच बोरवेल्स फेल हो गए हैं, जिससे जेल में निरूद्ध बंदियों को एक-एक बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। जेल परिसर में स्थित विभागीय आवास में रहने वाले कर्मचारी भी पानी की समस्या से त्रस्त हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, खोखराभाठा स्थित जिला जेल परिसर व कर्मचारी आवास में पांच बोरवेल्स हैं, लेकिन फरवरी के प्रारंभ से ही सभी बोर का जलस्तर गिर गया और यहां पानी के लिए लोग परेशान हो रहे हैं। जिला जेल में तैनात कर्मचारी भी पास ही के शासकीय मकान में रहते हैं, वे भी जल संकट से जूझ रहे हैं। वहीं जेल में निरूद्ध बंदियों से मिलने पहुंचे परिजनों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है।

जेल प्रशासन द्वारा जेल में बंद 261 बंदियों के लिए रोजाना तीन टैंकर पानी मंगाया जाता है, लेकिन सुबह पानी विलंब से पहुंचने के कारण बंदियों को निस्तारी के लिए परेशानी होती है। टैंकर कभी सुबह नौ तो कभी 10 बजे पहुंता है। ऐसे में उन्हें निस्तार के लिए रोज पानी का इंतजार करना पड़ता है।

टैंकर पहुंचा तो भिड़ गए बंदी

सक्ती उपजेल में भी पानी की गंभीर समस्या बनी हुई है। यहां भी भूमिगत जल स्त्रोत सूख जाने के चलते सभी बोर बंद हो चुके है। ऐसे में विचाराधीन बंदियों के लिए पानी की आपूर्ति टैंकरों से जैसे-तैसे की जा रही है। पालिका द्वारा की जा रही जल आपूर्ति भी नियमित नहीं है। पालिका को शहर के अन्य हिस्सों में भी टैंकर उपलब्ध कराना पड़ रहा है। इसी वजह से उपजेल में दो दिन बाद टैंकर शुक्रवार को पहुंचा जहां पानी लेने बंदी टूट पड़े। इसी आपाधापी में दो बंदी आपस में भिड़ गये, जिनके बीच मारपीट के दौरान एक बंदी का सिर में चोट आने की जानकारी दी गई है।

उपजेल सक्ती में 140 बंदियों को रखे जाने की क्षमता है। जहां फिलहाल 148 विचारधीन बंदी रखे गये है। जिनके लिए अब तक 9 बोर खनन कराया जा चुका है। मगर वर्तमान में सारे बोर ड्राई हो चुके है। ऐसे में इतने सारे बंदियों के लिए नहाने व पीने के लिए पानी उपलब्ध करा पाना आसान नहीं है। किसी तरह नगरपालिका सक्ती द्वारा टैंकर भेजी जा रही है। जिससे बंदियों को पानी कम ही सही उपलब्ध हो पा रहा है।

एक साल पहले डीजी ने किया था जेल का निरीक्षण
डीजी जेल गिरधारी नायक आज से ठीक एक साल पहले अप्रैल महीने में जिला जेल का निरीक्षण करने पहुंचे थे। तब भी पानी की विकराल समस्या से जेल अधीक्षक ने अवगत कराया था। हालांकि उनकी पहल पर नये बोर खनन की स्वीकृति मिली थी। मगर पूरा क्षेत्र ही ड्राईजोन होने की वजह से नये बोर भी फेल हो चुका है। इस बार भी पीएचई द्वारा बोर खनन कराये जाने की बात कही है। मगर अब तक जल स्त्रोत का परीक्षण नहीं हो पाने की वजह से बोर खनन का काम अटका पड़ा है।

लगातार गिर रहा भू-जल स्तर
बढ़ती गर्मी से शहर में जलसंकट गहराने लगा है। मार्च के प्रारंभ होते ही शहर का जल स्तर गिर जाता है। हालांकि इस वर्ष सामान्य बारिश हुई, लेकिन जिले में जलसंकट अन्य वर्षो की तुलना में इस वर्ष अधिक गहरा गया है। क्षेत्र का जलस्तर गिरने के चलते जेल परिसर के अंदर लगे बोर से पानी नहीं निकल रहा है। ऐसे में यहां फरवरी माह के प्रारंभ से ही पानी की किल्लत शुरू हो गई है। भू-जल स्तर गिरने के कारण शहर सहित आसपास के क्षेत्रों में लगभग माह भर पूर्व से ही कई बोर बंद हो गए हैं। वहीं अब दिन भर में कहीं एक बाल्टी तो कहीं बमुश्किल पीने का पानी मिल रहा है। ऐसे में नगरपालिका व पुलिस प्रशासन द्वारा कुछ टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है, जो पर्याप्त नहीं है। ऐसे में जेल में बंद कैदियों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।

परिसर के आसपास नहीं मिल रहा जल स्त्रोत-पीएचई
इस संबंध में पीएचई के ईई पीके केशरवानी ने बताया कि जिला जेल में नये बोर खनन किया जाना है। जिसके लिए बिलासपुर से भूमिगत जल स्त्रोत परीक्षण की टीम बुलाई गई है। जिनके अनुसार जेल परिसर के आसपास जल स्त्रोत नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में टीम खोखरा क्षेत्र के आसपास का सर्वे कर रही है। भूमिगत जल स्त्रोत मिलने पर बोर खनन कराया जावेगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it