अनुच्छेद 370 हटने से जम्मू का दर्जा कम हुआ : स्थानीय निवासी
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाला संविधान का अनुच्छेद 370 को हटाये जाने पर हिंदू बहुल जम्मू शहर के निवासियों का एक बड़ा वर्ग नाराज है।

जम्मू । जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाला संविधान का अनुच्छेद 370 को हटाये जाने पर हिंदू बहुल जम्मू शहर के निवासियों का एक बड़ा वर्ग नाराज है।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पिछले सप्ताह संसद के दोनों सदनों में पारित होना और अनुच्छेद 370 व 35 ए को निरस्त किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान किया जाना सरकार की एक बड़ी जीत है। इस प्रकार जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने का मार्ग सुगम हो गया।
हालांकि जम्मू में निवास करने वाले अनेक लोगों का कहना है कि अनुच्छेद 370 को हटाये जाने से इसका दर्जा प्रदेश से घट कर केंद्र शासित प्रदेश हो गया है।
यही नहीं, उनको लगता है कि इस कदम से अब वहां अवैध प्रवासियों को स्थायी निवासी बन जाने की अनुमति मिल जाएगी। इन प्रवासियों में मुख्य रूप से म्यांमार के लोगों के अलावा बिहार, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल के करीब 12 लाख प्रवासी मजदूर हैं। अब तक वहां सिर्फ प्रदेश के स्थानीय निवासियों को ही विशेषाधिकार प्राप्त था।
जम्मू निवासी 80 वर्षीय सीताराम खजुरिया ने कहा, "लोग जम्मू को राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे थे। मगर, केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश बनाने की घोषणा करके इसका दर्जा कम कर दिया है।"
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "क्या यह स्थानीय निवासियों के लिए न्याय है?"
उन्होंने कहा कि स्थानीय भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नेता भी इस फैसले को लेकर काफी उधेड़बुन में थे और उन्होंने सिर्फ अपना चेहरा बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत किया।
उन्होंने कहा, "अनुच्छेद 370 को अब हटाया गया है लेकिन सही मायने में अतीत में भी कई बार इसे नरम बनाया गया। प्रदेश के कांग्रेस नेता ने कूटनीतिक तरीके से कश्मीर के नेताओं का इस्तेमाल करते हुए इसके प्रावधानों को 1962, 1964 और 1965 में नरम बनाया।"
खजुरिया ने कहा, " दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद ने 1965 के अप्रैल में जी. एम. सादिक की अगुवाई में कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश के संविधान में संशोधन करने का समर्थन किया जिससे भारत के राष्ट्रपति को प्रदेश में किसी को भी राज्याध्यक्ष (राज्यपाल) बनाने की शक्ति मिली।"
उन्होंने कहा, "संविधान में संशोधन से सही मायने में अनुच्छेद 370 के महत्व को कम किया गया।"
स्थानीय हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने बताया कि अनुच्छेद 370 हटाये जाने और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने और इंटरनेट व मोबाइल सेवा बंद होने से कारोबार पर काफी बुरा असर पड़ा है।
होटल कारोबारी दिनेश गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, "जम्मू के अधिकांश होटल में जहां पहले कम से कम 50 फीसदी ऑक्यूपेंसी होती थी वहां इस समय 10 फीसदी से भी कम है।"
एक अन्य निवासी और सिख इंटेलेक्चुअल सर्किल के चेयरमैन नरिंदर सिंह खालसा ने कहा कि भाजपा अनुच्छेद 370 के नाम पर स्थानीय लोगों को सिर्फ मूर्ख बना रही है।
वहीं, भाजपा की स्थानीय इकाई चाहती है कि सरकार प्रदेश में बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीदने और सरकारी नौकरियों में नियुक्ति पर कुछ प्रतिबंध लगाए।
वरिष्ठ भाजपा नेता और विधायक निर्मल सिंह ने कहा, "हम आवास प्रमाण पत्र जैसी सुरक्षा चाहते हैं ताकि जमीन और सरकारी नौकरियों के मामले में स्थानीय निवासियों के हितों की रक्षा हो सके।"


