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नोटरी टिकिट से रखा वंचित, एसबीआई करेगी हर्जाना सहित भरपाई

राशि जमा किए जाने के बावजूद नोटरी टिकिट उपलब्ध नहीं कराए जाने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा भारतीय स्टेट बैंक की गंजपारा तथा भिलाई सेक्टर-10 स्थित शाखा के खिलाफ आदेश पारित किया गया है

नोटरी टिकिट से रखा वंचित, एसबीआई करेगी हर्जाना सहित भरपाई
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दुर्ग। राशि जमा किए जाने के बावजूद नोटरी टिकिट उपलब्ध नहीं कराए जाने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा भारतीय स्टेट बैंक की गंजपारा तथा भिलाई सेक्टर-10 स्थित शाखा के खिलाफ आदेश पारित किया गया है। फोरम ने एसबीआई शाखा प्रबंधकों को तीन दिनों तक नोटरी टिकिट उपलब्ध नहीं कराए जाने से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है। साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति के रुप में 20 हजार 500 रु. का भुगतान करने का निर्देश दिया है।

फोरम में दाखिल प्रकरण के अनुसार कसारीडीह निवासी अशोक अग्रवाल व उनके पुत्र अंशुल अग्रवाल का भिलाई सेक्टर-10 में संचालित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में संयुक्त खाता संचालित है। 2 फरवरी को नोटरी टिकिट प्राप्त करने के लिए अशोक अग्रवाल द्वारा 1800 रु. का चालान बैंक की गंजपारा स्थित शाखा में जमा किया गया था, लेकिन सेक्टत-10 स्थित शाखा द्वारा बैंक खाता को होल्ड पर रखे जाने के कारण नोटरी टिकिट उपलब्ध नहीं कराई गई।

खाता को होल्ड रखने का कारण खाता से ऋण की किश्त का भुगतान नहीं किया जाना बताया गया था। खाता में पर्याप्त रकम थी, इसके बावजूद बैंक ने ऋण की किश्त की कटौती न कर खाता को होल्ड कर दिया था। जिसके कारण 3 फरवरी से 5 फरवरी तक तीन दिनों तक अशोक अग्रवाल को नोटरी टिकिट उपलब्ध नहीं हो सकी। जिससे उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ और इससे उन्हें 4 हजार 500 रु. की आर्थिक क्षति भी हुई। इस आर्थिक क्षति की भरपाई के लिए प्रकरण को जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।

कंप्यूटर ने रोकी निकासी- प्रकरण पर उपभोक्ता फोरम द्वारा प्रेषित नोटिस के जवाब में बैंक प्रबंधन ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि अशोक अग्रवाल द्वारा इस संयुक्त खाता से बैंक से गृह ऋण लिया गया है।

इस खाता को होल्ड पर रखा गया था। उन्होंने इस खाता को बंद करने के लिए बैंक में आवेदन किया था। जिसके कारण 2 फरवरी को खाता से मैन्युअली होल्ड को हटाया गया। इसी अवधि में उन्होंने नोटरी टिकिट प्राप्त करने के लिए चालान व चेक जमा किया था। किंतु ऋण खाता बंद नहीं होने के कारण कंप्यूटर सिस्टम ने स्वीकार नहीं किया था। जिसके कारण नोटरी टिकिट उपलब्ध नहीं कराई जा सकी थी।


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