विपक्ष की मांग के बाद भी नहीं होगा संसद का शीतकालीन सत्र, सरकार ने दिया कोरोना का हवाला
देश में एक बार फिर से कोरोना संक्रमितों के आंकड़े में वृद्धि हो रही है इसी बीच आज मंगलवार को सरकार ने ऐलान किया है कि कोरोना के चलते संसद का शीतकालीन सत्र नहीं होगा

नई दिल्ली। देश में एक बार फिर से कोरोना संक्रमितों के आंकड़े में वृद्धि हो रही है इसी बीच आज मंगलवार को सरकार ने ऐलान किया है कि कोरोना के चलते संसद का शीतकालीन सत्र नहीं होगा। जी हां आज सरकार ने इस वर्ष संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाने का फैसला किया है। आज इस फैसले के बारे में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को पत्र लिखकर बताया है कि सभी दलों के नेताओं से चर्चा के बाद आम राय बनी थी कि कोरोना महामारी के चलते सत्र नहीं बुलाया जाना चाहिए। सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने एक बार फिर से सवाल उठाए हैं।
दरअसल कांग्रेस लगातार संसद सत्र की मांग कर रही थी। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी चाहते थे कि संसद सत्र बुलाया जाए ताकि संसद में कृषि कानूनों और किसानों से जुड़े मुद्दे पर सरकार से सवाल जवाब हो सके। कांग्रेस ये साफ कह रही है कि मोदी सरकार अपने मनमाने निर्णय और नए कानून के चलते घिर रही है और वह नहीं चाहती की इस समय कोई उनसे सवाल करे। कांग्रेस नेता का मनना है कि संसद सत्र में सरकार के तानाशाही फैसलों पर सवाल जवाब करना बहुत जरुरी है।
खास बात ये हैं संसद के मॉनसून सत्र से भी प्रश्नकाल को हटा दिया गया था। जी हां सरकार ने पिछली बार भी कोरोना महामारी का हवाला देते हुए संसद सत्र के समय को दो भागों में बांट दिया था जिसमें से एक राज्यसभा के लिए और दूसरा लोकसभा के लिए था। इस वक्त भी सरकार ने डिबेट और विपक्ष के प्रश्नकाल को हटा दिया था जिसपर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई थी। अब संसद के शीतकालीन सत्र को ही सरकार ने नहीं करने का फैसला किया है। सरकार का कहना है कि कोरोना महामारी के बीच शीतकालीन सत्र न हो यहीं उचित है, लेकिन सवाल ये है कि जब देश में चुनाव हो सकते हैं, देश में चुनावी रैलियां हो सकती हैं तो फिर संसद सत्र क्यों नहीं हो सकता। अगर संसद सत्र से कोरोना महामारी के फैलने का खतरा है तो क्या फिर बिहार में हुई रैलियां और हाल ही में हैदराबाद और पश्चिम बंगाल में हुए रोड शो से ये खतरा नहीं था। या फिर संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाने के पीछे का असली कारण जो कांग्रेस बोल रही है वहीं है कि सरकार अपने तानाशाही फरमानों को लेकर जवाब नहीं देना चाहती।
आपको बता दें कि मौजूदा समय में देश के अन्नदाता सड़कों पर हैं। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पूरे देश के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और न ही किसान वापस जाने के लिए। इस बीच सरकार ने अब संसद का शीतकालीन सत्र न करने का फैसला लिया है। सरकार ने कहा है कि अब जनवरी 2021 में संसद का बजट सत्र होगा।


