कोरोना के चलते हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र पर लटकी तलवार
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र धर्मशाला के तपोवन में 7 दिसंबर से लेकर 11 दिसंबर तक आहूत किया गया है लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुये इस पर संशय बना हुआ है

शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र धर्मशाला के तपोवन में 7 दिसंबर से लेकर 11 दिसंबर तक आहूत किया गया है लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुये इस पर संशय बना हुआ है।
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश सरकार सत्र को करवाने का खतरा मोल नहीं लेना चाहती लेकिन विपक्ष, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी और निर्दलीय सत्र के पक्ष में खड़े हैं। इसलिए विधानसभा सत्र लगभग तय माना जा रहा है। सत्र धर्मशाला में होगा या शिमला में इस पर अभी संशय बरकरार है।
आज विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार की गैरमौजूदगी में सर्वदलीय बैठक में सत्र पर चर्चा हुई। बैठक में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज, विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री,सीपीआईएम ठियोग के विधायक राकेश सिंघा व देहरा के निर्दलीय विधायक होशियार सिंह मौजूद रहे।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बैठक के बाद मीडिया को बताया कि विपक्ष और अन्य सदस्य सत्र करवाने के पक्ष में है। इसको लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से बात की जाएगी। सत्र को लेकर मंत्रिमंडल की बैठक में अंतिम फैसला लिया जाएगा । कोरोना काल में सरकार ने बहुत जगह बंदिशें लगाई ऐसे में सत्र कहां व कैसे होगा इस पर निर्णय लिया जाएगा। उधर, विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि विपक्ष सत्र करवाने के पक्ष में हैं। इसलिए सरकार सत्र को टालने की कोशिश न करे। सेशन होना चाहिए। क्योंकि जब शादियां व सरकारी जश्न हो रहे है तो सेशन करवाने में क्या समस्या है। कारोना पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाली सरकार असफल हो चुकी है। लगातार मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। इन सभी सवालों के जबाब सरकार से सत्र में मांगे जाएंगे।
विपक्ष के इस रवैये पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दो टूक कहा कि यदि सत्र होगा तो धर्मशाला के तपोवन में ही होगा। विपक्ष के नेताओं की सत्र को लेकर आपसी सहमति नहीं है। उनके नेताओं के सत्र को लेकर अलग-अलग बयान आ रहे हैं। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री को पहले अपने विधायकों से सत्र को लेकर राय ले लेनी चाहिए।


