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13 सौ बस्तियों में अशांति का कारण बनेंगी शराब दुकानें!

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्यप्रदेश से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गो के किनारे से शराब दुकानें हट रही हैं

13 सौ बस्तियों में अशांति का कारण बनेंगी शराब दुकानें!
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भोपाल । सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्यप्रदेश से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गो के किनारे से शराब दुकानें हट रही हैं, मगर यही दुकानें उन बस्तियों के लिए अशांति का कारण बनने जा रही हैं, जहां के लोग अब तक शांत और सुखमय जीवन जीते आ रहे थे।

सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय राजमार्गो पर होने वाले हादसों के लिए शराब दुकानों को भी एक बड़ा कारण मानते हुए निर्देश जारी किए थे कि सभी राष्ट्रीय राजमार्गो के किनारे स्थित शराब दुकानों को एक अप्रैल के पहले हटा दिया जाए। अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी राष्ट्रीय राजमार्गो से शराब दुकानों को दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है।राज्य के आबकारी आयुक्त अरुण कोचर ने चर्चा करते हुए बताया, राष्ट्रीय राजमार्गो के किनारे 13 सौ शराब (अंग्रेजी व देशी) दुकानें है, जिन्हें हटाया जा रहा है। इन दुकानों को दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा।

कोचर से जब पूछा गया कि ये दुकानें बस्तियों में स्थापित की जा रही हैं, इस पर कोचर का कहना है कि यह स्थानीय प्रशासन को देखना है कि ये दुकानें ऐसी जगह स्थापित न हों जिससे लोगों को परेशानी न हो। राष्ट्रीय राजमार्ग की दुकानें अन्य बस्तियों में स्थापित किए जाने के विरोध की खबरें राज्य के लगभग हर तरफ से आ रही हैं। लोग इस बात केा लेकर परेशान हैं कि एक तरफ उनके बच्चों के नशे का आदी होने का खतरा बढ़ जाएगा, वहीं शराबियों के जमावड़े से होने वाले विवाद उनके लिए मुसीबत का कारण बनेंगे।

छतरपुर जिले में सरकारी कन्या हाइयर सेकेंडरी स्कूल के पास स्थापित की जा रही दुकान का लोग विरोध कर रहे हैं और जिलाधिकारी रमेश भंडारी से शिकायत भी की है।

इस पर भंडारी का कहना है कि ये दुकानें कहीं न कहीं स्थापित तो की ही जाना हैं, शराब दुकान स्कूल के पास न हों इसका वे परीक्षण करा रहे हैं।स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मन्नू बेलदार का कहना है कि स्कूल के पास शराब दुकान स्थापित होने की शिकायत उन्होंने सीएम हेल्पलाइन से की, तो वहां से जवाब मिला कि जब दुकान स्थापित हो जाएगी, तब शिकायत दर्ज की जाएगी।

वे कहते हैं कि यह कैसी व्यवस्था है कि जब समस्या बन जाएगी, तब सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज होगी।नशा मुक्ति अभियान के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश आया है और दुकानें दूसरे स्थान पर स्थापित हो रही हैं। इससे समस्या का समाधान नहीं होने वाला है।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का जब फैसला आया था, तब आमजन यही समझ रहे थे कि ये दुकानें बंद हो जाएंगी, मगर ऐसा हुआ नहीं।

दूसरी ओर, राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शराब की नई दुकानें न खोलने और नर्मदा नदी के किनारे की दुकानें बंद करने की बात करते हैं, मगर हो क्या रहा है यह सबके सामने है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे की दुकानें तो बंद हो जाएंगी, मगर आबाद बस्तियों में इन दुकानों के स्थापित होने से आमजन को मुसीबत का सामना करना पड़ेगा, इसका जवाबदार कौन होगा, यह सवाल हर तरफ से उठ रहे हैं। बस्तियों में शराब दुकानों के स्थापित होने से विवाद, छेड़छाड़ और झगड़ों की वारदातें बढ़ने की संभावना से कोई भी इनकार नहीं कर सकता।

भोपाल । सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्यप्रदेश से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गो के किनारे से शराब दुकानें हट रही हैं, मगर यही दुकानें उन बस्तियों के लिए अशांति का कारण बनने जा रही हैं, जहां के लोग अब तक शांत और सुखमय जीवन जीते आ रहे थे।

सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय राजमार्गो पर होने वाले हादसों के लिए शराब दुकानों को भी एक बड़ा कारण मानते हुए निर्देश जारी किए थे कि सभी राष्ट्रीय राजमार्गो के किनारे स्थित शराब दुकानों को एक अप्रैल के पहले हटा दिया जाए। अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी राष्ट्रीय राजमार्गो से शराब दुकानों को दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है।राज्य के आबकारी आयुक्त अरुण कोचर ने चर्चा करते हुए बताया, राष्ट्रीय राजमार्गो के किनारे 13 सौ शराब (अंग्रेजी व देशी) दुकानें है, जिन्हें हटाया जा रहा है। इन दुकानों को दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा।

कोचर से जब पूछा गया कि ये दुकानें बस्तियों में स्थापित की जा रही हैं, इस पर कोचर का कहना है कि यह स्थानीय प्रशासन को देखना है कि ये दुकानें ऐसी जगह स्थापित न हों जिससे लोगों को परेशानी न हो। राष्ट्रीय राजमार्ग की दुकानें अन्य बस्तियों में स्थापित किए जाने के विरोध की खबरें राज्य के लगभग हर तरफ से आ रही हैं। लोग इस बात केा लेकर परेशान हैं कि एक तरफ उनके बच्चों के नशे का आदी होने का खतरा बढ़ जाएगा, वहीं शराबियों के जमावड़े से होने वाले विवाद उनके लिए मुसीबत का कारण बनेंगे।

छतरपुर जिले में सरकारी कन्या हाइयर सेकेंडरी स्कूल के पास स्थापित की जा रही दुकान का लोग विरोध कर रहे हैं और जिलाधिकारी रमेश भंडारी से शिकायत भी की है।

इस पर भंडारी का कहना है कि ये दुकानें कहीं न कहीं स्थापित तो की ही जाना हैं, शराब दुकान स्कूल के पास न हों इसका वे परीक्षण करा रहे हैं।स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मन्नू बेलदार का कहना है कि स्कूल के पास शराब दुकान स्थापित होने की शिकायत उन्होंने सीएम हेल्पलाइन से की, तो वहां से जवाब मिला कि जब दुकान स्थापित हो जाएगी, तब शिकायत दर्ज की जाएगी।

वे कहते हैं कि यह कैसी व्यवस्था है कि जब समस्या बन जाएगी, तब सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज होगी।नशा मुक्ति अभियान के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश आया है और दुकानें दूसरे स्थान पर स्थापित हो रही हैं। इससे समस्या का समाधान नहीं होने वाला है।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का जब फैसला आया था, तब आमजन यही समझ रहे थे कि ये दुकानें बंद हो जाएंगी, मगर ऐसा हुआ नहीं।

दूसरी ओर, राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शराब की नई दुकानें न खोलने और नर्मदा नदी के किनारे की दुकानें बंद करने की बात करते हैं, मगर हो क्या रहा है यह सबके सामने है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे की दुकानें तो बंद हो जाएंगी, मगर आबाद बस्तियों में इन दुकानों के स्थापित होने से आमजन को मुसीबत का सामना करना पड़ेगा, इसका जवाबदार कौन होगा, यह सवाल हर तरफ से उठ रहे हैं। बस्तियों में शराब दुकानों के स्थापित होने से विवाद, छेड़छाड़ और झगड़ों की वारदातें बढ़ने की संभावना से कोई भी इनकार नहीं कर सकता।


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