भाजपा को खैरागढ़ में मरवाही और दंतेवाड़ा की याद दिला देंगे : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा भूल गई है तो उसे खैरागढ़ में दंतेवाड़ा चित्रकोट और मरवाही याद दिला देंगे

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा भूल गई है तो उसे खैरागढ़ में दंतेवाड़ा चित्रकोट और मरवाही याद दिला देंगे। विष्णुदेव साय को कांग्रेस की खुली चुनौती है कि जैसे मरवाही में अपनी बी टीम से समर्थन लिया था, वैसे ही खैरागढ़ में भी समर्थन ले लें। कांग्रेस ने जब मरवाही में भाजपा और उसकी बी टीम के हौसले पस्त कर दिए तो खैरागढ़ में भाजपा किस आधार पर सपने देख रही है। भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि बस्तर की बारह की बारह सीटें कांग्रेस के पास हैं। दंतेवाड़ा उपचुनाव में जीतकर कांग्रेस ने भाजपा मुक्त बस्तर में तमाम शहरी और ग्रामीण सत्ता संस्थानों पर जनादेश हासिल किया है। अब खैरागढ़ उपचुनाव में जीत का परचम लहरायेंगे।
श्री शुक्ला ने कहा कि भाजपा जमीनी हकीकत से आंख मूंदकर सुनहरे ख्वाब देखना बंद करे। अभी नगरीय निकाय चुनावों में उसे उसके सारे हवाई मुद्दों की जनता ने हवा निकाल दी थी। भाजपा आखिर किन मुद्दों और किन नेताओं की दम पर खैरागढ़ उपचुनाव जीतने का ख्याली पुलाव पका रही है। भाजपा के स्थानीय नेतृत्व पर उनकी प्रदेश प्रभारी तक को भरोसा नहीं है। वे आये दिन इन नेताओं को उनकी औकात दिखाती रहती हैं। अब बस्तर में डेरा डालेंगी लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक जैसे चले हुए कारतूस अपनी सियासी बंदूक में भरने तैयार नहीं हैं। जिस पार्टी के पास न नेता है, न जनहित की नीयत है और न ही कोई नीति है, वह विकास और लोकहित की पर्याय कांग्रेस से क्या मुकाबला करेगी।
होलिका दहन के दिन भद्रा, आधी रात बाद दहन शुभ
रायपुर, 13 मार्च (देशबन्धु)।साल 2022 में होलिका दहन वाले दिन 17 मार्च को दोपहर से लेकर रात एक बजे तक भद्रा है जिसका निवास पृथ्वी लोक में है। ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन यानि फाल्गुन पूर्णिमा पर जिस समय पृथ्वी लोक में भद्रा का वास होता है तब होलिका दहन नहीं करना चाहिए। चूंकि इस बार पृथ्वी लोक की भद्रा हैए इसलिए आधी रात तक दहन नहीं किया जाएगा। भद्रा काल समाप्त होने पर रात्रि एक बजे के पश्चात होलिका दहन की परंपरा निभाई जाएगी।
होलिका दहन के पहले ढाल थापने का मुहूर्त
पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन महामाया मंदिर के पंडित मनोज शुक्ला बताते हैं कि महामाया मंदिर के पंचांग और काशी विश्वनाथ पंचांग वाराणसी के अनुसार ढाल थापने का मुहूर्त 14 मार्च को दोपहर 12.05 से शाम 06.31 बजे तक ढाल थापने का मुहूर्त है।
ढाल पोने का समय जो होली के एक दिन पहले ढाल पोते हैं उनको 16 मार्च को सुबह 06.15 से शाम 06.10 के बीच ढाल पो लेनी चाहिए। जो होली के दिन ढाल पोते है उनको गुरुवार 17 मार्च के दिन सूर्योदय से लेकर दोपहर 01.29 बजे के पहले ही ढाल पो लेनी चाहिए।
गोबर से बनाते हैं बड़बोलिया यानि ढाल
बुजुर्ग महिला 80 वर्षीय मीरादेवी शर्मा बतातीं हैं कि राजस्थानी परंपरा में गोबर से माला बनाई जाती है। गोबर को छोटे छोटे आकार में थापकर उसमें छेद करके धूप में सुखाते हैं। सूख जाने के बाद उसे मोटे धागे में पिरोकर गोबर की माला बनाई जाती है। इसे ही कहीं बड़बोलिया कहा जाता है और कहीं ढाल पिरोना कहते हैं। पिरोते समय शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखा जाता है।
सुख समृद्धि के लिए सिर पर घुमाते हैं
होलिका दहन से पहले बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसके सिर से गोबर की माला यानि ढाल को सिर पर सात बार घुमाती हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भाई पर आने वाली विपदा टल जाती है और भाई के जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है। इसी मान्यता के चलते ढाल बड़बोलिया को शुभ समय में पिरोया जाता है। ढाल का एक और अर्थ हैए अपनी रक्षा में सहयोग करने वाला अस्त्र। जैसे सैनिक युद्ध में लड़ते समय तलवार के वार से बचने लोहे की ढाल को उपयोग में लाते थे। वैसे ही नकारात्मक बुरी शक्तियों से बचने के लिए गोबर की माला रूपी ढाल को सिर से घुमाते हैं और अपने स्वजनों की रक्षा करते हैंए यह आस्थाए विश्वास की बात हैए गोबर को पवित्र मानते हैंए इसलिए गोबर से ढाल बनाते हैं।
होलिका में करते हैं समर्पित
गोबर की ढाल को उपयोग में लाने के पश्चात होलिका दहन करते समय होलिका और प्रहलाद की पूजा करके होलिका दहन की अग्नि में समर्पित कर दिया जाता है।
होलिका दहन महूर्त
17 मार्च को भद्रा दोपहर 01.29 बजे से मध्य रात्रि 01.09 तक पृथ्वी लोक की रहेगी।


