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क्या सिद्धू की वजह से एक बार फिर पंजाब का ध्रुवीकरण होगा?

भारत के राष्ट्रवादी लोग पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से नाराज हैं। जब से उन्होंने पाकिस्तान का दौरा किया और उसके सेना प्रमुख को गले लगाया है

क्या सिद्धू की वजह से एक बार फिर पंजाब का ध्रुवीकरण होगा?
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नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रवादी लोग पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से नाराज हैं। जब से उन्होंने पाकिस्तान का दौरा किया और उसके सेना प्रमुख को गले लगाया है, तब से राष्ट्रवादी भारतीय सिद्धू के कथित रूप से पाकिस्तान समर्थक विचारों के खिलाफ बहुत आहत हुए हैं और लोगों ने उनके खिलाफ आवाज उठाई है।

पार्टी समर्थकों के अलावा सभी सामाजिक और धार्मिक समूहों को कवर करते हुए राज्य भर में एक सीवोटर सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह भावना पंजाब में तेजी से फैली है।

गैर-सिखों और यहां तक कि गैर जाट-सिखों में भी सिद्धू के प्रति अरुचि स्पष्ट है। सर्वे के दौरान उत्तरदाताओं से सवाल पूछा गया कि क्या सिद्धू कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुए हैं या उनकी वजह से पार्टी को नुकसान हुआ है?

इस पर 54.3 प्रतिशत दलित सिख उन्हें पार्टी के लिए नुकसानदायक मान रहे हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि सिद्धू दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के लिए सार्वजनिक रूप से यह कहते रहे हैं कि दिल्ली में पार्टी के नेता एक कमजोर नेता चाहते हैं और एक ऐसा मुख्यमंत्री चाहते हैं, जिन्हें वे नियंत्रित कर सकें।

42 प्रतिशत से अधिक हिंदू मतदाता भी उन्हें पार्टी के लिए नुकसानदायक मानते हैं, जैसा कि 46 प्रतिशत से अधिक भाजपा समर्थकों का भी मानना है। मजेदार बात यह है कि कांग्रेस के 40.3 फीसदी समर्थक सिद्धू को नुकसानदायक मानते हैं जबकि 34 फीसदी उन्हें फायदेमंद मानते हैं।

उत्तरदाताओं से आगे पूछा गया कि आप किस हद तक सिद्धू को कांग्रेस में अंदरूनी कलह के लिए दोषी मानते हैं? इस सवाल के जवाब में सिद्धू को सबसे अधिक दोष हिंदू मतदाताओं ने दिया, जिनमें से 67 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने या तो पूरी तरह से सिद्धू को दोषी ठहराया या काफी हद तक उन्हें इसके लिए दोषी माना।

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यह पूछे जाने पर कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू, दोनों में से कौन बेहतर नेता है, इस पर सभी सामाजिक और धार्मिक समूहों में सबसे ज्यादा प्रतिशत के साथ 48.5 प्रतिशत हिंदुओं ने स्पष्ट रूप से कैप्टन को पसंद किया।

इससे कांग्रेस की चिंता बढ़नी लाजिमी है, क्योंकि आम आदमी पार्टी ने पहले से ही सिख वोटों का एक हिस्सा अपने पक्ष में होने के दावे किए हैं। वहीं दूसरी ओर कैप्टन और भाजपा के बीच नवगठित गठबंधन ने हिंदू वोटों का एक हिस्सा अपने पक्ष में जाने का दावा किया है।

विश्लेषकों का मानना है कि सिद्धू की तुनकमिजाजी और उनके एक्शन या कार्यों ने हिंदू समुदाय की सोच पर असर डाला है।


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