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किसान को लेकर निजी विधेयक पेश करेंगे : जयंत चौधरी

आरएलडी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर जयंत चौधरी बोले, किसान को लेकर बेपरवाह सरकार निजी विधेयक पेश करेंगे

किसान को लेकर निजी विधेयक पेश करेंगे : जयंत चौधरी
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नई दिल्ली। आरएलडी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर जयंत चौधरी बोले, किसान को लेकर बेपरवाह सरकार निजी विधेयक पेश करेंगे। राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के प्रतिनिधि सभा में मंगलवार को जयंत चौधरी को तीन साल के लिए अध्यक्ष चुन लिया गया है।

दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में प्रतिनिधिसभा की बैठक में जयंत ने कहा, अपनी जिम्मेदारी के प्रति समर्पित रहूंगा। हमारी ताकत बढ़ रही है।

जयंत चौधरी ने पार्टी द्वारा अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद कहा, आरएलडी पार्टी के शीर्ष पर एक और मौका दिए जाने पर मैं बहुत खुश हूं। हम साथ मिलकर इसे उन लोगों के गुणों और आकांक्षाओं को दशार्ते हुए एक जीवंत संगठन बना सकते हैं जिनका हम प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत की मुख्यधारा प्रगतिशील, उदार और धर्मनिरपेक्ष है। हम उन नींवों पर निर्माण करेंगे!

उन्होंने कहा कि अगर जनता के बीच रहंगे तो हम और आगे बढ़ेंगे। किसानों की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि किसान आंदोलन होता है तब पीएम सबको समाधान का आश्वासन देते हैं लेकिन बजट फिर से किसानों निराशा हाथ लगी। आज किसान ठगा महसूस रहा है। कितने किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

जयंत ने कहा किसान काम नहीं कर पा रहे हैं, ट्रैक्टर कम बिक रहे हैं। खेती के लिये लागत बढ़ रही है, उनके लिये कोई व्यस्था नहीं है। बजट का पैसा किसानों के पास नहीं जा रहा। कर्ज इतना बढ़ गया है कि किसान चुका पाने की हालत में नहीं हैं। यह सब जानकारी बाहर नहीं आ रही है।

उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने मनरेगा का बजट कम कर दिया है। गरीब और कमजोर पर मार पड़ रही है। किसान का एक बार लोन माफी नहीं चाहिए, यह संस्थागत होना चाहिए। इसमें सुधार होनी चाहिए। मैं इसपर निजी विधेयक पेश करूंगा। दूसरे राज्यों में अपने विचारधारा के करीब वाले ऐसे दलों के काम करूंगा, जो सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों के खिलाफ हैं।

वहीं केंद्र सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते हुए चौधरी ने कहा कि पीएम केवल नौकरी देने का ढोल पीट रहे हैं। देश में एक प्रणाली बने जो सरकारी क्षेत्र पद खाली है, वो छह महीने में भरे जाएं। महिलाओं की 50 फीसदी आबादी है, लेकिन उनको प्राइवेट सेक्टर में उस अनुपात में नौकरी नहीं मिल रहा है। गांव के लोगों को ऊपरी लेवल पर नौकरी नहीं मिलती है। हमें कमजोर की आवाज बनना है। कोई पद स्थाई नहीं है, विचारधारा को मजबूत करें। हमें अपने कमियों और खूबियों पर ध्यान देने की जरूरत है।


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