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क्या पैसे देकर मृत्युदंड से बच पाएंगी यमन में कैद भारतीय नर्स

यमन के सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नर्स की मौत की सजा के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया है. निमिषा प्रिया की कहानी खाड़ी के देशों में काम करने वाले भारतीय लोगों की समस्याओं और यमन के अंतहीन गृहयुद्ध के नतीजों पर रोशनी डालती है.

क्या पैसे देकर मृत्युदंड से बच पाएंगी यमन में कैद भारतीय नर्स
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निमिषा 2017 से यमन के एक नागरिक की हत्या के आरोप में यमन में कैद हैं. केरल में रह रहीं उनकी मां की कोशिशों से उनकी सजा के खिलाफ यमन के सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी लेकिन अदालत ने अपील को ठुकरा दिया है.

निमिषा को बचाने की उनके परिवार, शुभचिंतकों और भारत सरकार ने कई कोशिशें की हैं, लेकिन एक-एक कर सभी विकल्प अब खत्म होते जा रहे हैं.

क्या है मामला

निमिषा मूल रूप से केरल के पालक्काड़ से हैं और 2011 से यमन की राजधानी सना में हैं. वो वहां अपने पती और बेटी के साथ रह रही थीं और नर्स का काम कर रही थीं. 2014 में वहां गृहयुद्ध छिड़ जाने के बाद उनके पति और बेटी तो भारत वापस लौट गए लेकिन वो अपनी नौकरी की वजह से तुरंत लौट नहीं सकीं.

2015 में उन्होंने यमन के एक नागरिक तलाल अब्दो मेहदी के साथ मिल कर एक क्लिनिक शुरू किया. लेकिन उन्होंने अपने बयान में दावा किया है कि मेहदी ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उत्पीड़न किया.

यहां तक कि मेहदी ने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया जिससे उनका भारत लौटना भी मुश्किल हो गया. निमिषा के बयान के मुताबिक तंग आ कर जुलाई, 2017 में उन्होंने अपना पासपोर्ट हासिल करने के इरादे से मेहदी को बेहोश करने वाला एक इंजेक्शन दे दिया.

बचे हुए विकल्प

लेकिन इस इंजेक्शन से मेहदी की मौत हो गई, जिसके बाद निमिषा ने अपनी एक यमनी सहकर्मी के साथ मिल कर मेहदी के शरीर को काट कर एक पानी की टंकी में डाल दिया. कुछ दिनों बाद यह वारदात सामने आई और पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया.

दोनों पर मुकदमा चला और एक निचली अदालत ने निमिषा को मृत्युदंड और उनकी सहकर्मी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. निमिषा ने ऊपरी अदालत में अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर की लेकिन मार्च, 2022 में इस अदालत ने उनकी अपील को खारिज कर दिया.

अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी अपील को खारिज कर देने के बाद निमिषा के पास बचने के दो ही रास्ते बचे हैं. या तो देश के राष्ट्रपति उनकी सजा माफ कर दें या मेहदी का परिवार उन्हें माफ कर दे. यमन में लागू शरिया कानून के मुताबिक पीड़ित का परिवार चाहे तो 'ब्लड मनी' यानी मुआवजा लेकर मुजरिम को माफ कर सकता है.

निमिषा की मां प्रेमकुमारी मुआवजे के लिए मेहदी के परिवार से बातचीत करने सना जाना चाहती हैं. समस्या यह है कि गृहयुद्ध की वजह से अभी यमन में भारतीय लोगों को आने जाने से मनाही है. इसलिए प्रेमकुमारी भारत सरकार और दिल्ली हाई कोर्ट की मदद चाह रही हैं.

अदालत ने सरकार से कहा है कि वो एक हफ्ते में यमन जाने की प्रेमकुमारी की अपील पर फैसला ले. भारत सरकार ने अदालत को बताया है कि संभव है कि जल्द ही यमन के यात्रा संबंधित प्रतिबंधों में ढील दी जा सकती है.

सरकार पहले ही कह चुकी है कि वो मुआवजे के प्रस्ताव को लेकर बातचीत में नहीं पड़ेगी, लेकिन यह बातचीत करने के लिए जो भी यमन जाना चाहता हो उसकी यात्रा करने में मदद जरूर करेगी.


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