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उत्तराखंड में ‘छड़ी यात्रा’ को देंगे पूरा सहयोग : त्रिवेन्द्र

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि राज्य में चार धाम के लिए 70 साल बाद शुरू हो रही ‘छड़ी यात्रा’ को पूरी मदद दी जाएगी।

उत्तराखंड में ‘छड़ी यात्रा’ को देंगे पूरा सहयोग : त्रिवेन्द्र
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हरिद्वार । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि राज्य में चार धाम के लिए 70 साल बाद शुरू हो रही ‘छड़ी यात्रा’ को पूरी मदद दी जाएगी।

रावत ने आज यहां जूना अखाड़ा सिद्ध पीठ माया देवी मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना के बाद दशनामी छड़ी को चार धाम के लिए रवाना किया। उन्होंने कहा कि यात्रा व्यवस्थित तरीके से पूरी की जाएगी राज्य सरकार इसमें अखाड़ा परिषद को पूरा सहयोेग करेगी।

जूना अखड़े के प्रवक्ता तथा श्रीदूधेश्वरनाथ मठ मंदिर गाजियाबाद के श्रीमंत नारायण गिरी महाराज ने बताया कि श्री रावत ने शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चना के बाद छड़ी यात्रा को रवाना किया। छड़ी यात्रा सबसे पहले उत्तरकाशी जिल में स्थित गंगोत्री धाम और फिर यमनोत्री धाम जाएगी। उसके बाद यात्रा बदरीनाथ तथा केदारनाथ धाम के लिए रवाना होगी और यात्रा पांच नवंबर को समाप्त हो जाएगी।

श्री रावत ने कहा कि छड़ी यात्रा के माध्यम से प्रदेश नहीं बल्कि अन्य राज्यों के लोग भी नि:शुल्क चार धाम यात्रा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के माध्यम से हमारे हिन्दू समाज की परंपरा और पोैराणिक मान्यताएं भी बनी रहेगी। बाद में वह हरिद्वार में 2021 में होने वाले कुंभ की तैयारी का जायजा लेने के लिए मेला नियत्रंण भवन पहुंचे जहां उन्होंने मेला आयोजित की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने अखाड़ा परिषद से जुड़े संतों के साथ भी महाकुंभ को लेकर विचार विमर्श किया।

प्रवक्ता ने कहा कि पहले यह यात्रा कुमायूं के बागेश्वर जूना अखाड़े के बैजनाथ मंदिर से शुुुरू होकर तिब्बत होते हुए कैलाश के लिए निकलती थी। तिब्बत देश में तब दलाई लामा इसका सत्कार करते थे और कैलाश के महंत इसकी व्यवस्था करते थे फिर यात्रा उत्तराखंड के चार धाम के लिए रवाना की जाती थी। हरिद्वार से यह यात्रा पहली बार शुरू हुई है।

उन्होंने बताया कि बागेश्वर से चलने वाली यह यात्रा करीब 11 सौ वर्ष पुरानी है और इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को यात्रा करवाना है जो यात्रा तो करना चाहते थे मगर गरीबी के कारण यात्रा नहीं कर पाते। ऐसे लोगों को छड़ी यात्रा में मुफ्त यात्रा करवाई जाती थी। ऐसी ही यात्रा अमरनाथ छड़ी यात्रा और हिमाचल में भी होती है।


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