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 लोकतंत्र को बचाने के लिए लड़ाई जारी रखूंगा: शरद यादव

शरद यादव ने राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिये जाने के बाद आज कहा कि उनका कसूर यह था कि उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘अलोकतांत्रिक कार्यशैली ’के खिलाफ आवाज उठायी।

 लोकतंत्र को बचाने के लिए लड़ाई जारी रखूंगा: शरद यादव
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नयी दिल्ली। जनता दल (यू) के बागी नेता शरद यादव ने राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिये जाने के बाद आज कहा कि उनका कसूर यह था कि उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘अलोकतांत्रिक कार्यशैली ’के खिलाफ आवाज उठायी।

यादव ने ट्वीट करके कहा कि वह लोकतंत्र को बचाने के लिए लड़ाई जारी रखेंगे । उन्होंने अपने ट्वीट में नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया लेकिन परोक्ष रूप से उनकी कार्यशैली को अलोकतांत्रिक बताया ।



यादव ने लिखा,‘ मुझे राज्यससभा की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दे दिया गया है । बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को हराने के लिए महागठबंधन बनाया गया था लेकिन 18 माह बाद ही इसे तोड़ दिया गया और सत्ता में बने रहने के लिए राजग का हिस्सा बन गये । इस अलोकतांत्रिक कार्यशैली के खिलाफ आवाज उठाना मेरा कसूर है तो मैं लोकतंत्र को बचाने के लिए लड़ाई जारी रखूंगा ।’



इस बीच जद यू की बिहार इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि यादव का बिहार में पहले से ही जनाधार नहीं था आैर अब उनके राजनीतिक अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है । उन्होंने कहा कि एक जिलाध्यक्ष को छोड़कर पार्टी का एक भी प्रतिनिधि श्री यादव के साथ नहीं था लेकिन उन्होंने भ्रम फैलाने की कोशिश की । आखिरकार सच सामने आ गया।

सिंह ने कहा कि पार्टी के मना करने के बावजूद श्री यादव राष्ट्रीय जनता दल के कार्यक्रम में शामिल हुए और स्वेच्छा से पार्टी का परित्याग किया। उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की गयी है । दरअसल खुद को इस स्थिति में पहुंचाने के लिए वही जिम्मेदार हैं ।

उल्लेखनीय है कि राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने श्री यादव और जद यू के एक अन्य बागी नेता अली अनवर को कल राज्यसभा की सदस्यता के अयोग्य करार दे दिया । जद यू की ओर से पार्टी महासचिव आरसीपी सिंह ने सभापति से दोनों की सदस्यता समाप्त करने का अनुरोध किया था । दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सभापति इन नेताओं की सदस्यता समाप्त करने का फैसला किया।

अनवर ने अपनी प्रतिक्रिया में दो शेर पढ़े 'हम तो दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा।' ‘'न मैं गिरा न मेरे हौसलों के मीनार गिरे, पर मुझे गिराने में कुछ लोग कई बार गिरे।'


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