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घृणा और हिंसा का इज़हार क्यों?

राजस्थान में एक चुनाव प्रचार सभा को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वे चुनाव जीतने के लिये किसी भी तरह की भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं और किसी भी हद तक जा सकते हैं

घृणा और हिंसा का इज़हार क्यों?
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राजस्थान में एक चुनाव प्रचार सभा को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वे चुनाव जीतने के लिये किसी भी तरह की भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं और किसी भी हद तक जा सकते हैं। बुधवार को राजस्थान के बायतु (बाड़मेर) में आयोजित सभा में मोदी ने हमेशा की तरह घिसे-पिटे मुद्दों पर वहां अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश की। उन्होंने उस कथित 'लाल डायरी' का फिर से हवाला देते हुए मतदाताओं से अपील की कि वोट देने जाएं तो इतनी जोर से भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह कमल का बटन दबाएं मानों उन्हें (कथित भ्रष्टाचारियों को) फांसी दे रहे हों। यह मोदी की विरोधियों के प्रति घृणा व हिंसक प्रवृत्ति दोनों की ही ओर संकेत करता है। यह भाषण मोदी के उन भाषणों की श्रृंखला की ही एक कड़ी माना जा सकता है जिनमें वे लोकतंत्र की उनकी समझ का आभास देते हैं; साथ ही यह भी दर्शा देते हैं कि उन्हें अपने पद की गरिमा और प्रतिष्ठा का बिलकु ल ख्याल नहीं है।

उनके इस भाषण में कई बातें बतलाई गयीं। मसलन, कि राजस्थान में बहुत भ्रष्टाचार है, कानून-व्यवस्था इतनी ध्वस्त हो चुकी है कि पिछले पांच साल से राजस्थान के लोग हंगामों, पत्थरबाजी, कर्फ्यू आदि के चलते कोई भी पर्व-त्यौहार शांति से नहीं मना सके हैं। आतंकियों, दबंगों व दंगाइयों के बुलन्द हौसलों का कारण उन्होंने कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति को बतलाया। फिर, उनके मुताबिक इस राज्य में महिलाएं इतनी असुरक्षित हैं कि रात को घर से निकल नहीं सकतीं, बच्चियां तक निरापद नहीं हैं। मोदी के अनुसार अपराधियों के हौसले इसलिये बुलन्द हैं क्योंकि मुख्यमंत्री ऐसे हैं जो बलात्कार को फर्जी बतला देते हैं।

कांग्रेस को हटाना व भाजपा की सरकार को लाना उन्होंने इसलिये ज़रूरी बताया कि ऐसा करने से ही राजस्थान की संस्कृति सुरक्षित रहेगी। उन्होंने यह भी बतलाया कि उनके द्वारा दिल्ली से जो जल जीवन मिशन की राशि भेजी जाती है वह सरकार खा जाती है और इस तरह कांग्रेस सरकार पुण्य के काम में भी पैसे कमाने का व्यवसाय तथा भ्रष्टाचार करती है। इन दिनों मोदी का सबसे प्रिय विषय कथित लाल डायरी है जिसका उल्लेख वे राजस्थान के अपने हर दौरे पर अथवा उसका उल्लेख आने पर करते हैं। इस बार भी लाल डायरी का उल्लेख उनके भाषण में आया ही। उनका दावा था कि कांग्रेसी चाहे लाल डायरी को फर्जी बताते हैं, पर अब उसके पन्ने सामने आ गये हैं। मोदी ने कहा कि इस लाल डायरी के परिप्रेक्ष्य में अब एक भी कांग्रेसी प्रत्याशी नहीं जीतना चाहिए। उन्होंने लोगों से आह्वान तक किया कि जब भी कोई कांग्रेसी उनके पास वोट मांगने आये तो उससे लाल डायरी के बारे में पूछा जाना चाहिये। उनके अनुसार 'राजस्थान के बैंक के लॉकरों में लूटा हुआ रुपया और सोना मिल रहा है।'

जिस तरह से कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के आलू से सोना बनाने वाले बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता रहा, उसी तज़र् पर मोदी ने भी बहुत हल्केपन से कहा कि 'यह सोना आलू से नहीं बना है। वरना कांग्रेसी कह देंगे कि हमने आलू से बनाया है।' ऐसे लॉकर और भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वह पहली कार्रवाई करे। मोदी का भाषण बतलाता है कि उन्हें चुनाव जीतने के लिये न तो भाषायी मर्यादा की चिंता है और न ही तथ्यों के साथ बात करने की आवश्यकता है। वे चुनाव जीतने के लिए हिंसक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।

राजस्थान में बार-बार लाल डायरी की आधारहीन बात करना लगभग वैसा ही है जिस प्रकार वे छत्तीसगढ़ में आकर भूपेश बघेल की सरकार को बगैर तथ्यों या प्रमाणों के भ्रष्ट कहते हैं। बघेल पर उनका आरोप यह है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार को कांग्रेस के शीर्ष नेताओं व पार्टी के लिये एटीएम बनाकर रख दिया है। यानी यहां से खूब सा पैसा दिल्ली भेजा जाता है। हालांकि यहां केन्द्रीय जांच एजेंसियों, खासकर प्रवर्तन निदेशालय व आयकर का मनमाना उपयोग विरोध को दबाने के लिए हुआ है, वह तो सामने है ही, उलटे यहां भाजपा ही भ्रष्टाचार के कई मामले में फंसी हुई दिख रही है। यहां के एक भाजपा प्रत्याशी के कथित वायरल वीडियो में बताया जा रहा है कि जब यहां भाजपा सरकार थी तो यहां से पैसा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, उनकी पत्नी एवं अमित शाह तक जाता था। वैसे राजस्थान में जिस प्रकार से एक ईडी अधिकारी को घूस लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है उससे ईडी की विश्वसनीयता तो घेरे में आई ही है, यह भी पता चल गया है कि इन एजेंसियों का इस्तेमाल मोदी एवं शाह के इशारों पर सिर्फ विरोधियों को परेशान करने के लिये किया जा रहा है। बघेल पर भी सट्टा खिलाने वाले महादेव एप से 508 करोड़ लेने के आरोप लगाये गये पर पुष्टि एवं जांच के बिना।

इस बीच मध्यप्रदेश की मुरैना सीट पर विधानसभा का चुनाव लड़ रहे केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के पुत्र देवेन्द्र सिंह तोमर के दो वीडियो पर भी मोदी मौन हैं जिनमें वे 500 करोड़ रुपयों के लेन-देन की बात कर रहे हैं। पहले इसे फर्जी बतलाकर बचने की कोशिशें हो रही थीं, लेकिन कनाडा में बैठे उस व्यक्ति ने इसकी पुष्टि कर दी है जो देवेन्द्र सिंह से ये बातें कर रहा है। गहलोत-बघेल पर आरोप लगाने वाले मोदी और शाह के साथ ईडी, सीबीआई, आईटी आदि इस मामले पर एकदम चुप्पी साध लेते हैं।


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