बिहार विधानसभा चुनाव में क्यों हारा महागठबंधन?,क्या है हार का कारण
क्योंकि तमाम एग्जिट पोल के मुताबिक महागठबंधन को एकतरफा जीत मिलती दिखाई दे रही थी और नीतीश कुमार पिछड़ते हुए साबित हो रहे थे...लेकिन ऐसा क्या हुआ कि तमाम एग्जिट पोल्स के दावों के बाद भी महागठबंधन फेल साबित हुआ

बिहार विधानसभा चुनाव 7 नवबर को खत्म हो चुका था जिसके बाद इंतजार था परिणाम का लेकिन उससे पहले आए एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक महागठबंधन में खुशी की लहर थी...क्योंकि तमाम एग्जिट पोल के मुताबिक महागठबंधन को एकतरफा जीत मिलती दिखाई दे रही थी और नीतीश कुमार पिछड़ते हुए साबित हो रहे थे...लेकिन ऐसा क्या हुआ कि तमाम एग्जिट पोल्स के दावों के बाद भी महागठबंधन फेल साबित हुआ.. बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों पर सरकार बनाने के लिए मैजिक नंबर है 122. कल तक जहां अनुमान लगाया जा रहा था कि इस मैजिक नंबर को महागठबंधन पार कर देगा तो आज परिणाम इसके बिल्कुल उलट आ रहे हैं.कल तक एग्जिट पोल में सामने आ रहा था कि इस बार तेजस्वी सरकार तो वहीं इसके उलट इस बार नीतीशे कुमार ही सही साबित हो रहा है.
महागठबंधन की हार के 5 कारण
1.. महागठबंधन की हार का सबसे मुख्य कारण रहा सहयोगियों का साथ छोड़ना वो भी चुनाव के ठीक पहले.जिस तरह से चुनाव से ठीक पहले हम के जीतनराम मांझी ने महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया, आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा और वीआईपी के मुकेश सहनी का भी महागठबंधन से अलगाव हो गया .
2.. इस चुनाव में पहले जहां टिकट बंटवारे को लेकर कई साथी दलों का छोड़कर जाना महागठबंधन के लिए हार की वजह बना तो कहीं न कहीं सीट बंटवारा भी नैया डुबो बैठा. क्योंकि आरजेडी के बाद महागठबंधन में सबसे ज्यादा 70 सीट पर कांग्रेस ने ताल ठोकी और उम्मीद पर खरी नहीं उतर पाई यानी सीट के हिसाब से कांग्रेस प्रदर्शन करने में नाकाम साबित हुई.
3.. चुनाव में महागठबंधन ने प्रचार-प्रचार में तो खूब जोर लगाया. रैलियों में भी खूब भीड़ उमड़ी...जनता में भरपूर उत्साह देखने को मिला. लेकिन ये उत्साह केवल मैदान और नारों तक ही गूंज कर रह गया.महागठबंधन इसे अपने वोटबैंक में तब्दील नहीं कर पाया.
4.. कहीं न कहीं भीड़ को वोटबैंक में तब्दील न कर पाना महागठबंधन के अतिउत्साह को भी दर्शाता है. और जिस तरह से चुनाव से पहले सहयोगियों ने तेजस्वी यादव का साथ छोड़ा था उस हिसाब से तेजस्वी एकदम अकेले पड़ गए और कहा जा सकता है कि रणनीति तैयार करने के लिए अनुभव की कमी भी हार की वजह रही है .
5...महागठबंधन में हार की सबसे बड़ी वजह सीएम का चेहरा रहा है. युवा नेता के तौर पर आरजेडी ने तेजस्वी के नाम को चमकाना चाहा, लेकिन दूसरे सहयोगी इस पर राजी नहीं हुई, ये तकरार काफी लंबी, लेकिन आखिर बात बन ही गई...लेकिन इस देरी ने महागठबंधन को काफी नुकसान पहुंचाया है.
तो ये पांच कारण है जिनकी वजह से महागठबंधन जीत का परचम लहराने में नाकाम साबित हुआ है. इस बार नीतीश और मोदी का साथ महागठबंधन के हाथ खाली कर गया.


