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स्मार्टफोन की मरम्मत करना मुश्किल क्यों है

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत करना काफी महंगा सौदा साबित होता है. आखिर ऐसा क्यों है?

स्मार्टफोन की मरम्मत करना मुश्किल क्यों है
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एचओपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "निर्माता और विक्रेता इंडेक्स को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं. जैसे कि मैन्युअल तौर पर मरम्मत करने की सुविधा को आसान बना रहे हैं और स्पेयर पार्ट्स आसानी से उपलब्ध करा रहे हैं.”

एचओपी ने यह भी कहा कि बहुत कम ही ऐसे प्रॉडक्ट थे जो कम इंडेक्स वाली कैटगरी में शामिल थे. इसका मतलब यह हुआ कि या तो ज्यादातर प्रॉडक्ट का मरम्मत करना आसान था या इसके पालन के लिए किसी तरह का कड़ा मानदंड नहीं अपनाया गया था.

हालांकि समूह ने इस बात को लेकर निराशा जाहिर किया कि जिन उपकरणों को अलग-अलग हिस्सों में नहीं बांटा जा सकता है, उन्हें भी बेहतर अंक मिले. अगर किसी उपकरण को अलग-अलग हिस्सों में नहीं बांटा जा सकता है, तो उसका मरम्मत करना भी काफी मुश्किल हो जाता है.

एचओपी ने एप्पल और सैमसंग को उदाहरण के तौर पर पेश किया. "इंडेक्स में शामिल इन कंपनियों के तीन गैजेट को अलग-अलग हिस्सों में बांटा जाना संभव नहीं था, क्योंकि वे या तो एक साथ चिपकाए हुए थे या वे आपस में पूरी तरह जुड़े हुए थे.”

अपनी खोज के नतीजों को देखते हुए, एचओपी ने ज्यादा पारदर्शिता की मांग की. समूह ने कहा कि वह प्रकाशित किए गए इंडेक्स से जुड़ी विस्तृत जानकारी देखना चाहता है, जिसमें यह भी डेटा शामिल हो कि कितने समय तक कोई स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध रहता है और उसकी कीमत कितनी रहती है.

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जर्मनी की गैर-लाभकारी संस्था रूंडर टिश रिपारटुअर भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत क्षमता में सुधार के उपायों की मांग कर रही है. इस संस्था को रिपेयर राउंडटेबल के नाम से भी जाना जाता है. यह संस्था पर्यावरण और उपभोक्ताओं के हित के लिए बात करने वाले समूहों के साथ-साथ हस्तशिल्प कारोबारियों को एक मंच पर लाने का काम करती है. जर्मन सरकार को भेजी गई मांगों की सूची में, वे मरम्मत की लागत को कम करने के उपायों को अपनाने पर जोर दे रहे हैं. जैसे कि इस पर वैट कम किया जाए या ग्राहकों को सरकार की तरफ से बोनस दिया जाए.

शॉपिंग मॉल में रिपेयर सेंटर

रिपेयर राउंडटेबल के जोनाथन शॉट ने कहा कि जर्मनी में ग्राहकों को अभी भी "मरम्मत करने वाले भरोसेमंद लोग” काफी कम मिल पाते हैं, क्योंकि लोगों को मरम्मत की दुकान शुरू करने में दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि सॉफ्टवेयर और स्पेयर पार्ट्स पर निर्माताओं का एकाधिकार और डिवाइस के टेक्निकल डेटा तक सीमित पहुंच की वजह से मरम्मत की दुकान चलाना मुश्किल हो जाता है.

ग्रीनपीस इस स्थिति को जन जागरूकता अभियान के माध्यम से बदलना चाहती है. इसलिए, इसने सार्वजनिक स्थानों पर ज्यादा से ज्यादा रिपेयरिंग शॉप खोलने की मांग की है. सर्कुलर इकोनॉमी और रिसोर्स प्रोटेक्शन पर ग्रीनपीस विशेषज्ञ वियोला वोलगेमुथ ने कहा, "हम जर्मनी में सभी खुदरा क्षेत्रों के दसवें हिस्से को उन कारोबारों को किराए पर देने का अभियान चला रहे हैं जो नए सामान खरीदने की जगह कोई अन्य विकल्प उपलब्ध कराते हैं.” इनमें मरम्मत की दुकानों के साथ-साथ इस्तेमाल किए जा चुके और फिर से इस्तेमाल होने लायक प्रॉडक्ट बेचने वाले स्टोर का समर्थन करना शामिल है.

उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "ये जगहें खुदरा सामान बेची जाने वाली जगहों के बीच में होनी चाहिए. साथ ही, इन्हें स्थानीय सरकारी विभागों द्वारा टैक्स में छूट दी जानी चाहिए, किराए में सब्सिडी मिलनी चाहिए और दूसरे तरह से आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए.”

ग्रीनपीस ने हाल ही में घोषणा की है कि वह जर्मनी में अपने अभियान को लॉन्च करने के लिए स्थानीय समुदायों और नगर पालिकाओं से बातचीत कर रही है.


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