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जापान में अब तक क्यों नहीं देखी गई फिल्म ओपेनहाइमर

निर्देशक क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म ओपेनहाइमर बीते साल की सबसे सफल फिल्मों में से एक है. इस साल ऑस्कर में उसने बेस्ट फिल्म समेत सात पुरस्कार जीते. पूरी दुनिया में फिल्म दिखाई गई है

जापान में अब तक क्यों नहीं देखी गई फिल्म ओपेनहाइमर
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निर्देशक क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म ओपेनहाइमर बीते साल की सबसे सफल फिल्मों में से एक है. इस साल ऑस्कर में उसने बेस्ट फिल्म समेत सात पुरस्कार जीते. पूरी दुनिया में फिल्म दिखाई गई है, लेकिन जापान में नहीं. ऐसा क्यों?

2024 के ऑस्कर समारोहों में सबसे ज्यादा सात पुरस्कार जीतने वाली फिल्म ओपेनहाइमर ने जुलाई 2023 में अपनी रिलीज के वक्त से अब तक 1.4 अरब डॉलर का व्यापार किया है. लेकिन जापान के लोगों ने अब तक यह फिल्म नहीं देखी है. महीनों के इंतजार के बाद इस महीने आखिरकार फिल्म रिलीज हो रही है.

ओपेनहाइमर अमेरिका के लिए एटम बम बनाने वाले वैज्ञानिक दल के मुखिया रॉबर्ट जे ओपेनहाइमर की कहानी है. यह एटम बम जापान पर ही गिराया गया था इसलिए रॉबर्ट जे ओपेनहाइमर देश के दुखदायी अतीत की याद दिलाने वाले प्रतीक हैं.

जापान में विरोध

हालांकि फिल्म ओपेनहाइमर एक युद्ध-विरोधी फिल्म है लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो इसका जापान में खासा विरोध हुआ था. दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान पर दो एटम बम गिराये थे. हिरोशिमा और नागासाकी शहरों को पूरी तरह तबाह करने वाले इन हमलों में दो लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे जिनमें से अधिकतर आम नागरिक थे.

बहुत से लोग कहते हैं कि 1945 में जापान पर गिराए गए एटम बमों ने ही दूसरे विश्व युद्ध को खत्म किया. लेकिन अन्य लोगों का कहना है कि जापान इन हमलों से पहले ही लगभग हार चुका था और आत्मसमर्पण करने के कगार पर था, इसलिए ये हमले कतई जरूरी नहीं थे.

फिल्म के आलोचक कहते हैं कि इसमें जापान का पक्ष नहीं दिखाया गया है और मानवीय पक्ष से ज्यादा अहमियत युद्ध के वक्त परमाणु कार्यक्रम को दी गई है. जापान में आज भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो हिरोशिमा और नागासाकी हमलों को युद्ध अपराध मानते हैं और उसके लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते हैं. फिल्म के आलोचकों की एक दलील यह भी है कि इसमें परमाणु हमलों की समुचित और खुलकर आलोचना नहीं की गई है.

फिल्म की ऑस्कर समारोह में सफलता के बाद जापान के हिरोशिमा फिल्म फेस्टिवल के अध्यक्ष कयोको हेया ने जापान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा, "क्या यह वाकई एक ऐसी फिल्म है जिसे देखना हिरोशिमा के लोग सहन कह सकते हैं?”

त्रासदी का मजाक

जापान में फिल्म का विरोध तब शुरू हुआ जब अमेरिका में रिलीज होने के बाद जमकर इसका प्रचार किया गया. दरअसल उसी वक्त फिल्म बार्बी भी रिलीज हुई थी और दोनों एक दूसरे से एकदम अलग फिल्में हैं. लेकिन निर्माता कंपनी वॉर्नर ब्रदर्स ने दोनों का प्रचार मिलाकर किया. इस तरह सोशल मीडिया पर ‘बार्बनहाइमर' एक ट्रेंडिंग टॉपिक बन गया.

सोशल मीडिया साइट एक्स पर इस तरह की कई तस्वीरें वायरल हुईं जिनमें बार्बी की स्टार मार्गोट रॉबी और ओपेनहाइमर के एक्टर सीलियन मर्फी को परमाणु बम धमाकों की तस्वीरों के साथ दिखाया गया. कई जापानियों को यह युद्ध की विभीषिका का मखौल लगा और उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई. बाद में बार्बनहाइमर के प्रचार के ऐसे कई पोस्ट डिलीट किए गए, जिन्हें वॉर्नर ब्रदर्स ने भी लाइक किया था. तब जापान में NoBarbenheimer हैशटैग भी ट्रेंड हुआ और वॉर्नर ब्रदर्स ने माफी मांगी.

दरअसल, परमाणु हथियार जापान में एक संवेदनशील मुद्दा है. वहां परमाणु हमलों में बचे लोगों को बहुत इज्जत की नजर से देखा जाता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि विरोध सीधे तौर पर फिल्म का नहीं बल्कि उसके प्रचार के तरीकों का ज्यादा था क्योंकि ‘बार्बनहाइमर' ट्रेंड होने से बहुत से जापानी लोगों को ऐसा लगा जैसे एक बहुत बड़ी त्रासदी का मखौल बनाया जा रहा है.

कांदा यूनिवर्सिटी में जैपनीज स्टडीज विभाग में लेक्चरर जेफ्री हॉल ने ऑस्ट्रेलिया के समाचार चैनल एबीसी से बातचीत में कहा, "जापन में हर पीढ़ी के लोग हिरोशिमा और नागासाकी को एक भयानक त्रासदी के रूप में देखते हैं, जिनमें दसियों हजार आम नागरिकों की मौत हुई. इसलिए सोशल मीडिया पर जारी किए जा रहे मीम को लोगों ने बहुत आपत्तिजनक पाया.”

सोशल मीडिया पर कई लोगों ने लिखा है कि एटम बम को लेकर जापान का पक्ष दिखाया जाना भी जरूरी है. फिल्म 29 मार्च को जापान में रिलीज होगी.


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