सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर क्यों नहीं करते अरविंद केजरीवाल- भाजपा ने उठाया सवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर अरविंद केजरीवाल द्वारा सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर भी राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर अरविंद केजरीवाल द्वारा सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर भी राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने केजरीवाल के फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करने पर सवाल उठाते हुए यह आरोप लगाया है कि सरकार में सब कुछ खुद ही तय करने के बावजूद जवाबदेही से बचने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं, ताकि फंसने पर उसका ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ कर अपने आपको बचा सके और भाजपा पर आरोप लगा सके।
नई आबकारी नीति और डीटीसी बस खरीद के अलावा अन्य कई फाइलों का जिक्र करते हुए भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि रुल बुक में स्पष्ट तौर पर यह कहा गया है कि जब मुख्यमंत्री शहर में मौजूद रहें, तब मुख्यमंत्री ही फाइलों पर हस्ताक्षर करके उप राज्यपाल को भेजेंगे, अन्यथा उसे सही नहीं माना जाएगा। उन्होने आगे कहा कि अरविंद केजरीवाल फाइलों पर इसलिए हस्ताक्षर नहीं करते हैं, ताकि भ्रष्टाचार का खुलासा होने पर वे अपने बचाव में इसका सारा ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ते हुए यह आरोप लगा सके कि दिल्ली के अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले हुए हैं और इन अधिकारियों ने उन्हे वो फाइल ठीक से दिखाई ही नहीं थी।
आपको बता दें कि,सीएम केजरीवाल द्वारा फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर यह हिदायत दी थी कि आगे से वो खुद अपने हस्ताक्षर करके ही फाइल उनके पास भेजे।
दरअसल,भाजपा लगातार यह दावा कर रही है कि शराब घोटाले के मुख्य आरोपी भले ही मनीष सिसोदिया हैं लेकिन इसके किंगपिन केजरीवाल ही हैं और ऐसे में उपराज्यपाल को भेजे जाने वाली फाइलों पर केजरीवाल द्वारा हस्ताक्षर नहीं करने के खुलासे ने भाजपा के हाथ में एक और बड़ा राजनीतिक मुद्दा थमा दिया है।
सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर क्यों नहीं करते अरविंद केजरीवाल- भाजपा ने उठाया सवाल
(20:15)
नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर अरविंद केजरीवाल द्वारा सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर भी राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने केजरीवाल के फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करने पर सवाल उठाते हुए यह आरोप लगाया है कि सरकार में सब कुछ खुद ही तय करने के बावजूद जवाबदेही से बचने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं, ताकि फंसने पर उसका ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ कर अपने आपको बचा सके और भाजपा पर आरोप लगा सके।
नई आबकारी नीति और डीटीसी बस खरीद के अलावा अन्य कई फाइलों का जिक्र करते हुए भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि रुल बुक में स्पष्ट तौर पर यह कहा गया है कि जब मुख्यमंत्री शहर में मौजूद रहें, तब मुख्यमंत्री ही फाइलों पर हस्ताक्षर करके उप राज्यपाल को भेजेंगे, अन्यथा उसे सही नहीं माना जाएगा। उन्होने आगे कहा कि अरविंद केजरीवाल फाइलों पर इसलिए हस्ताक्षर नहीं करते हैं, ताकि भ्रष्टाचार का खुलासा होने पर वे अपने बचाव में इसका सारा ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ते हुए यह आरोप लगा सके कि दिल्ली के अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले हुए हैं और इन अधिकारियों ने उन्हे वो फाइल ठीक से दिखाई ही नहीं थी।
आपको बता दें कि,सीएम केजरीवाल द्वारा फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर यह हिदायत दी थी कि आगे से वो खुद अपने हस्ताक्षर करके ही फाइल उनके पास भेजे।
दरअसल,भाजपा लगातार यह दावा कर रही है कि शराब घोटाले के मुख्य आरोपी भले ही मनीष सिसोदिया हैं लेकिन इसके किंगपिन केजरीवाल ही हैं और ऐसे में उपराज्यपाल को भेजे जाने वाली फाइलों पर केजरीवाल द्वारा हस्ताक्षर नहीं करने के खुलासे ने भाजपा के हाथ में एक और बड़ा राजनीतिक मुद्दा थमा दिया है।


