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प्रचंड से अडानी को दूर क्यों रखा प्रधानमंत्री मोदी ने?

नेपाल से ऊर्जा संबंधी समझौते हों, और इन सबसे अडानी पावर को अलहदा रखा जाए

प्रचंड से अडानी को दूर क्यों रखा प्रधानमंत्री मोदी ने?
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- पुष्परंजन

शुक्रवार सुबह प्रचंड इंदौर से महाकालेश्वर पहुंचे। कट्टर कम्युनिस्ट नेता कैसे महाकाल का रूद्राभिषेक कर रहे हैं, यह 'मसाला मीडिया' के लिए बड़ी ख़बर है। नेपाल में रामायण सर्किट के लिए प्रचंड का राजी होना दर्शा रहा था कि वो मोदी के मिशन-2024 अजेंडे पर काम कर रहे हैं। मोदी ने प्रचंड को ऊर्जा निर्यातक देश बनने का सपना दिखा दिया है।

नेपाल से ऊर्जा संबंधी समझौते हों, और इन सबसे अडानी पावर को अलहदा रखा जाए। क्यों आख़िर? शायद हल्ला बोल के डर से मोदी सरकार ने तय किया होगा कि इस हिमाल देश से जल विद्युत परियोजनाओं के वास्ते हो रही डील से अडानी को कुछ समय के लिए दूर रखा जाए। गुरूवार को हैदराबाद हाउस के नीलगिरी कक्ष में जब दोनों देशों के प्रधानमंत्री अपनी-अपनी टीम के साथ आमने-सामने थे, तब ऊर्जा व्यापार, एयर रूट और अधोसंरचना मुख्य विषय था। दहल और मोदी ने उसी अवसर पर सुनौली-भैरहवा इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट, अमलेखगंज से लोथार पेट्रोलियम पाइप लाइन, और 400 केवीए का गोरखपुर-न्यू बुटवल ट्रांसमिशन लाइन की आभासी आधारशिला रखी। अधिकारियों ने कई एमओयू पर हस्ताक्षर भी किये।

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा, 'मुझे याद है, 9 साल पहले 2014 में कार्यभार संभालने के तीन महीने के भीतर, मैंने नेपाल की अपनी पहली यात्रा की थी। उस समय मैंने भारत-नेपाल संबंधों के लिए एचआईटी ( हाईवे, आईवे, और ट्रांसवे) का फॉर्मूला दिया था। मैंने कहा था कि भारत-नेपाल के बीच ऐसे संबंध स्थापित करेंगे, ताकि हमारे बॉर्डर्स बैरियर न बनें।' मोदी और दहल ने संयुक्त रूप से कुर्था-बीजलपुरा खंड की ई-रेल योजना का अनावरण किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने बथनाहा से नेपाल कस्टम यार्ड तक भारतीय रेल कार्गो ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना किया। पत्रकारों के समक्ष यह भी कहा गया कि ये उभयपक्षीय समझौते पार्टनरशिप को सुपरहिट बनाने के लिए किये जा रहे हैं।

इस सुपरहिट संबंधों के आगाज़ से सप्ताह भर पहले नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड, चीन से 26 एपीसी (आर्मर्ड पर्सनल कैरियर) की ख़रीद को हरी झंडी दे चुके थे। चीन की कंपनी नोरिंको को छह अरब रूपये के सौदे पर सहमति के लिए काठमांडो में हथियार लॉबी साल भर पहले से सक्रिय थी। नेपाल को 26 एपीसी बेचने वाली चीनी कंपनी नोरिंको अमेरिका में ब्लैक लिस्टेड है। काली सूची वाली इस कंपनी से बख्तरबंद वाहनों के अलावा, दस हज़ार सीक्यू 5.56 एमएम राइफ लें ख़रीदने का सौदा भी हुआ है। इसका पेमेंट नेपाल आर्मी वेलफेयर फ ंड के ज़रिये होगा। इस फंड में यूएन पीस कीपिंग ऑफि स से पैसा आता है। चीनी हथियार सौदे की समीक्षा सही से की जाए, तो लगेगा कि 1950 की संधि को ताक पर रखकर ऐसा हुआ है। काश, सुपरहिट संबंध बनाने की भावनात्मक घोषणा करने वाले मोदी, चीन से हुए इस सौदे को ध्यान में रखते। नेपाली सेना को अत्याधुनिक बनाने के लिए चीन क्या कुछ कर रहा है, इस बारे में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को और अधिक होमवर्क की आवश्यकता है।

आमतौर पर भारतीय मीडिया को काठमांडो के अंत:पुर में चल रही गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं होता है। 'जो दिखता है, वही बिकता है' का सनातन सिद्धांत इस शोबे में भी लागू है। शुक्रवार सुबह प्रचंड इंदौर से महाकालेश्वर पहुंचे। कट्टर कम्युनिस्ट नेता कैसे महाकाल का रूद्राभिषेक कर रहे हैं, यह मसाला मीडिया के लिए बड़ी ख़बर है। नेपाल में रामायण सर्किट के लिए प्रचंड का राजी होना दर्शा रहा था कि वो मोदी के मिशन-2024 अजेंडे पर काम कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने हैदराबाद हाउस में ही बयान दे दिया था कि पशुपतिनाथ से काशी विश्वनाथ को कनेक्ट करने के बाद इस बार महाकालेश्वर को जोड़ देना है। महाकालेश्वर मंदिर में शुक्रवार सुबह छह बजे से 12 बजे तक आम पब्लिक के लिए प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था। प्रचंड अपने साथ 108 किलो रूद्राक्ष लेते गये, उसे महाकाल को अर्पित किया। गवर्नर मंगूभाई पटेल मंदिर के समारोह में साथ थे। पूजा-पाठ के बाद इंदौर में कूड़ा प्रबंधन प्लांट को देखना प्रचंड के कार्यक्रम में पहले से निर्धारित था। सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रचंड के सम्मान में इंदौर के मैरियट होटल में डिनर का इंतज़ाम किया था। प्रचंड सुबह-सवेरे स्पेशल इकानॉमिक ज़ोन में टाटा कंसलटेंसी सर्विस और इंफ ोसिस के सेटअप का अवलोकन करेंगे, और दिल्ली लौट आएंगे। इन दोनों कंपनियों की उपस्थिति नेपाल में है।

यह दिलचस्प है कि प्रचंड के सम्मान में कॉनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) और नेपाल उद्योग वाणिज्य संघ (एफ एनसीसीआई) के साझा आयोजन में भी अडानी ग्रुप की उपस्थिति की चर्चा नहीं हो रही थी। क्या यह किसी का इशारा था? सितंबर 2022 में अडानी ने नेपाल की ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करने में दिलचस्पी दिखाई थी। अडानी ग्रुप ने जल विद्युत उत्पादन, इंटरनल और क्रास बॉर्डर ट्रंासमिशन लाइन लगाने का प्रस्ताव दिया था।

उस समय नेपाल में जल संसाधन व ऊर्जा मंत्री पंफा भुसाल थीं। उन्होंने जानकारी साझा की थी कि 1 से 3 अप्रैल 2022 को तत्कालीन प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा जब दिल्ली में थे, ऊर्जा सहयोग के छह सूत्री विजन पत्र पर हस्ताक्षर किये गये थे। इस विज़न पेपर में जल विद्युत का विकास, देश और देश से बाहर ट्रांसमिशन लाइनें तैयार करने के वास्ते निवेश करने और जल विद्युत का बाज़ार तलाशने की बात की गई थी। देउबा के दिल्ली से लौटने ही भारतीय ऊर्जा कंपनियों की नेपाल में रेस लग गई थी, उनमें अडानी की कंपनी भी शामिल थी।

नेपाल की पूर्व ऊर्जा मंत्री पंफा भुसाल बताती हैं कि अप्रैल 2022 के बाद अडानी की कंपनी के प्रतिनिधि हमारे मंत्री रहते तीन बार नेपाल आये। हम पर दबाव काफी था। उन्होंने प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद कार्यालय, निवेश बोर्ड नेपाल, राष्ट्रीय योजना आयोग, ऊर्जा मंत्रालय और नेपाल विद्युत प्राधिकरण के उच्चाधिकारियों से मुलाक़ात की और निवेश के लिए प्रस्ताव दिया। इसी विजन पेपर के आधार पर 16 मई, 2022 को प्रधानमंत्री मोदी के लुंबिनी दौरे के समय नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी और भारत के सतलुज हाइड्रोपावर कॉरपोरेशन के बीच 679 मेगावाट की अरुण-4 हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए उभयपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

इसके प्रकारांतर 2 अगस्त 2022 को एनएचपीसी इंडिया लिमिटेड के साथ 750 मेगावाट की पश्चिमी सेती जलविद्युत परियोजना और 669 मेगावाट की सेती-6 जलविद्युत परियोजना के सर्वेक्षण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। एनएचपीसी को दो परियोजनाएं देने के सभी निर्णय प्रधानमंत्री देउबा की अध्यक्षता में विनिवेश बोर्ड की बैठक में लिए गए।

अडानी ग्रुप का मुख्य ध्यान से करनाली बेसिन परियोजनाओं पर केंद्रीत था। पूर्व ऊर्जा मंत्री पंफा भुसाल ने कहा, 'पहले चरण में, अडानी समूह नेपाल में कम से कम 1,000 से 2,000 मेगावाट जलविद्युत परियोजनाओं की परियोजनाओं में निवेश करना चाहता था। लेकिन वो कर्नाली-चिसापानी प्रोजेक्ट को फ ोकस कर रहे थे, जहां से 10 हज़ार मेगावाट विद्युत दोहन की संभावना थी। किसी बड़े प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले हमने राय दी है कि हम 480 मेगावाट फु कोट करनाली जलविद्युत परियोजना, 440 मेगावाट टीला-1 और 420 मेगावाट टीला-2 जैसी परियोजनाओं में निवेश आमंत्रित कर सकते हैं। यह मामला उस समय किसी नतीज़े पर नहीं पहुंच सका था।'

कालांतर में टीला-1 और टीला-2 जलविद्युत परियोजनाएं चीनी कंपनी के हाथ लग गई। अडानी ग्रुप ने 400 से 600 मेगावाट क्षमता वाली अंतरदेशीय और क्रास बॉर्डर ट्रंासमिशन लाइन लगाने के वास्ते नेपाल में सर्वे कराना आरंभ किया। मगर, ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस बारे में सरकार जबतक नीति निर्देश नहीं तय करती, हम आगे नहीं बढ़ सकते। उन दिनों देउबा सरकार राजनीतिक कलह में उलझी हुई थी। वो अडानी के प्रोजेक्ट देखते, या अपनी कुर्सी बचाते? बात फ ाइलों में दबकर रह गई। इस बीच 26 जुलाई 2022 को अडानी ग्रुप की ओर से घोषणा हुई कि ग्रीन एनर्जी में 70 अरब डॉलर का निवेश करेंगे। ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) के अंतर्गत सौर-पवन-जल विद्युत भी आता है। लेकिन नेपाल के नेता और नौकरशाह अडानी गु्रप के पांव जमने से डरते क्यों रहे? क्या चीनी दूतावास किसी तरह के अडंगे लगा रहा था? इसकी चर्चा किसी और अवसर पर। लेकिन नेपाल जलविद्युत में निवेश के वास्ते चीन के दरवाज़े भी खटखटा रहा था।

24 फ रवरी 2023 को चाइना डेली ने ख़बर दी कि पेइचिंग में पदस्थापित नेपाली राजदूत विष्णु पुकार श्रेष्ठ ने पावर सेक्टर में निवेश के वास्ते चीनी कंपनियों को आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा था कि अगले दस वर्षों में हम कम से कम 15 हज़ार मेगावाट जल विद्युत पैदा करना चाहते हैं। हमारी घरेलु ज़रूरतें बहुत थोड़ी है, बाक़ी हम बेचेंगे। मर्स्यांग्दी जल विद्युत परियोजना निर्माण में चीन का अच्छा अनुभव रहा है। अपर तामाकोशी पावर स्टेशन बनाने में भी चीन की साइनोहाइड्रो और ऑस्ट्रिया की ऑन्ड्रिज हाइड्रो ने साझा योगदान दिया था। इनके अनुभवों के हवाले से नेपाली राजदूत विष्णु पुकार श्रेष्ठ चीनी कंपनियों को आमंत्रित कर रहे थे।

नेपाल आने वाले दिनों में ऊर्जा उत्पादक देश बनने के सपने देख रहा है। उसके सपनों को परवाज़ देने का काम प्रधानमंत्री मोदी जैसे नेता समय-समय पर करते रहे हैं। 1 जून 2023 को काठमांडो पोस्ट ने 'पावर शॉर्टेज कॉन्टीन्यूज़ एज़ जेनरेशन स्लंप्स' शीर्षक से ख़बर दी, जिससे जानकारी मिली कि तराई के औद्योगिक क्षेत्रों में इन दिनों छह घंटे की बिजली कटौती नेपाल विद्युत प्राधिकरण कर रहा है। नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) के प्रवक्ता सुरेश भट्टराई बताते हैं कि नेपाल में कुल जलविद्युत उत्पादन 700 से 800 मेगावाट है। कोयला, डीज़ल और अक्षय ऊर्जा, सारा कुल मिलाकर 1300 मेगावाट बिजली का उत्पादन नेपाल कर पा रहा है।

पिछले साल तक भारत से 600 मेगावाट बिजली नेपाल को भेजी जा रही थी, ताकि उसे ऊर्जा संकट से राहत मिल सके। अब वही नेपाल, बांग्लादेश को 40 से 50 मेगावाट बिजली निर्यात करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे संभव करते हुए बांग्लादेश के वास्ते विद्युत कॉरीडोर दे दिया है। जीएमआर, टाटा पावर, इप्पान, एसजेवीएन लिमिटेड जैसी भारतीय कंपनियों के सहयोग से नेपाल ऊर्जा निर्यात करेगा। नेपाल के ऊर्जा कारोबार में भारत का शेयर 51 प्रतिशत रहेगा। दुआ कीजिए कि यह सपना साकार हो!
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