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भारतीय युवाओं में सरकारी नौकरियों का इतना चाव क्यों है

भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, प्राइवेट सेक्टर का विस्तार हो रहा है, लेकिन कई पढ़े- लिखे युवा सरकारी नौकरी की चाहत में सालों-साल जुटे रहते हैं. कुछ ही को सफलता मिलती है, बाकी को दूसरा विकल्प चुनना पड़ता है.

भारतीय युवाओं में सरकारी नौकरियों का इतना चाव क्यों है
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भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, प्राइवेट सेक्टर का विस्तार हो रहा है, लेकिन कई पढ़े- लिखे युवा सरकारी नौकरी की चाहत में सालों-साल जुटे रहते हैं. कुछ ही को सफलता मिलती है, बाकी को दूसरा विकल्प चुनना पड़ता है.

30 साल के सुनील कुमार ने पिछले नौ साल सरकारी नौकरी पाने की चाहत में बिता दिए. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सुनील ने अपने जैसे अन्य युवाओं के साथ टिन की छतों वाली अस्थायी कक्षाओं में कई सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं के लिए तैयारी की. इनमें यूपीएससी की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा भी शामिल है.

सुनील उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. उन्होंने प्रदेश की सरकारी नौकरी के लिए भी कोशिश की और राज्य के निचले स्तर के सरकारी पदों के लिए दो परीक्षाएं भी दी हैं. सुनील अब तक नौकरी पाने की 13 कोशिशों में असफल रहे हैं. सुनील का कहना है कि वह 32 साल की उम्र तक सरकारी नौकरी के लिए प्रयास करते रहेंगे. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में उन्होंने कहा, "सरकारी नौकरियों में सुरक्षा अधिक है. अगर यह दो-तीन सालों में हो जाए, तो 10 साल का संघर्ष सफल हो जाएगा."

उम्मीदवार ज्यादा नौकरी कम

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2014 से 2022 के बीच 22 करोड़ उम्मीदवारों ने केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए आवेदन किया. इनमें से 7,22,000 का चयन किया गया. उनमें से कई उम्मीदवार ऐसे होंगे जिन्होंने कई बार कोशिश की होगी.

भले ही भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही हो और निजी क्षेत्र का विस्तार हो रहा हो, लेकिन हर साल लाखों युवा सरकारी नौकरियों की तलाश में रहते हैं. भारत के कई लोग अनिश्चित रोजगार बाजार से जूझ रहे हैं, जहां नौकरी के मौके और रोजगार की सुरक्षा तो दूर, नौकरी मिलना भी मुश्किल है.

दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में कई लोग सरकारी नौकरी को प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों से अधिक सुरक्षित मानते हैं. सरकारी नौकरी के लिए कोचिंग इंस्टिट्यूट चलाने वाले जफर बख्श रॉयटर्स से कहते हैं, "अगर परिवार में एक भी व्यक्ति सरकारी नौकरी पा जाता है, तो परिवार को लगता है कि वे जीवन भर के लिए सुरक्षित हो गए हैं."

2022 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पहली बार 3.5 ट्रिलियन डॉलर, यानी 3.50 लाख करोड़ डॉलर को पार कर गया और और चालू वर्ष में इसके 7.2 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है.

22 जुलाई को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वे पेश किया.

इस सर्वे के मुताबिक, सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. सर्वे में बताया गया कि कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने व्यवस्थित तरीके से सुधार किया है.

खतरे के बावजूद कई गुना वेतन के लिए इस्राएल जा रहे भारतीय

सरकारी नौकरी क्यों पसंद

सरकारी नौकरी की चाहत रखने वालों का कहना है कि इसमें सरकार आजीवन सुरक्षा, स्वास्थ्य लाभ, पेंशन और घर देती है, जो उन्हें प्राइवेट सेक्टर की नौकरी में नहीं मिल सकता है. बहुत कम लोग इसे मानेंगे, लेकिन कई सरकारी नौकरियों में रिश्वत के रूप में 'अतिरिक्त आमदनी' की भी संभावना होती है.

बख्श ने कहा कि रट्टा मरवाने वाले कोचिंग इंस्टिट्यूट की बढ़ती मांग ने बड़े खिलाड़ियों को इस ओर आकर्षित किया है और क्लास ऑनलाइन भी हो गई हैं. बख्श इसे इसे एक आकर्षक और सदाबहार बिजनेस के तौर पर देखते हैं. उन्होंने कहा, "डिमांड तो हमेशा ही रहेगी."

अच्छी नौकरी की कमी

विश्लेषकों का कहना है कि रोजगार के मौकों को लेकर असंतोष के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 में अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई और उन्हें सत्ता में लौटने के लिए सहयोगी दलों का समर्थन लेना पड़ा.

हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2017/18 से देश में हर साल दो करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, लेकिन निजी अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इनमें से ज्यादातर नियमित वेतन वाले औपचारिक पदों के बजाय स्व-रोजगार और अस्थायी कृषि रोजगार के मौके थे.

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सतत रोजगार केंद्र में सहायक प्रोफेसर रोजा अब्राहम ने रॉयटर्स से कहा, "बात सिर्फ इतनी नहीं है कि पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं, बल्कि बात यह भी है कि वहां पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं जिनमें अच्छा वेतन मिले और आपको नौकरी के दौरान सुरक्षा और अन्य लाभ मिलें."

सरकारी नौकरी की उम्मीद रखने वाले 22 साल के प्रदीप गुप्ता के लिए निजी क्षेत्र में काम करना "आखिरी विकल्प" है. प्रयागराज के एक कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ने वाले प्रदीप ने रॉयटर्स से कहा, "सरकारी नौकरी में सम्मान, नौकरी की सुरक्षा और कम दबाव होता है."

2024 की शुरूआत में उत्तर प्रदेश पुलिस की भर्ती के लिए करीब 50 लाख छात्रों ने आवेदन दिया था, जबकि पद सिर्फ 60,000 थे. इसी तरह केंद्रीय सुरक्षा बल के 26,000 कांस्टेबल के पदों के लिए 47 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था.

मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अनुमान लगाया है कि सशस्त्र बलों, स्कूलों, हेल्थ सर्विस और सेना समेत सरकार के सभी स्तरों पर लगभग 60 लाख नौकरियों के पद खाली पड़े हैं. रॉयटर्स ने सरकारी नौकरी और खाली पदों के बारे में जानकारी मांगने के लिए केंद्र सरकार को ईमेल भेजा, उसे जवाब नहीं मिला.

चोखा धंधा

प्रयागराज में 2014 से कोचिंग इंस्टिट्यूट चला रहे मारूफ अहमद के लिए यह एक अच्छा बिजनेस है. उन्होंने रॉयटर्स को बताया कि "उनकी एकेडमी की पांच ब्रांच हैं, जो हर साल लगभग 25 से 30 हजार छात्रों को फिजिकल मोड और ऑनलाइन क्लास के जरिए से ट्यूशन देती हैं." अहमद ने कहा कि नौकरी पाने वालों की दर लगभग 5-10 प्रतिशत है, लेकिन मांग हमेशा बनी रहती है.

देश भर में ऐसे कोचिंग इंस्टिट्यूट्स की संख्या के बारे में कोई डेटा मौजूद नहीं है क्योंकि अधिकांश उद्योग अनौपचारिक और असंगठित हैं.

23 जुलाई को पेश आम बजट में सरकार ने तीन योजनाओं का एलान किया है. इनके जरिए सरकार रोजगार को बढ़ावा देना चाहती है. बजट में रोजगार के लिए 1.48 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है. इसी के साथ अगले पांच साल में 20 लाख युवाओं का कौशल विकास करने की घोषणा की गई. इसके अलावा पहली बार नौकरी करने वालों को एक महीने का वेतन दिया जाएगा. यह योजना कर्मचारी भविष्य निधि संस्था (ईपीएफओ) पर आधारित होगी.


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