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असम में कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर, किसे मिलेगी जीत?​​​​​​​

पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रमुख राज्य असम में इस बार के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में सीधी टक्कर की उम्मीद है जिसमें नागरिकता संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और असमिया अस्

असम में कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर, किसे मिलेगी जीत?​​​​​​​
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गुवाहाटी। पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रमुख राज्य असम में इस बार के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में सीधी टक्कर की उम्मीद है जिसमें नागरिकता संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और असमिया अस्मिता के मुद्दे मुख्य भूमिका निभाएगें।

राज्य की 14 लोकसभा सीटों पर तीन चरणों में मतदान होना है जिसमें 11 अप्रैल को जोरहट, डिब्रूगढ़, लखीमपुर, तेजपुर और कलियाबोर, 18 अप्रैल को मंगलदोई, करीमगंज, सिलचर, स्वायत्त जिला और नौगांव तथा 23 अप्रैल को कोकराझार, धुबड़ी, गुवाहाटी और बारपेटा में वोट डाले जाएगें। राज्य में कुल एक करोड़ 88 लाख 37 हजार 612 मतदाता हैं जिनमें 90 लाख 73 हजार 991 महिला और 97 लाख 63 हजार 621 पुरूष हैं।

फिलहाल राज्य में भाजपा की सरकार है और लोकसभा की कुल सीटों में 10 पर भाजपा, तीन पर कांग्रेस और एक सीट पर ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) काबिज है। चुनावी रणनीति के तहत भाजपा ने अपने पांच सांसदों का टिकट काट दिया है और नये चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने अपने तीनों सांसदों गौरव गोगोई, सुष्मिता सेन और बीरेंद्र सिंह इंगती को फिर से उम्मीदवार बनाया है।

संसदीय चुनावों में भी राज्य में स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं। इसलिये असम गण परिषद (एजीपी )और बोडो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) भी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और परिणामों को प्रभावित करते हैं। ये दाेनों दल फिलहाल लोकसभा चुनावों में भाजपा के साथ हैं। इसके सहारे भाजपा स्थानीय स्तर पर जमीन से जुड़ने का प्रयास कर रही है। भाजपा दस सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसने तीन सीट एजीपी को और एक सीट बीपीएफ को दी है। कांग्रेस सभी सीटों पर अकेले चुनाव मैदान में उतर रही है लेकिन एआईयूडीएफ ने केवल तीन सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। एआईयूडीएफ के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल का कहना है कि यह फैसला धर्मनिरपेक्ष ताकतों के पक्ष में किया गया है। एआईयूडीएफ काे निचले असम में खासा समर्थन हासिल है।

राज्य में स्थानीय मुद्दे इस बार भी चुनाव में छाये हुए हैं। रोजगार, सुरक्षा और ब्रह्मपुत्र से भूमि कटाव जैसे मुद्दे पर भी राजनीतिक दल वोट मांग रहें हैं। हालांकि कांग्रेस और भाजपा का जोर राष्ट्रीय मुद्दों पर हैं और चुनावी जंग को मोदी बनाम राहुल बनाने के प्रयास चल रहे हैं। चुनाव में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अपने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को सामने रख रही है। दोनों पार्टियां स्थानीय नेताओं को भी प्रमुखता दे रही हैं। भाजपा राज्य में अपने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और वरिष्ठ नेता हेमंता बिस्वास को भी आगे कर रही है। कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, सांसद गौरव गोगोई, सुष्मिता देव और बीरेंद्र सिंह इंगती को चुनाव प्रचार में प्रमुखता से उतार रही है।

राज्य में नागरिकता संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर लोगों में हावी हैं। इन्हीं से असमी अस्मिता का मुद्दा भी जुड़ा है। सभी राजनीतिक दल असम के मूल लोगों की हितों को संरक्षित करने का वादा कर रहे हैं। भाजपा इस मुद्दे पर दो महीने पहले छिटककर दूर जा चुकी एजीपी को फिर से साथ लाने में कामयाब रही है।


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