गोपाल कांडा के खिलाफ मामले में कौन करेगा अभियोजन की अगुवाई
विमान परिचारिका गीतिका शर्मा ने आज से सात साल पहले आत्महत्या कर ली थी और इसकेलिए हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल गोयल कांडा को जिम्मेदार ठहाराया गया था

नई दिल्ली। विमान परिचारिका गीतिका शर्मा ने आज से सात साल पहले आत्महत्या कर ली थी और इसकेलिए हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल गोयल कांडा को जिम्मेदार ठहाराया गया था। कांडा गीतिका को आत्महत्या के लिए उकसाने और इसमें उसकी मदद करने के आरोपी हैं, लेकिन उनके खिलाफ मामला किसी तर्कसंगत निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा। और अब, मामला खत्म होने को है, क्योंकि दिल्ली सरकार के अभियोजन विभाग ने इस मामले की अगुवाई करने के लिए किसी को अभियोजक नियुक्त नहीं किया।
इस मामले में शुरुआती दिनों से ही कई पेच और मोड़ आए। मामले की अगुवाई करने वाला कोई अभियोजक उपलब्ध नहीं कराए जाने से अदालत ने नाराजगी जताई थी। विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहर ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते समय पूछा था कि कैसे समझा जाए कि राज्य सरकार इस मामले में अभियोजन चाहती है, जबकि कोई अभियोजक ही नहीं है।
न्यायाधीश कुहर ने यह कहकर दिल्ली सरकार और अभियोजन विभाग के रवैये की कड़ी आलोचना भी की कि"बहुत विचित्र स्थिति है" क्योंकि "इस मामले में राज्य सरकार कम रुचि दिखा रही है।"
आईएएनएस ने जब अभियोजन विभाग के निदेशक सुरेश चंद्र शर्मा से इस बाबत बात की तो उनका जवाब मिला कि उन्होंने दिल्ली सरकार को लोक अभियोजक (सरकारी वकील) नियुक्त करने के लिए पत्र लिखकर अनुरोध किया था।
तथ्य यह है कि अभियोजन निदेशक ने दिल्ली सरकार को 25 सितंबर को पत्र लिखकर कांडा के खिलाफ मामले में मीनष रावत को लोक अभियोजक बनाने का अनुरोध किया था।
इससे पहले, इस मामले को विशेष लोक अभियोजक राजीव मोहन देख रहे थे, लेकिन वह 23 सितंबर को सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं हो सके, क्योंकि उस दिन वह किसी अन्य मामले में तीस हजारी कोर्ट में व्यस्त थे।
जानकार सूत्रों के मुताबिक, राजीव मोहन इस मामले की सुनवाई में भाग लेना चाहते थे, लेकिन 4 अक्टूबर को सुनवाई के समय वह हाजिर नहीं हुए, क्योंकि अभियोजन निदेशक ने दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर अभियोजक बदलने की मांग कर दी थी।
अदालत ने निदेशक (अभियोजन) के खिलाफ यह कहते हुए कड़ी टिप्पणी की कि उन्होंने राज्य सरकार की ओर से इस मामले को आगे बढ़ाने की जवाबदेही से 'हाथ धो लिया' है।
पिछली दो सुनवाइयों में अभियोजन पक्ष के गवाह, जिन्हें बयान दर्ज कराने के लिए समन भेजा गया था, उन्हें बिना जिरह के अदालत से वापस भेज दिया गया, क्योंकि मामले को आगे बढ़ाने का प्रभार किसी लोक अभियोजक को नहीं दिया गया था। यही वजह है कि यह मामला अभी अनिश्चय की स्थिति में है।
कांडा के वकील आर.एस. मलिक ने अभियोजन पक्ष पर आरोप लगाया कि उनके मुवक्किल को बार-बार अदालत में घसीटने के लिए कानूनी प्रक्रिया में जानबूझकर देरी की जा रही है।
विमान परिचारिका गीतिका शर्मा कांडा के एमडीएलआर एयरलाइंस में काम करती थी। यह एयरलाइंस अब बंद हो चुकी है। गीतिका ने अगस्त, 2012 में यह आरोप लगाकर आत्महत्या कर ली थी कि हरियाणा के पूर्व मंत्री ने उसे प्रताड़ित किया।
पुलिस ने 6 अक्टूबर, 2012 को आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें कहा गया है कि कांडा पूर्व विमान परिचारिका के प्रति आसक्त थे और उन्होंने मनमानी व दुर्भावनापूर्ण हरकतें कर गीतिका को मानसिक यंत्रणा दी। उसे धमकाया, ब्लैकमेल किया जिससे तंग आकर उसने आत्महत्या जैसा अंतिम कदम उठाने को विवश हुई।
गीतिका के आत्महत्या कर लेने के बाद कांडा फारार हो गए थे। उन्होंने 18 अगस्त, 2012 को उत्तरी दिल्ली के अशोक विहार थाने में आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। कांडा को मार्च, 2014 को जमानत मिल गई।


