Top
Begin typing your search above and press return to search.

कर्नाटक का 'मिस्टर फोर्टी परसेंट' कौन?

पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को खोने से संघ के नेता बीजेपी नेतृत्व से खुश नहीं हैं

कर्नाटक का मिस्टर फोर्टी परसेंट कौन?
X

- पुष्परंजन

पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को खोने से संघ के नेता बीजेपी नेतृत्व से खुश नहीं हैं। शेट्टार कर्नाटक में आरएसएस के विस्तार का अहम हिस्सा थे। दक्षिणी कर्नाटक में संघ ने दो-ढाई लाख परिवारों में पहुंच बनाने के लिए 'विस्तारक अभियान' छेड़ रखा था। ये यदि कर्नाटक लूज़ करते हैं, तो संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले की कार्यशैली पर भी सवाल उठेगा।

एक सर्वे कराना चाहिए कि कर्नाटक के लोग अतीक़ अहमद को कितना जानते हैं? दो फीसद भी नहीं शायद। लेकिन आने वाले 20 दिनों में इतना विष उगल देना है कि हिंदू वोट अलग और मुसलमान वोट अलग दिखने लगेंगे, ऐसा नफरतिया गैंग के रणनीतिकारों ने सोच लिया है। आठ साल पहले की एक तस्वीर वायरल की जा रही है, जिसका संबंध कर्नाटक से दूर-दूर का नहीं रहा है। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे ने एक स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल किया है, जिसमें कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी, अतीक़ अहमद और उसके भाई अशरफ के साथ नज़र आ रहे हैं। यह तस्वीर 22 अप्रैल 2015 की है, जिसे ट्वीट कर इमरान प्रतापगढ़ी ने लिखा था, 'हमारी कुटिया में एक छोटी सी दावत में दोनों भाई तशरीफ लाये हैं।' इमरान प्रतापगढ़ी, महाराष्ट्र से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं। उनके एक और तथाकथित बयान को कृषि राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे ने वायरल किया है, 'मुस्लिम सर झुकाने वालों में नहीं, बल्कि सिर काटने वाले लोग हैं।'

यह हास्यास्पद है कि कर्नाटक में टीपू सुलतान पर लगातार आक्रमण का चुनावी फायदा बीजेपी को मिलता नहीं दीख रहा है। दक्षिण कर्नाटक में माहौल बिगड़े, इस मंशा से गोरक्षक मुस्टंडों ने साथनूर के संतेमाला सर्किल थाने के सामने इदरीस पाशा की हत्या 1 अप्रैल, 2023 को की थी। इस हत्या में पुनीत हेरेहल्ली और उसके गुंडों का नाम सामने आया है। लेकिन कर्नाटक के मंच पर योगी आदित्यनाथ जब दिखेंगे, मतदाताओं को अतीक अहमद के वध की याद दिलाते हुए कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की मज़म्मत होगी। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे ने कवर फायरिंग इसी वास्ते की है।

कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा की 224 सीटों के लिए मतदान होना है। वोटों की गिनती 13 मई को होगी। लेकिन इस मतदान से पहले जिस तरह से अतीक़ अहमद की इंट्री कराई गई है, उसे और आक्रमक बनाएंगे योगी आदित्यनाथ। जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, हिमंत बिस्व सरमा, देवेंद्र फ डणवीस, स्मृति ईरानी, निर्मला सीतारमण जैसे आग उगलो प्रचारक अलग-अलग भूमिका में होंगे। इनमें तेजस्वी सूर्या का नाम न होना कई सवाल खड़े करता है। योगी की कई रैलियां तटीय इलाक़े में प्लान की गई हैं। बताते हैं, यहां नाथ संप्रदाय के समर्थक अधिक हैं। योगी पिछले कर्नाटक दौरे में कदाली और कद्री मठ गये थे। इस बार योगी, मैसूर का सबसे प्राचीन चूंचागिरी मठ जाते हैं या नहीं, देखना होगा। चूंचागिरी मठ से भक्तों के लिए आदेश जारी होता है कि वोट किसे देना है।

कर्नाटक में 1361 जाति समूह हैं। मगर, वहां की राजनीति वोकालिगा और लिंगायत के गिर्द घूमती रही है। कर्नाटक के मठ राजनीति के अधिक्रेंद्र हैं। नेता धर्मगुरूओं के आगे मत्था टेकते हैं, और वोट सुनिश्चित कराते हैं। पहले वोकालिगा और लिंगायत दोनों समुदाय के लोग कुल आबादी के 27 फीसद बताये जाते थे, अब पता नहीं कैसे यह संख्या घटकर 17.65 प्रतिशत हो गई। जातिगत जनगणना डाटा जो लीक हुआ, उसके अनुसार दलित (जिसमें 180 जातियां शामिल हैं) 17.7 प्रतिशत हैं। लीक डाटा में मुसलमान 12.27 फीसद बताये गये हैं। इसकी पुष्टि चुनाव आयोग को करनी चाहिए। दलित और मुसलमान कर्नाटक की राजनीतिक कैनवास से किनारे कैसे किये गये हैं? देखकर अटपटा सा लगता है। बीजेपी का दावा रहता है कि सबसे अधिक दलित सांसद हमने दिये। अगर दिये हैं, तो ये दलित सांसद कर्नाटक चुनाव में दीखते क्यों नहीं?

इस बार कर्नाटक की राजनीति लिंगायत केंद्रीत हो रही है। बीजेपी से जुड़े रहे पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार सोमवार को कांग्रेस में चले गए। शेट्टार लिंगायत समुदाय के सबसे कद्दावर नेता और चेहरा माने जाते हैं, जिनकी जड़ें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में काफ ी गहरी बताई जाती थी। कर्नाटक की सियासत में बीएस येदियुरप्पा के बाद शेट्टार ही लिंगायत समुदाय के सबसे असरदार चेहरा माने जाते रहे। तो क्या शेट्टार को गंवाकर बीजेपी उसी गलती को दोहरा रही है, जिसे 33 साल पहले, 1990 में राजीव गांधी ने वीरेंद्र पाटिल जैसे लिंगायत नेता को सीएम की कुर्सी से हटाकर की थी?

शेट्टार को खोने से संघ के नेता बीजेपी नेतृत्व से खुश नहीं हैं, यह बात बंगलुरू में वरिष्ठ प्रचारकों से बात करने से समझ में आती है। शेट्टार कर्नाटक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विस्तार का अहम हिस्सा थे। दक्षिणी कर्नाटक में संघ ने दो-ढाई लाख परिवारों में पहुंच बनाने के लिए 'विस्तारक अभियान' छेड़ रखा था। शेट्टार की देखरेख में आरएसएस के 355 विस्तारक तैयार किये जा चुके थे। उत्तरी कर्नाटक में भी संघ के दो हज़ार 860 लोकेशंस पर शाखाएं लगनी आरंभ हो गई थीं।
जुलाई 2022 से मार्च 2023 तक संघ प्रमुख मोहन भागवत के कर्नाटक दौरों को देखकर अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये लोग डैमेज कंट्रोल के लिए क्या कुछ कर रहे थे। 27 मार्च, 2023 को मोहन भागवत विदार ज़िले के हुमनाबाद स्थित माणिक प्रभु मंदिर में पूजा-अर्चना करके अपना वोट बैंक साध रहे थे। संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले, जो कर्नाटक के शिमोगा ज़िले के हैं, उनकी भी कोशिश थी कि पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को समझा-बुझाकर रोका जाए। अंतिम समय में जो कुछ हुआ है, उसका असर ज़मीन पर पड़ना है, इससे संघ के शिखर नेता इंकार नहीं करते। संघ की ताक़त अपने ही कार्यकर्ताओं को भड़कने से रोकने में लग गई है। ये यदि कर्नाटक लूज़ करते हैं, तो संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले की कार्यशैली पर भी सवाल उठेगा।

आईटीजीडी की ग्राफिक्स के अनुसार, 16 प्रतिशत लिंगायत वोट शेयर विधानसभा की 67 सीटों को प्रभावित करते हैं। 16 फीसद वोकालिगा वोटर 48 सीटों पर असरदार हैं। कर्नाटक में 14 फीसद मुसलमान वोटर 50 सीटों पर अपना रसूख रखते हैं। अनुसूचित जातियों के लिए 36 और अनुसूचित जनजातियों के लिए 15 सीटें आरक्षित हैं। ईसाई 10 सीटों पर और ओबीसी का 24 सीटों पर असर है। कोरबा जाति के लोग 10 सीटों पर प्रभाव रखते हैं। बौद्ध-जैन व अन्य अल्पसंख्यक वोटर कर्नाटक विधानसभा की 24 सीटों को प्रभावित करते हैं। ब्राह्मण 15 सीटों पर और अन्य बची-खुची जातियों का असर 10 सीटों पर दीखता है।

कर्नाटक में 75. 36 फीसद साक्षर हैं। दुर्भाग्यवश वहां के लोग जाति व धर्म की बंद गली से बाहर नहीं निकल पाये। तेजस्वी सूर्या जैसे युवा नेता के विभाजक विचारों से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि वहां इस तरह के विषैले बेल को तैयार करने वाला नेटवर्क कितना तगड़ा है। 114 सीटों के वोटरों को धार्मिक रूप से भड़काकर उल्लू सीधा करना है, यह अमृतकाल की ताज़ा रणनीति है। लगभग 120 सीटें जो मुस्लिम, अनुसूचित जाति-जनजाति, ईसाई समुदायों और दक्षिणी इलाक़े के उडुपी, कासारगोड जिलों में बसने वाली कोरबा जनजातियों की है, बीजेपी के लिए उतना फोकस्ड नहीं हैं।

स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ केवल अतीक जैसे माफिया को समाप्त करने की शौर्यगाथा का बखान करेंगे, ऐसा भी नहीं है। नज़र नाथपंथियों पर भी रहेगी। नाथ संप्रदाय के 80 मठ कर्नाटक में हैं। कर्नाटक के वोकालिगा समुदाय की भगवान शिव में आस्था की वजह से चुनावी रणनीतिकारों ने मान लिया है कि नाथ संप्रदाय के मठाधीश जो कहेंगे, लोग आंख मूंद कर वहीं वोट डालेंगे। लेकिन लिंगायत धर्मगुरू घूस मांगने का आरोप क्यों लगा रहे हैं? 19 अप्रैल 2022 को बालेहोसुर मठ के लिंगायत संत डिंगलेश्वर स्वामीजी ने कर्नाटक सरकार के अधिकारियों पर धन जारी करने के लिए मठों से 30 प्रतिशत कमीशन की मांग करने का आरोप लगाया।

जुलाई 2019 में कांग्रेस-जेडीयू गठबंधन सरकार के ध्वस्त होने के बाद से कर्नाटक में डबल इंजन की बीजेपी सरकार सत्ता में है। बीएस येदियुरप्पा ने 26 जुलाई, 2021 को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था, उनके बाद 28 जुलाई, 2021 को वसवराज बोम्मई कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। राज्य की उपलब्धियों में जब केंद्र का डंका पीटा जाता है, तो कमीशनखोरी के जो आरोप लगे हैं, उसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? मनमोहन सिंह को 'रेनकोट' पहनाने वाले नरेंद्र मोदी में इतना नैतिक साहस होना चाहिए कि वो सच स्वीकार करें।

1 मार्च, 2022 को कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक प्रियांक खरगे ने कर्नाटक सरकार पर गुड़ निर्यात में घोटाले का आरोप लगाया था। 27 अगस्त, 2022 को कर्नाटक में 13,000 से अधिक स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो संघों ने बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य शिक्षा विभाग मान्यता प्रमाण पत्र के लिए रिश्वत मांग रहा है।

16 जनवरी, 2022 को कर्नाटक स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के प्रमुख मंजूनाथ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि सरकार के कई मंत्री और विधायक रिश्वत की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि, उनके पास ऑडियो क्लिप और व्हाट्सएप मैसेज भी हैं। अप्रैल, 2022 में ठेकेदार संतोष पाटिल ने कमीशन की वजह से ज़हर खाकर जान दे दी। 24 अगस्त, 2022 को कर्नाटक कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने घोषणा की कि वे 40 प्रतिशत कमीशन के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और पत्र लिखेंगे। भ्रष्टाचार के विरूद्ध पत्राचार पर प्रधानमंत्री कार्यालय की चुप्पी सचमुच हैरान करने वाली थी। इस चुप्पी से ही सवाल खड़ा होता है कि मिस्टर फोर्टी परसेंट है कौन?

भ्रष्टाचार और हिंसा की घटनाएं अनगिनत हैं। 2 मार्च, 2023 को बीजेपी विधायक मदल विरुपक्षप्पा के बेटे प्रशांत मदल को कर्नाटक सरकार के भ्रष्टाचार रोधी लोकायुक्त ने 40 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। विधायक आवास पर तलाशी में छह करोड़ रुपये नकद भी मिले। कर्नाटक में घूसखोरी की वजह से आत्महत्या की घटनाओं पर भी केंद्र सरकार रिएक्ट नहीं करें, और अपनी खाल मोटी कर लें, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या कहा जाएगा? कर्नाटक में जो कुछ हो रहा है, उसमें मेनस्ट्रीम मीडिया, सीबीआई, ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों और चुनाव आयोग तक की भूमिका भयावह है।
[email protected]


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it